प्राइवेट आयुर्वेदिक कॉलेजों की दुखती रग पर हाथ रखा एनसीआईएसएम ने

प्राइवेट आयुर्वेदिक कॉलेजों
  • वेतन सहित… अन्य जानकारियां देने में फूले संचालकों के हाथ-पांव, मान्यता पर भी संकट

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) ने मध्यप्रदेश के प्राइवेट आयुर्वेदिक कॉलेजों की नब्ज टटोलने के अंदाज में कॉलेज संचालकों की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। आयोग ने कॉलेज संचालकों से उनके यहां के स्टाफ, उसकी सैलरी तथा अन्य सभी सुविधाओं और नियमों के पालन का ब्यौरा तलब कर लिया है। यह जानकारी 17 जून तक दी जाना है।  इसमें खासतौर पर यह भी बताया जाना है कि आयोग द्वारा पहले दिए गए निदेर्शों के अनुसार कॉलेजों में टीचिंग स्टाफ का वेतन बढ़ाया गया है या नहीं। इतने कम समय में जानकारी जुटाने और खासकर वेतन को लेकर नयी व्यवस्था लागू करने में कॉलेज संचालकों के पसीने छूट रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि वेतन निर्धारण में कॉलेज संचालकों को बीस फीसदी तक कटौती करने की छूट दी जाए ।
आयोग के इन निर्देशों के बाद भोपाल के 14 सहित प्रदेश-भर के 23 प्राइवेट आयुर्वेद कॉलेज संचालकों के लिए सांप-छछूंदर वाली स्थिति बन गयी है। उनकी सबसे बड़ी परेशानी स्टाफ के वेतन की जानकारी आॅनलाइन करने को लेकर है। आयोग इससे पहले खासकर टीचिंग स्टाफ के लिए भारी-भरकम तनख्वाह का नियम भी तय कर चुका है। इसमें  प्रोफेसर को 56100 से 177500 रुपए, रीडर या एसोसिएट प्रोफेसर को 78800 से 209200 रुपए, प्रोफेसर को 123100 से 215900 रुपए और इंस्टीटूशन हैड को 131100 से 216600 रुपए प्रतिमाह सैलरी देनी होगी।
निर्देश में यह भी कहा गया है कि कॉलेज संचालक अनिवार्य रूप से आयोग के पोर्टल पर  अपने एक-एक स्टाफ की एक साल की सैलरी सहित उनकी नौकरी शुरू करने की तारीख, पूर्व अनुभव, शैक्षणिक योग्यता, उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया,  फार्म 16 का पार्ट ए व बी, ईएसआईसी और ईपीएफ की जानकारी भी अनिवार्य  तौर पर देने को कहा गया है।
इसलिए महसूस कर रहे बड़ी उलझन
प्राइवेट कॉलेजों की समस्या यह कि उनमें से अधिकांश ने ये जानकारी कभी व्यवस्थित रूप से नहीं रखी है। इसलिए 17 जून तक ये ब्यौरा पेश करने में उन्हें खासी परेशानी आ रही है। लेकिन इससे भी बड़ा संकट स्टाफ के वेतन की जानकारी पोर्टल पर देने को लेकर है। कहा जा रहा है कि ज्यादातर कॉलेजों में आयोग के मापदंड के मुताबिक सेलरी अब तक फिक्स नहीं की जा सकी है। ऐसे में यदि संचालक पोर्टल पर पुराने वेतन की ही जानकारी देते हैं तो उन्हें आयोग के निर्देशों के उल्लंघन का दोषी मान लिया जाएगा। इससे उनकी मान्यता पर भी संकट आना तय है।
अब संगठन की शरण में संचालक
इस सारी उहापोह के बीच कॉलेज संचालक अपने संगठन आयुष मेडिकल एसोसिएशन की शरण में चले गए हैं।  संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय ने दावा किया कि सभी मान्यता प्राप्त आयुर्वेद कॉलेज मापदंडों का पालन कर संचालित हो रहे हैं। डॉ. पांडेय ने कहा कि  वेतन निर्धारण संबंधित कॉलेज और विश्वविद्यालयों का अधिकार क्षेत्र है। शर्तों में एनसीआईएसएम को 20 फीसदी का रिलैक्सेशन देना चाहिए।

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