मप्र की अर्थव्यवस्था को शराब से मिला संबल

अर्थव्यवस्था

– बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़ के ठेकेदार भी हुए नीलामी में शामिल

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना के कारण बदहाल हुई मप्र की अर्थव्यवस्था को शराब से संबल मिला है। प्रदेश में शराब दुकान समूहों की नीलामी जारी है। अभी तक जिन भी जिलों में शराब की दुकानों की नीलामी हुई है, उनमें बीते साल की तुलना में शराब के ठेके 30 प्रतिशत ज्यादा दरों पर गए हैं। यह बात अलग है कि अभी भी पहले दो चरणों वाले जिलों में से कई जिलों में आधे समूह नीलाम नहीं हो पाए हैं। इसके लिए दोबारा नीलामी 15 फरवरी को की जाएगी। इस बार खास बात यह है कि  इंदौर जिले के शराब ठेकों के पहले दो चरणों में धनवर्षा हो गई। यहां शराब दुकान लेने में बिहार, दिल्ली, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ के ग्रुपों ने भी रुचि दिखाई।
पहले चरण में 26 ग्रुपों की शराब दुकानों के ठेके तय हुए, जिसमें आबकारी विभाग को 80 करोड़ की अतिरिक्त आय हुई है। शराब दुकान के ठेकों की आय में इंदौर प्रदेश में सबसे ऊपर है। यहां 664 ग्रुपों में करीब 175 शराब दुकानों की नीलामी के लिए बेस प्राइस 1350 करोड़ तय है, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर 1050 करोड़ के साथ भोपाल है।
भोपाल में शराब से जुड़े कारोबारियों ने शुक्रवार को भोपाल के 33 ग्रुपों की 92 दुकानों के लिए आॅनलाइन बोली में भाग लिया। एमपी नगर, बिट्टन मार्केट और कोलार ग्रुप की दुकानें महंगी होने के चलते इनकी खरीदी में ठेकेदारों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।  शहर की सिर्फ 11 ग्रुपों की दुकानों की खरीद-फरोख्त हो सकी।  
11 समूहों की दुकानों की नीलामी के लिए रिजर्व प्राइस 277 करोड़ रखा था। ये दुकानें 318 करोड़ यानी 35 फीसदी ज्यादा में नीलाम हुई। दरअसल प्रदेश सरकार शराब ठकेदारों की मोनोपॉली समाप्त करने के लिए इस बार ग्रुप बनाकर दुकानों की नीलामी कर रही है। यही नहीं इस बार सरकार द्वारा शराब दुकानों के नए ठेके के लिए दुकानों की रिजर्व प्राइस में भी वृद्धि की गई है। रिजर्व प्राइस अधिक होने की वजह से ही इस बार अब तक जिन जिलों में ठेके हुए हैं उनकी सभी दुकानों के ठेके नहीं हो सके है। अब तक 12 जिलों में जिन दुकानों के ठेके हुए है, वो बीते साल की तुलना में 30 फीसदी अधिक राशि में हुए हैं। भोपाल में 1057 करोड़ वाले 33 ग्रुप में से केवल 11 ग्रुप की दुकानें नीलाम हो सकी है। इनसे 318 करोड़ राजस्व मिलेगा। ये पिछले साल के 234 करोड़ की तुलना में 35 फीसदी ज्यादा है, जो सरकारी रिजर्व प्राइस से 14.47 फीसदी ज्यादा है। इस बार आबकारी विभाग ने 12 हजार करोड़ से ज्यादा की आय होने का आंकलन किया है। यह बात अलग है कि अब तक आधी दुकानों की ही नीलामी हो सकी है। पहले चरण में सागर में केवल 35 प्रतिशत दुकानें गई है। कटनी में 309 करोड़ में अभी तक 75 करोड़ की दुकानें के टेंडर खुले है। दूसरे चरण में भी ऐसी ही स्थिति सामने आई है। भोपाल, सतना, खंडवा, शिवपुरी और छिंदवाड़ा में सभी दुकानें नीलाम नहीं हुई है। सतना में 25 ग्रुप में से 21 ग्रुप पर 72 टेंडर हुए। खंडवा जिले में 22 ग्रुप में से 7 ग्रुपों पर 40 टेंडर खुले हैं। शिवपुरी में 33 में 12 ग्रुप पर टेंडर डले हैं, जो रिजर्व प्राइस से 32 प्रतिशत है। प्रदेश में करीब 1000 हजार शराब दुकान समूह हैं। नीलामी की प्रक्रिया इस माह तक पूरी कर ली जाएगी।                                                                                  

भोपाल के करोंद ग्रुप की दुकानें 51 करोड़ में बिकीं
भोपाल में शराब से जुड़े कारोबारियों ने शुक्रवार को भोपाल के 33 ग्रुपों की 92 दुकानों के लिए आॅनलाइन बोली में भाग लिया। एमपी नगर, बिट्टन मार्केट और कोलार ग्रुप की दुकानें महंगी होने के चलते इनकी खरीदी में ठेकेदारों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। शहर की सिर्फ 11 ग्रुपों की दुकानों की खरीद-फरोख्त हो सकी। इन 11 समूहों की दुकानों की नीलामी के लिए रिजर्व प्राइस 277 करोड़ रखा था। ये दुकानें 318 करोड़ यानी 35 फीसदी ज्यादा में नीलाम हुई। अनुमान के मुताबिक ठेकेदार बड़े ग्रुप कोलार, एमपी नगर, अरेरा, हबीबगंज नाका, पिपलानी और करोंद को लेने में रुचि दिखाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिपलानी और करोंद को छोड़ दे तो अन्य बड़े ग्रुप के लिए ठेकेदारों ने बोली ही नहीं लगाई। नीलामी में महंगा ग्रुप एमपी नगर ग्रुप में जोन 1 व 2, बिट्टन मार्केट और अन्ना नगर का था। इसकी रिजर्व प्राइस 60 करोड़ 8 लाख 24 हजार है। कोलार ग्रुप में कोलार सर्वधर्म, नयापुरा 1 और नयापुरा 2 हैं। इसकी रिजर्व प्राइस 54 करोड़ 28 लाख 54 हजार 481 रुपए रखी गई थी।
दुकानों की नीलामी न होने की यह भी है वजह
ल्ल भोपाल में रीवा जिले की तरह मदिरा दुकानों का री-लोकेशन नहीं किया गया। अगर री- लोकेशन किया गया होता तो अधिक राजस्व मिल सकता था।
ल्ल राजस्व हित में समूह का परिवर्तन भी नही किया गया। जिससे ठेकेदारों में उत्साह नजर नहीं आया।
ल्ल भोपाल के एसी के पास डीसी का प्रभार भी है। जबकि राजधानी होने के कारण डीसी नियुक्त होना चाहिए।
कौन-सा ग्रुप कितने में गया
पिपलानी: पिपलानी, अयोध्या नगर क्र.2, अयोध्या नगर क्र. 1 की शराब दुकानों के लिए 44 करोड़ 24 लाख 91 हजार 43 रुपए आरपी तय की गई। कर्निका ग्रुप ने उच्चतम बोली 49 करोड़ 59 लाख 77 हजार 777 रुपए लगाते हुए इसे ले लिया। इसी तरह से करोंद चौराहा ग्रुप के तहत आने वाली करोंद चौराहा, भानपुर चौराहा, सूखी सेवनिया 42 करोड़ 22 लाख 18 हजार 467 रुपए की न्यूनतम बोली तय की गई थी, जिसे आयुष शर्मा ने 51 करोड़ 31 लाख 99 हजार 999 रुपए में लिया है।
उधर, हबीबगंज फाटक ग्रुप की हबीबगंज फाटक, 11 मील तिराहा और मिसरोद रोड  की दुकानों को 39 करोड़ 29 लाख 92 हजार 192 रुपए की जगह वनिशा मिनरल्स प्रालि ने 4 करोड़ 45 लाख 44 हजार 121 रुपए में लिया है, जबकि आरएस मार्केट ग्रुप की दुकानों में शामिल  आरएस मार्केट, चूनाभट्टी और पंचशील नगर दुकानों को 37 करोड़ 11 लाख 87 हजार 976 रुपए की जगह शिवहरे लीकर्स ने 41 करोड़ 9 लाख 99 हजार 999 रु. में लिया।
गोविंदपुरा ग्रुप के तहत आने वाली  गोविंदपुरा और गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र की दुकानों को नरेन्द्र बिलोहन ने 22 करोड़ 66 लाख 71 हजार 601 रुपए की जगह 23 करोड़ 95 लाख 10 हजार 500 रुपए लिया है। बरखेड़ा पठानी गग्रुप के तहत आने वाली बरखेड़ा पठानी क्र. 2 व  बरखेड़ा पठानी क्र.1 की शराब दुकानों को तय की गई 21 करोड़ 60 लाख 12 हजार 707 की जगह शिवहरे लीकर्स ने 25 करोड़ 90 लाख 94 हजार 455 रु में लिया है। इसी तरह से ग्रामीण इलाकों में शामिल बैरसिया, ईटखेड़ी, झिरनिया , नजीराबाद और पटेल नगर ग्रुप को भी ठेकेदारों द्वारा भी लगभग 11 करोड़ रुपए की अधिक बोली लगाकर अलग-अलग लिया गया है।

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