
- युवाओं को स्वरोजगार के लिए लोन देने से कतरा रहे बैंक
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सरकार का प्रयास है कि हर व्यक्ति के हाथ में काम हो। इसके लिए सरकार का स्वरोजगार पर फोकस है। सरकार अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार के लिए सुविधाएं मुहैया करा रही है। लेकिन निजी बैंक मप्र सरकार और केंद्र की स्वरोजगार योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं, जबकि सरकारी क्षेत्र के बैंक टारगेट को अचीव कर रहे हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना उद्यम क्रांति, ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर तथा प्रधानमंत्री मुद्रा के लक्ष्य को पूरा करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। हालात इतने बद्तर हैं कि कई निजी बैंक एक प्रतिशत भी टारगेट पूरा नहीं कर पाए हैं। अब एसएलबीसी इन निजी बैंकों के हेडआॅफिस को पत्र लिखकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराएगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों हुई एसएलबीसी की बैठक में कई बैंकों द्वारा लोन टारगेट पूरा नहीं करने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी नाराजगी जता चुके हैं। इससे पहले तो उन्होंने बैंकों को चेतावनी देते हुए कहा था कि उनके संबंध में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को लिखा जाएगा। इसके बाद से कुछ की स्थिति सुधरी है, लेकिन निजी बैंक अपनी मनमर्जी से ही लोगों के लोन स्वीकृत करते हैं। सीएम ने अधिकारियों से कहा है कि योजना के क्रियान्वयन में कोताही नहीं हो। ग्रामीण क्षेत्रों में स्ट्रीट वेंडर को 10 हजार रुपए का लोन देने का प्रावधान है। यदि कोई हितग्राही लोन चुकाता है, तो उसे 20 हजार रुपए का फिर लोन मिल सकता है।
एक से 5% तक ही लोन बांट पाए प्राइवेट बैंक
कोरोना काल के समय रोजगार के अवसर समाप्त होने के कारण मप्र सरकार ने पथ विक्रेताओं को रोजगार से लगाने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता (स्ट्रीट वेंडर) योजना प्रारंभ की थी। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में 5 लाख लोगों को लोन देने का टारगेट तय किया था। खामियों की वजह से 3 लाख 22 हजार से अधिक आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए। उधर, निजी बैंकों ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के टारगेट को भी पूरा नहीं किया है। कई बैंकों में तो 5 प्रतिशत तक ही लोन बांटा, तो कुछ बैंकों की प्रगति 1 प्रतिशत से भी कम रही है। एसएलबीसी कन्वेनर एसडी माहुरकर का कहना है कि निजी बैंक यदि सरकारी योजनाओं में लोन देने में दिलचस्पी नहीं लेती हैं, तो उनमें जमा होने वाले सरकारी पैसे पर रोक लगाना चाहिए। ऐसे बैंकों के खिलाफ हेड आॅफिस को लिखा जाएगा। हालांकि इन बैंकों ने मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री स्वनिधि, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना तथा प्रधानमंत्री मुद्रा लोन में भी ठीक ढंग से काम नहीं किया है।