बा खबर असरदार/आईएएस का ट्वीट.. लगी कतार

  • हरीश फतेह चंदानी
आईएएस

आईएएस का ट्वीट.. लगी कतार
प्रदेश के युवाओं के बीच सबसे अधिक चर्चित रहे 2001 बैच के आईएएस अधिकारी पी नरहरि इन दिनों अपनी दरियादिली के लिए चर्चा में हैं। वैसे साहब की दरियादिली कई अवसरों पर दिखी है, लेकिन इस बार उन्होंने एक दृष्टिबाधित छात्र के लिए मदद का बीड़ा उठाया, जिससे सोशल मीडिया पर उनकी जय-जयकार होने लगी। दरअसल, ग्वालियर के एक दृष्टिबाधित छात्र को एमए हिंदी का पेपर देना था, लेकिन उसको कोई कॉपी लिखने वाला नहीं मिल रहा था। उक्त छात्र ग्वालियर के कलेक्टर रहे आईएएस अधिकारी को जानता था। उसने साहब के पास अपना संदेश भेजा। साहब ने उक्त छात्र की सहायता करने के लिए ट्वीट किया। फिर क्या था, उक्त छात्र के पास कॉपी लिखने वालों की कतार लग गई। साहब की इस कोशिश ने छात्र का एक साल बर्बाद होने से बचा लिया।

बीडीए अध्यक्ष की कुर्सी पाने की होड़
भोपाल विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष की कुर्सी इन दिनों भाजपा नेताओं में आकर्षण बनी हुई है। संगठन के वरिष्ठ और पूर्व विधायक इस पर कब्जा जमाने के लिए हाथ पांव मारने में जुटे हैं। उम्रदराज हो चुके इन नेताओं को आगामी चुनाव में टिकट की संभावना कम  ही नजर आ रही है इसलिए वे उम्मीदवारी का दम भरने की बजाए सुरक्षित ओहदा लेने का जुगाड़ लगा रहे हैं।  इसमें संगठन के एक पदाधिकारी भी हैं, जिन्हें यह कुर्सी पसंद आ गई है।  पिछले दिनों उनकी दावेदारी मजबूत होता देख शहर के एक पूर्व विधायक का गुट प्रदेश सरकार के मुखिया से तक मिलने पहुंच गया।  उन्होंने मुखिया को भी दलीलों से संतुष्ट करने की कोशिश की।  कुछ  नए दावेदार जो लंबे समय से हाशिए पर हैं, वो भी इस दौड़ में दांव लगाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें एक अन्य पूर्व विधायक की इच्छा तो विधायक बनने की है लेकिन निगम, मंडल में आना ही उन्हें आसान लग रहा है।

साहब के करंट से अफसरों को लग रहे झटके
 मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी के एमडी गणेश शंकर मिश्रा जब से कंपनी के नए साहब बनकर आए हैं,  उसके बाद से कंपनी के मातहत अफसरों को 440 वोल्ट का करंट लग रहा है। साहब कंपनी के क्षेत्र में निरंतर दौरे तो कर ही रहे हैं, साथ ही साहब ने हफ्ते में वर्चुअल मीटिंग शुरू  कर दी है। हर दिन की रिपोर्ट तो पहले ही मांगी जा रही थी, लेकिन कागजों के साथ साहब जमीनी हकीकत की भी जांच कर रहे हैं। ऐसा ही पिछले दिनों हुआ। साहब ने मीटिंग में सवालों की बौछार कर दी। कुछ साहबों ने पुराने ढर्रे पर जवाब देने का प्रयास किया, लेकिन नए साहब के आगे उनकी चल नहीं पाई। अब स्थिति यह है कि बिजली कंपनी का हर अफसर डरा हुआ है कि न जाने कब साहब उसकी क्लास लगा दें। नौकरी के अंतिम पड़ाव पर आ चुके एक अफसर तो इस रवैये से बेहद परेशान है। वे चिंता में हैं कि किसी तरह उनका समय कट जाए। कुछ जो बच गए हैं वो भी अब तेजी से अपने कामकाज को दुरुस्त करने में जुट गए है। साहब ने भी साफ कर दिया है कि बहाना नहीं काम ही बोलेगा।

इस कलेक्टर से मिलना मुश्किल
मालवा के एक जिले की कलेक्टरी कर रहे 2012 बैच के एक आईएएस अधिकारी से इन दिनों मिलना आसमान से तारे तोड़ने के समान है। इसकी वजह यह है कि साहब ने फरमान जारी कर दिया है कि अगर कोई उन्हें ज्ञापन देना चाहता है तो पहले उसे सूचना देनी होगी। साहब की इस नई व्यवस्था का जिले में खूब विरोध हो रहा है। लोगों का कहना है कि मप्र एक ऐसा प्रदेश, जहां के मुख्यमंत्री को देश का सबसे सहज और मिलनसार नेता कहा जाता है। जिनसे कोई भी बड़ी आसानी से मुलाकात कर सकता है। और तो और कई बार वो खुद भी सभाओं से आम लोगों के बीच पहुंच जाते हैं। ऐसे में उस प्रदेश के एक कलेक्टर ने आदेश जारी किया है कि अब किसी भी संगठन या संस्था को ज्ञापन देने से पहले सूचना देनी होगी। राजधानी में कई विभागों में पदस्थ रहे साहब जबसे आईएएस कैडर में प्रमोट हुए हैं, तबसे उनके रंग-ढंग बदल गए हैं। बताया जाता है कि साहब की शिकायत मंत्रालय की पांचवीं मंजिल पर भी पहुंच गई है।

बजट में भी महाराज का जलवा
मप्र की राजनीति के महाराज यानि की श्रीमंत के सितारे इन दिनों बुलंद हैं। उनके बारे में कहा जा रहा है कि इन दिनों वे मिट्टी को भी छू देते हैं तो सोना हो जाता है। राजनीति में तो यह देखने को मिल रहा है। जिन लोगों के साथ उन्होंने पार्टी बदली थी, आज वे लोग राजनीति में कद्दावर बने हुए हैं। नई पार्टी में उन लोगों का पुरानी पार्टी की अपेक्षा अधिक मान-सम्मान है। यहां तक तो ठीक था, लेकिन विगत दिनों पेश किए गए बजट में भी महाराज के मंत्रियों का जलवा दिखा। यानी महाराज समर्थक मंत्रियों के पास जो भी विभाग हैं, उन पर सरकार ने जमकर मेहरबानी दिखाई है। यानी उन विभागों को बड़ा-बड़ा बजट दिया गया है। इसे देखकर कहा जाने लगा है कि महाराज के साथ आए नेता नई पार्टी में दूध में शक्कर की तरह घुल-मिल गए हैं।

सारी गलती निर्जीव मशीनों की
मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी में अफसरों की मनमानी कंपनी प्रबंधन पर हावी है। बिरसिंहपुर के संजय गांधी ताप गृह में कई दफा इसकी तस्वीर भी दिखी। प्रबंधन जाने क्यों खामोशी से अफसरों के आगे खामोश नजर आता है। अव्यवस्था साफ नजर आने के बाद भी यहां किसी की जिम्मेदारी तय नहीं हो पा रही है। सारी गलती निर्जीव मशीनों पर डालकर अफसरों ने अपना-अपना पल्ला झाड़ लिया। इधर कंपनी को आर्थिक हानि हुई सो अलग। पिछले दिनों आला अफसरों की टीम ने एक अधीक्षण यंत्री को तबादला करने के आदेश जारी किए। यंत्री साहब को यह रास नहीं आया। फिर क्या था आदेश फाइलों में बंद होकर रह गया। नए साहब ने कमान सम्हालने के बाद भी इस मामले में चुप है उन्हें बिजली मुख्यालय से कार्यमुक्ति का आदेश जारी होने का इंतजार है। इधर कंपनी भी नाफरमानी करने वालों पर किसी तरह की सख्ती नहीं करती नजर आ रही है।

Related Articles