- प्रणव बजाज

परेशान सांसद को सौंपनी पड़ रही है कलेक्टरों को संविधान की प्रति
करीब ढाई साल पहले तक जो सांसद संगठन से लेकर प्रदेश सरकार की आंखों के नूर रहा करते थे, वे अब उसकी उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। उपेक्षा भी ऐसी की कोई अब उनकी पूछ परख करने को तैयार नही है। यह सांसद हैं भाजपा के केपी यादव। इन्हीं ने उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता श्रीमंत को उनके ही गढ़ गुना में हराकर सभी को आश्चर्य में डाल दिया था। अब समय बदला तो वही संगठन व सरकार यादव को दरकिनार कर श्रीमंत को जमकर तबज्जो दे रहा है। बेचारे यादव अपनी ही सरकार में विपक्षी सांसद जैसे व्यवहार का शिकार हो रहे हैं। शासन व सरकार में अनदेखी की शिकायत करते -करते परेशान यादव की बात को जिलों के अफसर भी सुनने को तैयार नही है। अब उनके द्वारा इसके विरोध में गांधीवादी रवैया पर अमल करते हुए गुना और अशोक नगर कलेक्टर को संविधान की प्रति भेंट कर सांसद के प्रोटोकाल का स्मरण कराया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान को ठीक से पढ़ लें, यादव ने कुछ खास बिंदुओं को अंडर लाइन कर फ्लैग भी लगाए हैं। सांसद का आरोप है कि संसदीय क्षेत्र के जिला कलेक्टरों द्वारा उन्हें सरकारी कार्यक्रमों की सूचना तक नहीं दी जाती है।
चुनाव आते ही आने लगती भाजपा को जनता याद : कमलनाथ
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है की भाजपा सरकार को जनता की याद चुनाव के समय ही आती है। जब भी कोई चुनाव सामने आता है, मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रीगण, नेता नारियल फोड़ने निकल पड़ते हैं। झूठी घोषणाओं में लग जाते है। प्रदेश में झूठे भूमिपूजन, शिलान्यास की बाढ़ सी आ जाती है। बाकी समय तो ना इन्हें जनता की याद आती है और ना ही विकास कार्यों की। उन्होंने ट्वीट कर कहा है की अब फिर पंचायत व नगरीय निकाय के चुनाव को देखते हुए झूठी घोषणाओं, झूठे नारियल फोड़ने, झूठे भूमिपूजन, शिलान्यास का खेल, जनता को गुमराह करने के लिए शुरू हो चुका है। खाली खजाने से एक बार फिर करोड़ों के झूठे सपने दिखाए जा रहे है। हर चुनाव के पूर्व इस तरह का खेल खेला जाता है और बाकी समय तो सरकार इवेंट, आयोजन, खुद के प्रचार-प्रसार, भ्रष्टाचार, घोटालों में लगी ही रहती है औश्र जनता परेशान होती रहती है।
इन समीकरणों के मायने
राजनीति में कब क्या हो जाए और कैसे समीकरण बन बिगड़ जाएं कोई नहीं जानता है। अब केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल व उनके धुर विरोधी रहे गोपाल भार्गव के बीच भी यही हो रहा है। दोनों नेता अब एक साथ मंच साझा कर एक दूसरे की तारीफ करने में पीछे नही रह रहे हैं। यही वजह है की उनके विरोधियों के कान इन दिनों खड़े हुए हैं। दरअसल यह दोनों नेता अपने हिसाब से ही राजनीति करना पसंद करते हैं। वे नेताओं की जगह जनता के दर में हाजरी लगाना बेहतर मानते हैं। इन दोनों ही नेताओं की अपने अंचल के कई दिग्गज नेताओं के साथ पटरी नहीं बैठती है। इनमें श्रीमंत से लेकर शिव समर्थक मंत्री शामिल हैं। यही वजह है की विपक्षी दल के नेताओं की अपेक्षा पार्टी के ही नेताओं में इन दोनों नेताओं के बीच बढ़ती नजदीकीयों को लेकर अधिक चिंताएं देखीं जा रही हैं। दरअसल पटेल भार्गव से संबध सुधारने के पहले दमोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया के साथ समझौते की कोशिश कर चुके है। यही नहीं अब उनके और उमा भारती के बीच भी मतभेद समाप्त हो चुके हैं।
रतलाम के अल-सुफा आंतकी संगठन की जांच एनआईए के हवाले
राजस्थान में गिरफ्तार रतलाम के तीन अल-सुफा संगठन के आंतकियों से 12 किलो आरडीएक्स बरामद होने के बाद इस मामले को एनआईए के हवाले कर दिया गया है। इस मामले में एनआईए ने एफआईआर दर्ज करते ही छापामारी शुरू कर दी है। अब तक जांच एजेंसी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के कई ठिकानों पर छापा मारा है। इस दौरान उनके ठिकानों से इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस और कई अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं। मध्यप्रदेश से जुड़ा यह दूसरा मामला है, जिसकी जांच एनआईए को सौंपी गई है। मप्र एटीएस ने इसके पहले आतंकी संगठन जमात-ए- मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के चार आतंकियों को भोपाल से और दो को बाद में विदिशा से गिरफ्तार किया था। इसकी जांच भी एनआईए द्वारा की जा रही है। इन दो आंतकी संगठनों के आंतकियों की गिरफ्तारी के बाद से माने जाने लगा है की मप्र अब इस तरह के संगठन के लोगों का नयश ठिकाना बनता जा रहा है।