
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। लगातार दो सालों से कोरोना की वजह से संगठन विस्तार की जगह सामाजिक कामकाज में व्यस्त रहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अब एक बार फिर से संगठन विस्तार और अपने कामकाज पर फोकस करने जा रहा है। इसके लिए संघ में अखिल भारतीय स्तर पर चिंतन मनन किया जा चुका है। यही वजह है कि अब प्रदेश में नए स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में अगले चार माह में सात शिक्षा वर्ग लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। यह शिक्षा वर्ग संघ दृष्टि से तीनों अलग-अलग प्रांतों में लगाए जाएंगे। इसके साथ ही देश भर में इस तरह के 104 वर्ग लगाए जा रहे हैं। सूबे के तीनों प्रांतो में उन स्थानों का चयन इनके आयोजन के लिए किया गया है, जो शहर राजनैतिक रुप से भाजपा के अलावा हिन्दुत्व के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जिन शहरों का इनके आयोजन के लिए चयन किया गया है उनमें सागर, राजगढ़, शहडोल, उज्जैन शामिल हैं , जबकि निमाड़ इलाके के दो शहरों का चयन अभी किया जाना है। संघ के इन शिक्षा वर्गों में इस बार तीन-तीन सौ स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यह बात अलग है कि वैसे तो इस तरह के वर्ग में 500 सौ स्वयंसेवकों की उपस्थिति तय रहती रही है , लेकिन इस बार अभी पूरी तरह से कोरोना के समाप्त नहीं होने की वजह से इनकी संख्या सीमित करते हुए यह तय की गई है।
इन शिक्षा वर्गों से प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को संघ विस्तार का दायित्व दिया जाएगा। यह शिक्षा वर्ग संघ को विस्तार देने के लिए अप्रैल से जुलाई के बीच आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही ज्वाइन आरएसएस एप के माध्यम से युवा संघ से जुड़ं,े इस पर अब और ध्यान दिया जाएगा। आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक 11 से 13 मार्च तक अहमदाबाद में हुई थी। इस बैठक में प्रदेश के क्षेत्र स्तर के पदाधिकारियों से लेकर मालवा, मध्यभारत और महाकौशल प्रांत के संघ पदाधिकारी शामिल हुए थे। बैठक में सबसे ज्यादा जोर संघ की शाखाओं के विस्तार पर दिया गया था। कोरोना काल में संघ की शाखाओं में कमी आई थी। संघ के स्वयंसेवक सेवा कार्यों में लग गए थे। बैठक में बताया गया कि कोरोना काल में पहले ही दिन से संघ के साढ़े पांच लाख स्वयंसेवक पूरे देश में सेवा के कामों में लगे हुए थे। बैठक में तय किया गया कि संघ के शिक्षा वर्गों का क्रम जो कोरोना काल में कम हो गया था उसे फिर से शुरू किया जाएगा। देश के विभिन्न प्रांतों में ये शिविर आयोजित किए जाएंगे।
रोजगारों के सृजन पर फोकस
संघ ने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने का फैसला भी इस बैठक में लिया गया है। संघ इसमें अपने समविचारी संगठनों भारतीय मजदूर संघ, विद्या भारती, सेवा भारती, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, स्वदेशी जागरण मंच, लघु उद्योग भारती, आरोग्य भारती के सहयोग से युवाओं को रोजगार दिलाने के प्रयास करेगा। इसके लिए तरह -तरह के प्रयास इन संगठनों द्वारा किए जाएंगे।
ज्वाइन आरएसएस एप की शुरुआत
संघ ने 25 से 35 साल के युवाओं को संघ की गतिविधियों से जोड़ने के लिए ज्वाइन आरएसएस एप शुरू किया है। संघ का दावा है कि पूरे देश में इस एप से हर साल एक से सवा लाख युवा जुड़कर संघ के कामों में प्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाने को तैयार है। प्रदेश में इस एप से हर साल नौ से दस हजार युवा जुड़ रहे हैं। संघ एप के जरिए अपनी विचारधारा युवाओं तक पहुंचा रहा है। इसके साथ ही संघ साप्ताहिक मिलन और कुटुम्ब प्रबोधन जैसे अपने पुराने कार्यक्रमों को भी फिर से शुरू कर चुका है।
हर प्रखंड तक पहुंचने का लक्ष्य
संघ वर्ष 2025 में अपनी शताब्दी वर्ष पूरा करने जा रहा है। अगले तीन सालों में संघ ने अपने विस्तार के लिए देश के हर प्रखंड तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया हुआ है। यही वजह है कि अब संघ द्वारा संगठन के विस्तार के लिये कुटुम्ब प्रबोधन, सामाजिक समरसता कार्यक्रम, एक तालाब-एक मंदिर-एक शमशान जैसे अभियान पर जोर दिया जा रहा है। इसके माध्यम से संघ अपने शताब्दी वर्ष 2025 तक देश के एक लाख केंद्रों तक विस्तार करने की योजना पर काम कर रहा है। इस समय समय देश के 55 हजार स्थानों पर मंडल स्तर पर शाखाएं संचालित की जा रही हैं, जिन्हें बढ़ाकर लगभग दो गुना करने की तैयारी है। कुटुम्ब प्रबोधन कार्यक्रम के माध्यम से पारिवारिक संबंध को मजबूती बनाने पर जोर दिया जाएगा। गौरतलब है कि कुटुम्ब प्रबोधन के परिवारों को सप्ताह में एक दिन मिलना और दिनभर में एक बार साथ भोजन करना होता है। यह एक-दूसरे के परिवार को जानने का मौका होता है। कुटुंब प्रबोधन पारिवारिक संबंध को मजबूती देने की दिशा में शुरू किया गया है। इसी तरह से सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के साथ ग्रामीण इलाकों में एक तालाब-एक मंदिर-एक शमशान अभियान को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
पालीथिन मुक्ति का भी अभियान
संघ ने पूरे प्रदेश को पालीथिन मुक्त बनाने का अभियान शुरू कर रहा है। इसकी शुरुआत ग्वालियर से की जाएगी। इसमें सबसे पहले मंदिरों, विवाह बाटिकाओं, शैक्षणिक संस्थाओं सरकारी और निजी कार्यालयों और शहर के प्रमुख स्थलों को पॉलीथिन से मुक्त किया जाएगा।