माह शुरू होते ही सरकार दो हजार करोड़ का कर्ज लेने को तैयार

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  • हर माह लिया जा रहा है तीन हजार करोड़ का नया कर्ज

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की भाजपा सरकार इस पूरे वित्त वर्ष में लगभग हर माह तीन हजार करोड़ का नया कर्ज उठा रही है , जिसकी वजह से प्रदेश के सरकारी ,खजाने पर लगातार ब्याज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। हालात यह हैं की नया माह शुरू हुआ नहीं की सरकार ने दो हजार करोड़ के नए कर्ज के लिए वित्तीय संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित कर लिए हैं। यह कर्ज सरकार लेती तो विकास कामों के नाम पर है , लेकिन खर्च अन्य मदों में कर दिया जाता है। अगर सरकार ने वित्तीय कुप्रबंधन में सुधार कर फिजूलखर्ची पर अंकुश नही लगाया तो आने वाले कुछ सालों में प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय हो जाएगी।
जानकारी के अनुसार अब सरकार द्वारा जो नया कर्ज इसी हफ्ते में लिया जा रहा है, वह भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से दस साल के लिए लिया जा  रहा है। इसके लिए सरकार ने जो वजह बताई है उसके मुताबिक विकास परियोजनाओं को गति देना है। इसके पहले सरकार जून माह में भी एक पखवाड़े के अंदतर तीन बार में एक-एक हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। बीते माह में पंचायत व नगरीय निकाय चुनावों की वजह से चुनावी आचार संहिता लागू होने की वजह से सरकार को नया कर्ज लेने की जरुरत नहीं रही, जिसकी वजह से कोई कर्ज नहीं लिया गया है, अन्यथा नए वित्त वर्ष में ऐसा कोई माह नहीं रहा है जब सरकार ने हर माह औसतन तीन हजार करोड़ का नया कर्ज नहीं लिया हो। अब जो दो हजार करोड़ का नया कर्ज लिया जा रहा है, उसकी अवधि जून, 2032 तक के लिए तय की गई है। बताया जा रहा है की इस नए कर्ज से उन विभागों को अतिरिक्त राशि दी जाएगी , जिनके जिम्मे अधोसंरचना विकास करना है। इसमें प्रमुख रुप से लोक निर्माण विभाग शामिल है। वह दो हजार 333 करोड़ रुपए की लागत से 453 सड़कें और 20 पुलों का निर्माण करने जा रहा है। इसके लिए प्रशासकीय स्वीकृतियां भी जारी कर दी गई हैं। इसी तरह नगरीय विकास एवं आवास विभाग शहरों में विकास कार्यों को गति देगा। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग नल से घरों में पानी पहुंचाने की योजना पर काम कर रहा है।  इसके लिए हाल ही में छह हजार करोड़ रुपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृतियां जारी की गई हैं।
ले सकती है इस साल 51 हजार करोड़ का कर्ज
सरकार के अनुसार 2022-23 में वह 51 हजार 829 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। यानी अब हर महीने लगभग 4,300 करोड़ रुपए कर्ज होने जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो कर्ज लिए जाते हैं, उस पर प्रतिवर्ष ब्याज भी देना होता है। मध्यप्रदेश पर उसके सालाना बजट से भी ज्यादा कर्ज है। यानी स्टेट की स्थिति उस घर की तरह हो गई है, जिसकी आय कम और कर्जा ज्यादा है। विशेषज्ञ हैरान हैं कि कर्ज में डूबी सरकार ने दो साल में बाजार से एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन उठा लिया है। यह अब तक लिए गए कुल लोन का एक तिहाई है। इसका असर यह हुआ कि मप्र के हर व्यक्ति पर पांच साल में ही कर्ज बढ़कर डबल हो गया। अगर कर्ज की यही रफ्तार बनी रही तो अगले साल हर व्यक्ति पर 47 हजार रुपए तक का कर्ज हो जाएगा। 2017 तक यह कर्ज 21 हजार रुपए था। अगर डेढ़ दशक पहले की बात की जाए तो दिग्विजय सिंह के 10 साल के शासन के आखिरी साल यानी 2003-04 में प्रदेश पर 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था जो प्रति व्यक्ति 3300 रुपए आता है।
शुरूआती तीन माह में ही लिया नो हजार करोड़ का कर्ज
जून माह में सरकार ने पहले एक हजार करोड़ का कर्ज लिया था और उसके बाद दो हफ्ते में ही एक-एक करोड़ का और नया कर्ज उठा लिया था। इस तरह से अब तक सरकार इस साल में नौ हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। जून माह में सरकार ने पहले एक हजार करोड़ का नया कर्ज आरबीआई के माध्यम से बॉन्ड जारी करके लिया था। उसके बाद 14 और 21 जून को भी 1-1 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लिया गया। नए वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह लगातार तीसरा महीना था जब सरकार मार्केट से 3000 करोड़ रुपए उठाए थे। इससे पहले अप्रैल और मई में भी पांच बार में बाजार से 3-3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है। सरकार द्वारा लगातार लिए जाने वाले कर्ज से लगने लगा है की उसे कर्ज का न समाप्त होने वाला रोग लग गया है। सरकार लगातार कर्ज ले रही है। यह कर्ज कभी बाजार से, कभी नाबार्ड—एनसीडीसी, एलआइसी या बैंक से तो कभी केंद्र सरकार से उठाया जा रहा है। ताज्जुब तो यह है कि ये उधार कब तक और कैसे चुकता किया जाएगा, इसका कोई रोडमैप तैयार नहीं है। हां, इतना जरूर है कि सरकार इस कर्ज से गरीबों को मकान, राशन, शिक्षा, उपचार जैसी कई जरूरतों को पूरा करने का प्रयास भी कर रही है। अधिकृत जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 से 2022 तक के वित्तीय वर्षों में 1.91 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। सरकार के ऊपर मार्च 2021 की स्थिति में दो लाख 53 हजार 335 करोड़ रुपये का ऋण था, जो अब बढ़कर दो लाख 75 हजार करोड़ रुपये हो चुका है। इसमें बाजार का ऋण सर्वाधिक है। इस मामले में सरकार को कहना है कि नियमों के दायरे में रहते हुए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और विकास परियोजनाओं के लिए ऋण लेती है और उसके लिए बजट में प्रविधान भी किए जाते हैं।
नए कर्ज की आधी राशि जाती है ब्याज में
आंकड़ों से स्पष्ट है कि वर्ष 2021-22 में सरकार ने जो कर्ज लिया था, उसकी आधी रकम यानी 20 हजार करोड़ रुपए केवल ब्याज में खर्च हुई। वर्ष 2022-23 में ब्याज भुगतान की राशि बढ़कर 22 हजार करोड़ रुपए हो जाएगी। पिछले 5 वर्षों में (वर्ष 2017-18 से 2021-22 तक) मध्यप्रदेश सरकार द्वारा करीब 74 हजार करोड़ रुपए सिर्फ ब्याज में खर्च की है। वर्ष 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने गत 2 वर्षों में 92 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया। 36 हजार करोड़ रुपए की राशि केवल ब्याज में खर्च की है। इस वर्ष सरकार करीब 52 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। 22 हजार करोड़ रुपए ब्याज चुकाने में खर्च करेगी।

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