- प्रणव बजाज

जब श्रीमंत झाड़ू लेकर निकले सड़क पर
कांग्रेस में रहते जिन श्रीमंत को लोग सोफसटीकेटड नेता और ग्वालियर रियासत के राजा के रुप में काम करते हुए दिखते थे, वहीं श्रीमंत भाजपा में आने के बाद पूरी तरह से बदले हुए नजर आ रहे हैं। फिर कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात की बात हो या फिर पार्टी के मंडल व जिला स्तर के सम्मेलन। इन सभी में उनकी सहभागिता एक कार्यकर्ता के रुप में दिखती है। यही नहीं बीते रोज जब वे झाड़ू लेकर महल के बाहर निकले तो लोगों का चौकना स्वभाविक था। इस दौरान उनके द्वारा महल के पास की सिंध बिहार जाने वाली सड़क पर न केवल झाड़ू लगाई गई, बल्कि वहां पर आयी एक महिला सफाईकर्मी के पैर भी छुए। इसके बाद वे महाराज बाड़े पर आयोजित कार्यक्रम में गए तो वहां उनके द्वारा राजनैतिक भाषण की जगह केवल स्वच्छता पर ही बात की गई। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने घर-दुकान और बाहर के हिस्से को साफ रखें और गीला-सूखा कचरा घरों से ही अलग कर कचरा वाहनों को दें तो हम देश में प्रथम स्थान पर आ सकते हैं।
जब मुख्यमंत्री को आया गुस्सा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह वैसे तो सहज व सरल राजनेता हैं, लेकिन उन्हें भी कभी- कभी गुस्सा आ जाता है। उनकी गुस्से की वजह भी होती है। वे बीते रोज एक बार फिर सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान गुस्से में आ गए। इसके बाद तो वे वहां मौजूद अफसरों बरस पड़े। दरअसल मुख्यमंत्री को शिकायतें मिली थीं कि श्योपुर जिले में अफसरों द्वारा आवास योजना के हितग्राहियों से किस्त की राशि देने के एवज में रिश्वत मांगी जा रही है। इसके बाद तो उनके द्वारा मंच से ही चेतावनी दी गई की सहरिया आवासों के निर्माण में अगर गड़बड़ी हुई तो छोडूंगा नहीं। उन्होंने मंच पर खड़े कलेक्टर से कहा,मुझे कई जगह शिकायत मिली हैं कि आवास की किस्त डालने के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं। इस पर जरा ध्यान रखना। सीएम ने हितग्राहियों से कहा कि एक नया पैसा भी किसी को इधर-उधर मत दे देना। अगर कोई पैसा मांगेगा तो मैं उसे नौकरी से बाहर कर दूंगा। सीएम ने अफसरों को हिदायत देते हुए कहा कि हम सीधे भी हैं और बहुत खराब भी। अगर गड़बड़ हुई तो किसी को छोड़ंूÞगा नहीं। सीइओ जिला पंचायत से कहा, समय पर किस्त का पैसा मिल जाए और दूसरी किस्त भी समय पर मिले।
न्यायमूर्ति का मातृभाषा प्रेम
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह के मातृभाषा प्रेम को देखकर लोग उनके दीवाने होने लगे हैं। दरअसल वे ऐसे न्यायमूर्ति हैं जो न केवल हिन्दी में सुनवाई करते हैं , बल्कि उसमें ही आदेश सुनाते हैं। इसकी वजह से आम आदमी भी अदालत की बहस समझ पाता है। ऐसा ही एक बाकया हाल ही में हुआ जब उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि यदि आप हिंदी में पैरवी करेंगे तो मुझे हिंदी में आदेश सुनाने मैं खुशी होगी। यह सुनते ही अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा ने जमानत अर्जी पर हिंदी में बहस शुरू कर दी। बहस पूरी होने के बाद न्यायाधीश सिंह ने हिंदी में ही आदेश सुनाया। इससे पूर्व न्यायमूर्ति सिंह एक अन्य मामले में हिंदी में आदेश सुना रहे थे। इस पर वहां मौजूद वकीलों ने खड़े होकर अभिवादन किया और हिंदी में आदेश सुनाए जाने को लेकर प्रसन्नता जताई। जिसके बाद न्यायमूर्ति सिंह ने अधिवक्ताओं का आह्वान किया कि वे हिंदी में बहस किया करें और हिंदी में आदेश सुना करें। खास बात यह है कि अधिवक्ता मोहनलाल ने जिस मामले में हिंदी में बहस शुरू की,उस मामले में उनके द्वारा पहले जमानत आवेदन अंग्रेजी में तैयार किया था।
कलेक्टर का नवाचार चर्चा में
इन दिनों सतना जिले के कलेक्टर अनुराग वर्मा का एक नवाचार न केवल चर्चा में बना हुआ है, बल्कि उन्हें पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं के बीच भी बेहद लोकप्रिय बना रहा है। इस नवाचार के लिए उनके द्वारा संचार तकनीक और सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। उनके द्वारा हाल ही में जिले के बच्चों को यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कराने का ऐलान किया गया था, उसके बाद उनके द्वारा बाकायदा सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को अपना रजिस्ट्रेशन कराने की भी सूचना दी गई, जिससे की छात्रों की तैयारी कराने के लिए जरुरी व्यवस्थाएं की जा सकें। दरअसल प्रदेश का यह जिला उस इलाके में स्थित है, जहां पर इस तरह की परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत ही कम साधन हैं। ऐसे में अपने सामाजिक दायित्व के लिए इस तरह के प्रयास किसी कलेक्टर द्वारा किए जाने के बहुत ही कम उदाहरण देखने को मिलते हैं।