
- साढ़े तीन हजार से अधिक किसान जमीन देने को राजी नहीं
- लेट हो रहा एक्सप्रेस वे, दिसंबर 2021 तक पूरा होना था जमीनों का अधिग्रहण
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। चंबल अंचल को उत्तर प्रदेश व राजस्थान के मेगा हाईवे से जोड़ने के लिए 6000 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले अटल प्रोग्रेस-वे का रास्ता नहीं खुल पा रहा है। इसकी वजह यह है कि साढ़े तीन हजार से अधिक किसानों ने निजी जमीनों के अधिग्रहण की पूरी कार्रवाई को ऐसा अटका दिया, कि पूरी परियोजना ही लेट होने लगी है।
राजस्थान के हाईवे से जोड़ने के लिए चंबल के भिंड, मुरैना और श्योपुर के बीहड़ों में अटल प्रोग्रेस-वे बनाया जा रहा है। 394 किलोमीटर का यह प्रोग्रेस वे चंबल संभाग के तीनों जिलो में 309 किलोमीटर लंबा होगा। चंबल नदी से डेढ़ किलोमीटर दूर बीहड़ों में बनने वाले प्रोग्रेस-वे के लिए जमीन का अधिग्रहण दिसंबर 2021 तक पूरा कर एनएचएआई को आवंटित करना था, लेकिन निजी जमीनों को देने से 3544 किसान व उनसे जुड़े 10 हजार परिवारों ने मना कर दिया है।
3 से 5 गुना तक मुआवजा की मांग
किसानों का कहना है कि जब केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट में यह शामिल है तो मुआवजा भी उसी के अनुसार 3 से 5 गुना तक होना चाहिए। तीनों जिलों में प्रति हेक्टेयर निजी जमीन की कीमत सरकार ने अलग-अलग तय की है। इसमें तीन लाख रुपए से अधिक का अंतर है। विभागीय सूत्र बता रहे हैं कि निजी भूमि के बदले सरकारी जमीन देने का निर्णय 22 अक्टूबर 2021 को हुआ, जिसमें कहा गया कि प्रभावित निजी भूमि के बदले बराबर दो गुनी राशि की सरकारी जमीन दी जाएगी। ये सब किसानों के साथ बातचीत और सहमति के बाद होना तय किया गया। इसके बाद कुल निजी जमीन 1465 हेक्टेयर में से सिर्फ 494 हेक्टेयर जमीन यानी 34 फीसदी ही भूमि किसानों ने देने पर सहमति दी है।
334 करोड़ रुपए का प्रावधान
किसानों से जमीन लेने के लिए 334 करोड़ रुपए का प्रावधान है। प्रदेश किसान संघ के उपाध्यक्ष व किसानों की लड़ाई लड़ रहे अशोक तिवारी का कहना है कि जब केंद्रीय प्रोजेक्ट है तो मुआवजा 3 से 5 गुना तक मिलना चाहिए। बीहड़ों को किसानों ने कृषि योग्य बनाया है। श्योपुर में अधिग्रहित की जाने वाली जमीन की कीमत 8.16 लाख प्रति हेक्टेयर रखी गई है। कुल निजी भूमि का मूल्य 73.31 करोड़ होगा। मुरैना में 9.05 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से जमीन अधिग्रहित हो रही है। कुल निजी भूमि का मूल्य 41.08 करोड़ होगा। वहीं भिंड में 11.46 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। यहां कुल निजी भूमि का मूल्य 13.07 करोड़ रुपए है। मुरैना के जिन 73 गांवों के 5074 किसानों की 449 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना था, उसमें से 10 गांव गोंदोली, गाजीखेड़ा, पलारी, कड़ावना, बनवारा, खाण्डोली, बिण्डवा चंबल, पिपरई, मसूदपुर, और लुधावली के किसान जमीन देने को राजी नहीं हैं। इन गांवों में 106 हेक्टेयर जमीन निजी क्षेत्र की है। इन गांवों के 850 से ज्यादा किसान जमीन के बदले दोगुनी जमीन देने के बावजूद राजी नहीं हो रहे हैं। जमीन का निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को धमकाकर गांव से लौटाया तक गया है। इस कारण प्रोग्रेस-वे का काम अटक गया है।