चुनावी खर्च बताने में नहीं ले रहे प्रत्याशी रुचि, ब्यौरा जुटाने टीमों का गठन

चुनावी खर्च

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। नगर निगम चुनाव अब पूरी तरह से जोर पकड़ चुका है। प्रत्याशी भी हर रोज प्रचार और अन्य सुविधाओं को जुटाने पर  बढ़ी रकम खर्च कर रहे हैं, लेकिन वे इसकी जानकारी संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी को देने में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। इनमें महापौर से लेकर पार्षद पद तक के प्रत्याशी शामिल हैं। यही वजह है कि अब प्रत्याशियों के व्यय का ब्यौरा जुटाने के लिए सरकारी अमले की टीमों का गठन किया जा रहा है। यह टीमें प्रत्याशियों द्वारा किए गए अब तक के खर्च का पूरा ब्यौरा जुटाने का काम करेंगी।
यह स्थिति तब बनी हुई जबकि महापौर पद से लेकर पार्षद प्रत्याशी गली-गली घूमकर जोर -शोर से प्रचार कर रहे हैं। यहां तक कि निर्दलीय भी पूरी ताकत के साथ प्रचार में लगे हुए हैं, लेकिन खर्चे का ब्यौरा देने कोई भी आगे नहीं आ रहा है।  यही वजह है कि अब जिला निर्वाचन कार्यालय को चुनावी खर्च का ब्यौरा जुटाने के लिए टीमों का गठन करना पड़ा है। इसके साथ ही यह टीमें प्रत्याशियों को ब्यौरा देने का तरीका भी बताएंगी। यह हाल तब है जबकि विधानसभावार एसडीएम कार्यालय से वाहनों की अनुमतियां तो लगातार ली जा रही हैं लेकिन इन वाहनों में कितना पेट्रोल डलाया गया है, कितने रुपए पोस्टर बैनर पर खर्च किए। सभाओं में आने वाले लोगों के नाश्ते आदि पर पर कितना खर्च किया गया है और फूल माला कितने में खरीदी जा रही हैं। इनका ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।  जबकि नगर निगम नामांकन शुरू होने से पहले ही कलेक्टोरेट में हुई स्टैंडिंग कमेटी में सभी दलों को स्पष्ट बता दिया गया था कि प्रचार के संबंध में एक निश्चित फॉर्मेट में जानकारी भरकर रोजाना भेजनी होगी। निकाय चुनावों की वजह से पोस्टर, बैनर और पैम्पलेट का काम पूरी तरह से जोरों पर चल रहा है, जिसकी वजह से कोई भी प्रिंटर भी फ्री नहीं है। वहीं पीठों से मजदूरों को भी रोजाना भुगतान कर उन्हें प्रचार में भीड़ जुटाने में ले जाया जा रहा है, जिसकी वजह से अन्य कामों के लिए मजदूर  तक नहीं मिल रहे हैं। हालात यह हैं कि जो पीठे दिनभर मजदूरों की वजह से भीड़ भरे रहते थेू , वे अब पूरी तरह से सुनसान पड़े रहते हैं। शहर में कई-कई आॅटो, साउंड सिस्टम तक से पार्षद प्रचार कर रहे।
यह है खर्च सीमा तय
इस बार े 10 लाख से अधिक आबादी वाले निकाय में 8.75 लाख, 10 लाख से कम आबादी वाले निकाय में 3.75 लाख रुपये खर्च की सीमा तय की गई है। वहीं एक लाख से अधिक आबादी वाली नगर पालिका में 2.50 लाख, 50 हजार से एक लाख तक आबादी वाली नगर पालिका में 1.50 लाख एवं 50 हजार से कम आबादी वाली नगर पालिका में 1 लाख रूपए खर्च की सीमा तय की गई है।   नगर परिषदों में खर्च की सीमा 75 हजार रुपये तय की गई है। महापौर पद के प्रत्याशी के खर्च की सीमा 10 लाख से अधिक आबादी में 35 लाख और 10 लाख से कम आबादी वाले नगर निगम में 15 लाख रुपये की सीमा निर्धारित की गई है। जिला निर्वाचन कार्यालय ने प्रत्याशियों के संबंध में खान पान से लेकर मंच, मिठाई, वाहन सहित 91
मदों में खर्चे का ब्यौरा मांगा है। प्रत्याशी इसमें से काफी मदों में रुपया खर्च कर रहे हैं, लेकिन हिसाब किताब कोई देने नहीं आ रहा है।
वार्डवार इस तरह प्रचार पर खर्च
पार्षद प्रत्याशियों  द्वारा बड़े- बड़े पोस्टर, बैनर, पैम्पलेट बांटने के साथ ही  घर पहुंच रहे समर्थकों को जमकर चाय नाश्ता कराया जा रहा है। कई वार्डों में पार्टी के प्रत्याशी एक साथ वोटरों को रिझाने लगे हैं, यहां पैम्पलेट की बरसात हो रही है, घर पोस्टर बैनर से पटे हैं। प्रत्याशी द्वारा वाहनों का भी उपयोग प्रचार के लिए किया जा रहा है। दिन रात वाहन घूम रहे हैं और रात को भी रणनीति बनती है। कई  वार्ड तो ऐसे हैं जहां पर आरक्षण के चलते महिलाएं ही उम्मीदवार हैं , लेकिन खर्चे में कोई कमी नहीं है, सारी व्यवस्था पुरुष संभाले हुए हैं।

Related Articles