
पुलिस अपने ही अफसरों की पिटाई करने वालों को नहीं दिला पायी सजा
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश की पुलिस की लापरवाही जहां पीड़ित पक्ष के लिए मुसीबत बन रही है तो वहीं आरोपियों की मददगार साबित हो रही है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इसका खुलासा खुद व खुद गंभीर और संगीन अपराधों के मामलों में आरोपियों को सजा न होने से हो रहा है। इस मामले में अब सरकार से लेकर शासन तक पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली से बेहद नाराज है। यही वजह है कि आरोपितों को सजा नहीं मिल पाने की वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक को गहरी नाराजगी तक जाहिर करनी पड़ गई। उनकी नाराजगी के बाद अब सक्रिय हुए गृह विभाग ने दस चुनिंदा प्रकरणों की समीक्षा की है। इसमें पेटलावद विस्फोट, रीवा में पुलिस दल पर हमले और बालाघाट में बच्चियों के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने के प्रकरण शामिल हैं। यह वे प्रकरण हैं जिनमें आरोपी बरी हो चुके हैं। इन मामलों की समीक्षा के दौरान अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने भी जांच अधिकारियों के प्रति बेहद नाराजगी जताई है।
उनकी नाराजगी इससे ही समझी जा सकती है कि उनके द्वारा इन मामलों में पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी और संचालक अभियोजन से सात दिन में जांच रिपोर्ट तक तलब कर ली गई है। एसीएस गृह द्वारा की गई समीक्षा में पता चला है कि पेटलावद विस्फोट मामले की जांच में कई तरह की गंभीर लापरवाहियां बरती गई हैं। इन खामियों का फायदा आरोपितों को मिला है। मामले की जांच में प्रकरण की गंभीरता को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। हद तो यह हो गई जब राजौरा मामले की समीक्षा करने पहुंचे तो बैठक में पुलिस अधीक्षक और एसआईटी की प्रमुख तो मौजूद थीं, लेकिन कार्यालय में होने के बाद भी कलेक्टर तब पहुंचे जब बैठक समाप्त होने वाली थी। इस पर भी अपर मुख्य सचिव ने अप्रसन्नता जताते हुए उनसे बात तक नहीं की। इसी तरह से रीवा में तलाशी अभियान के समय हुए हमले में चार पुलिस अफसर घायल हो गए थे। इस मामले में भी पुलिस गंभीरता नहीं दिखा सकी। फलस्वरुप सभी आरोपी बरी हो गए। इसका पता चलने पर राजौरा ने यह कहते हुए नाराजगी जताई की इससे पुलिस की गंभीरता का पता चलता है। दरअसल इस मामले में पुलिसकर्मी ही अपने बयानों से पलट गए। बालाघाट के थाना कोतवाली क्षेत्र में दो छोटी बच्चियों के साथ पड़ोसी द्वारा अप्राकृतिक कृत्य के मामले में भी लापरवाहीपूर्ण विवेचना का लाभ आरोपितों को मिला। इसी तरह अन्य प्रकरणों में भी विवेचना कमजोर रही।
बैठक में पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए गए कि इन प्रकरणों में सात दिन में जांच कर दोषी अधिकारियों को चिह्नित किया जाए ताकि आगामी कार्रवाई के संबंध में निर्णय लिया जा सके। साथ ही यह भी तय किया गया कि अब प्रतिमाह दस तारीख को गंभीर व चिह्नित अपराधों को लेकर गृह विभाग द्वारा समीक्षा की जाएगी।
इस तरह की रही लापरवाही
रीवा के शाहपुर थाना क्षेत्र में एक घर पर तलाशी लेने गई पुलिस टीम पर चार आरोपियों ने हमला बोल दिया था। इस हमले में दो उप पुलिस अधीक्षक और दो निरीक्षक घायल हो गए थ। न्यायालय में इन घायल पुलिस अफसरों के साथी अपने बयानों से ही पलट गए। वे न्यायालय को पूरा घटनाक्रम तक नहीं बता सके। इसकी वजह से हमलों के आरोपियों को बरी कर दिया गया। इसी तरह से पेटलावद विस्फोट में 79 व्यक्तियों की मौत हुई थी। यह विस्फोट अवैध रूप से जिलेटिन छड़ और डेटोनेटर के भंडारण की वजह से हुआ था। एसआईटी की जांच में इतनी कमियां थीं कि आरोपी बरी हो गए।