दुग्ध संघ ने मंत्री और एसीएस की नोटशीट कर दी दरकिनार

दुग्ध संघ

– 6 साल बाद भी घोटालेबाज अफसरों पर नहीं गिरी गाज
-दागियों को मिल रहा वर्तमान एमडी का संरक्षण
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
दुग्ध संघ में भले ही सफेद दूध का कारोबार होता है, लेकिन वहां काले कारोबारियों और घोटालेबाजों का राज है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है की दुग्ध संघ में दागी अफसर इतने दमदार है कि मंत्री और एसीएस की नोटशीट को दरकिनार कर उन्हें बचाया जा रहा है। ऐसे ही तीन अफसर डॉ. आरके दूरबार, केएस मिश्रा और जेआर सिंह हैं, जिन्होंने दुग्ध संघ को 1.19 करोड़ से अधिक की आर्थिक क्षति पहुंचाई है, लेकिन छह साल बाद भी उनपर कार्रवाई नहीं हो पाई है। आरोप लगाया जा रहा है की तीनों दागदार अफसरों को वर्तमान एमडी का भरपूर संरक्षण मिल रहा है। इसलिए जांच दबी हुई है। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में सहकारी दुग्ध संघ भोपाल में दूध टैंकर में घपलेबाजी का मामला पकड़ा गया था, जिसकी विभागीय जांच हुई और तत्कालीन सीईओ डॉ. आरके दूरबार, केएस मिश्रा सहायक महाप्रबंधक और जेआर सिंह महाप्रबंधक को दोषी पाया गया। दोषियों पर दूध के टैंकर में पानी का गुप्त चेम्बर बनाकर संघ को 1 करोड़ 19 लाख रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति पहुंचाने का दोष अधिरोपित हुआ और इसका उल्लेख केएस मिश्रा सहायक महाप्रबंधक के प्रतिवेदन में भी हुआ। लेकिन आज तक किसी भी दोषी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई है।
एसीएस के आदेश को नहीं माना एमडी ने
एक बार फिर जब मामला उठा और अपर मुख्य सचिव ने मामले को संज्ञान लेते हुए महासंघ के एमडी शमीमुद्दीन को आदेशित किया कि डॉ.आरके दूरबार की विभागीय जांच कराएं और संघ को 1.19 करोड़ रुपए से अधिक राशि की जो आर्थिक क्षति पहुंची है उसकी वसूली करें, पर एमडी ने उक्त आदेश को तवज्जो नहीं दी और पुन: विभागीय जांच कराने के लिए कोई जांच अधिकारी ही नियुक्त नहीं किया। जानकारी के अनुसार संघ में 2015 के पूर्व से टैंकर के बैरल में दूध घोटाला चल रहा था। डॉ. आर के दूरबार, केएस मिश्रा. जेआर सिंह और तत्कालीन अध्यक्ष धरमवीर वर्मा की मिली भगत का रैकेट था। लेकिन इनके रैकेट का पदार्फाश 8-9 जनवरी 2016 की दरमियानी रात में हुआ। मगर अपने राजनैतिक प्रभाव और रसूख के चलते उक्त दोषी अधिकारियों ने अपने मामले को ठंडे बस्ते में डलवा दिया। उक्त टैंकर घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू और सीबीआई से  कराई जाए तो यह मामला 1 करोड़ 19 लाख 88 हजार 6017 रुपए (खाली एकमात्र टैंकर) की आर्थिक क्षति तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि 40 से 50 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार तक पहुंच सकता है। पशुपालन मंत्री ने 29 नवंबर 2019 में डॉ. दूरबार का स्थानांतरण शहडोल किया।
दोषी होने के बाद भी दमदार
पूरा मामला जब तत्कालीन महासंघ के महाप्रबंधक (एमडी) सोभित जैन के संज्ञान में आया तो उन्होंने सीईओ डॉ. आरके दूरबार, केएस मिश्रा सहायक महाप्रबंधक यांत्रिकी और जेआर सिंह को निलंबित कर दिया। एमडी के आदेश पर जब निलंबित केएस मिश्रा के कारस्तानी की जांच की, तो सीईओ डॉ. आरके दूरबार, केएस मिश्रा सहायक महाप्रबंधक यांत्रिकी और जेआर सिंह की पूरे मामले में संलिप्तता पाते हुए दोषी पाया गया। जांच प्रतिवेदन में संघ को 1.19 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाने का उल्लेख किया गया है। लेकिन उसके बाद मामला दबा दिया गया। इस संदर्भ में अपर मुख्य सचिव पशुपालन विभाग जेएन कंसोटिया का कहना है कि मैंने दोषियों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे।
न विभागीय जांच हुई, न ही ईओडब्ल्यू में केस दर्ज कराया
जानकारी के अनुसार साल 2016 में 8-9 जनवरी की दरमियानी रात की पारी में दुग्ध टैंकर क्रमांक एमपी 04,जीए 7818 में संघ के स्टाफ ने घपलेबाजी को पकड़ा। टैंकर के बैरल में आगे गुप्त चेम्बर बना हुआ था। इस चेंबर में पानी भरा था। चेम्बर के नीचे चैसिस में पानी निकलने का नोजल भी लगा था। स्टाफ ने पंचनामा बनाया। जिसके बाद भोपाल दुग्ध संघ और महासंघ में खलबली मच गई। इसके लिए डॉ.आरके दूरबार, केएस मिश्रा और जेआर सिंह को दोषी पाया गया। मामले को ईओडब्ल्यू भेजने और दोषियों से उक्त राशि की वसूली करने का उल्लेख हुआ। मगर 6 साल बाद भी घपले बाजों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं हुई, न ही अपर मुख्य सचिव के आदेश पर पुनः: विभागीय जांच कराई गई।

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