बा खबर असरदार/पूत के पांव पालने में

  • हरीश फतेह चंदानी
प्रशासनिक वीथिका

पूत के पांव पालने में
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों पूत के पांव पालने में वाली लोकोक्ति चर्चा का विषय बनी हुई है। इसकी वजह है राजधानी से 180 किमी की दूरी पर स्थित एक आदिवासी जिले के कलेक्टर के नवाचार। 2013 बैच के युवा आईएएस अधिकारी अमनबीर सिंह बैंस ने जबसे जिले की कमान संभाली है, वे अपने नवाचार से जिले के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर निर्मित कर रहे हैं। साहब ने युवाओं के लिए अपने कार्यालय के दरवाजे खोल रखे हैं। जहां पहुंचकर युवा नवाचारों का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। बताया जाता है कि साहब ने युवाओं को लक्ष्य निर्धारित कर सफल उद्यमी बनने का मंत्र दिया है और इसके तहत उन्हें दूसरे राज्यों के उच्च तकनीक वाले संस्थानों में प्रशिक्षण के लिए भी भेज रहे हैं। उनके दिशा निर्देशन में जिले में वुडन क्लस्टर को विकसित किया जा रहा है, साथ ही सागौन का एक जिला-एक उत्पाद के तहत चयन किया गया है। इसकी प्रदेशभर में सराहना हो रही है। बता दें कि इन साहब का प्रशासनिक बैकग्रांड है।

खुला खेल फर्रुखाबादी
राजनीति में वैसे तो लोग ढका-छिपा कर अपनी रणनीति पर काम करते हैं , लेकिन इन दिनों प्रदेश कांग्रेस में सब कुछ खुल्लम-खुल्ला होने लगा है। यानी सही कहा जाए तो खुला खेल फर्रूखाबादी वाला। अभी हाल ही में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एक पूर्व अध्यक्ष आलाकमान के दरबार में पहुंच गए और वहां से फ्री हैंड लेकर लौटे हैं। यह खबर जैसे ही फैली उसके साथ ही अन्य नेता भी खुला खेल फर्रूखाबादी की तर्ज पर मैदान में उतरने को तैयार हैं। इसी कड़ी में विंध्य क्षेत्र की राजनीति करने वाले अजय सिंह ने भी आलाकमान के दरबार में हाजिरी लगाने की तैयारी कर ली है। बताया जाता है कि उन्होंने इसके लिए समय मांगा है। यहां बता दें कि नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी तक पहुंच चुके ये माननीय अध्यक्ष बनने का सपना संजोए हुए हैं। हालांकि पिछले कुछ चुनाव से इनके ग्रह नक्षत्र साथ नहीं दे रहे हैं और इन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा है।

बाज के बच्चे मुंडेर पे नहीं उड़ा करते
उपरोक्त कहावत महाकौशल क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर पर सटीक बैठती है। खनिज संपदा से भरपूर इस जिले में बड़े-बड़े माफिया की नाक में दम करने वाले साहब के बंगले के पीछे अवैध कॉलोनी तैयार हो गई, लेकिन साहब को कानों कान खबर नहीं लगी। गौरतलब है कि जिन साहब की बात हो रही है, वे 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। जिले में अवैध कॉलोनी, मनमाना कब्जा और भू-माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के दावों के बीच कलेक्टर बंगला के पीछे ही अवैध कॉलोनी बन रही है लेकिन साहब के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। बताया जाता है कि इस संदर्भ में साहब से लेकर सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे भू-माफिया के हौसले बुलंद है। जिले के लोगों का कहना है कि साहब ने पदस्थापना के कुछ दिन तक युवा जोश जरूर दिखाया ,लेकिन खुद के बंगले के पीछे हो गए अवैध निर्माण की उन्हें खबर क्यों नहीं लगी यह तो साहब ही अच्छे तरीके से बता पाएंगे।

पायरेसी में घिरे मंत्री
इस समय देश-प्रदेश में कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित बहुचर्चित फिल्म द कश्मीर फाइल्स की खुमारी छाई हुई है। फिल्म किसी की समझ में आए या न आए हर कोई अपनी राष्ट्रीयता की भावना को प्रबल बनाने के लिए इस फिल्म को देखना और दिखाना चाहता है। इसी होड़ में प्रदेश सरकार के  मंत्री राम खेलावन पटेल  ने थियेटर में इस फिल्म को न दिखवा कर अपने गृह क्षेत्र में फिल्म के पायरेटेड वर्जन का एलईडी स्क्रीन में सार्वजनिक प्रदर्शन करवाया, जो कि न केवल गैरकानूनी है बल्कि कॉपी राइट एक्ट का उल्लंघन है। जबकि कॉपीराइट एक्ट के तहत पायरेटेड फिल्म का प्रदर्शन करना और देखना दोनों अपराध की श्रेणी में आता है। कॉपीराइट एक्ट के उल्लंघन का मामला सामने आने के बाद अब सभी संबंधितों ने चुप्पी साध ली है। सूत्र बताते हैं कि मंत्रीजी को भी अपनी गलती का अहसास हो गया है, लेकिन अब बेचारे करें भी तो क्या करें। यहां बता दें कि मंत्रीजी विंध्य क्षेत्र के निवासी हैं।

पांच दिन की 64 हजार से अधिक फीस
एक चर्चित जिले में खुला ड्रोन स्कूल पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी वजह यह है कि इस स्कूल को खुलवाने के लिए माननीयों ने बड़े स्तर पर ब्रांडिंग की लेकिन हैरानी की बात यह है कि करीब एक पखवाड़े में इस स्कूल में प्रवेश पाने वालों की संख्या सिर्फ दो है, जबकि स्कूल प्रबंधन से दो दर्जन से अधिक इच्छुक सदस्य प्रवेश के लिए संपर्क कर चुके हैं। कम प्रवेश होने की वजह शुल्क अधिक बताया जा रहा है। जिन दो सदस्यों ने स्कूल में प्रवेश लिया है वे निजी कंपनी में कार्यरत हैं। उनका कहना है ड्रोन उड़ाना तो यूट्यूब की मदद से सीखा जा सकता है, उन्होंने फीस तो प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए अदा की है। यह प्रमाण पत्र उनकी पदोन्नति में सहायक बन सकता है। स्कूल में प्रवेश पाने वाले कुछ सदस्य ऐसे भी हैं, जो ड्रोन की मदद से उन्नत खेती कर बेरोजगारी से मुक्ति पाना चाहते हैं। उनके कदम पीछे की तरफ तब आ रहे हैं, जब उन्हें पांच दिन के पाठ्यक्रम की फीस 64,900 बताई जाती है।  

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