
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांगे्रस छोड़ भाजपा में आने के बाद से प्रदेश की राजनीति का प्रमुख केन्द्र ग्वालियर बन गया है। राजधानी होने के बाद भी भाजपा की राजनीति में जितनी सरगर्मी नहीं रहती है उससे अधिक ग्वालियर में दिखती है। इस जिले में अब भाजपा के तीन नेताओं में अपनी-अपनी पकड़ साबित करने की होड़ सी दिखना शुरू हो गई है। हालात यह हैं कि हाल ही में एक सप्ताह में तीन दिग्गज भाजपाईयों ने कार्यकर्ताओं के लिए अलग-अलग भोज का आयोजन कर डाला। अब इस तरह के भोज देने के मामलों में तरह-तरह की चर्चाएं चल निकली हैं। दरअसल अभी प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में दो साल का समय है। इसके बाद भी एक के बाद एक भोज दिए जाने से एक बार फिर सियासी सरगर्मीयां बढ़ गई हैं। शहर में कार्यकर्ताओं के लिए भोज देने की शुरूआत केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा की गई।
उनके भोज देने की वजह तो यह बताई जा रही है कि वे चाहते थे कि अपने पुराने समर्थकों के साथ ही भाजपा के कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर सभी से परिचय कर सकें। उनके द्वारा कार्यकर्ताओं के लिए भोज का आयोजन बंधन वाटिका में रखा गया था। इस भोज में सिंधिया समर्थक मंत्री भी शामिल हुए। दरअसल भाजपा में आने के बाद से ही श्रींमत अपने गृह जिले के अलावा पूरे प्रदेश में पुराने भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बनाने में लगे हुए हैं। इसकी शुरुआत उनके द्वारा भाजपा में आने के कुछ दिनों बाद से ही कर दी गई थी। इसके तहत उनके द्वारा स्थानीय राजनीति में धुर विरोधी माने जाने वाले नेताओं से मिलने न केवल उनके घर गए , बल्कि हर दौरे में उनके प्रभाव के हिसाब से उनके इलाकों में भी साथ लेकर चल रहे हैं। भाजपा में आने के बाद श्रीमंत पवैया, नरोत्तम मिश्र, सांसद विवेक शेजवलकर, पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी जैसे दिग्गज नेताओं के घर पर जाकर भी मिल चुके हैं । यही नहीं वे भाजपा के संभागीय संगठन मंत्री से मिलने पार्टी के जिला मुख्यालय मुखर्जी भवन भी गए। इसके अलावा वे इलाके के जिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने कोरोना में आने परिजनों को खोया है उनके घर पर भी बैठने जाने से भी नहीं चूके। यही नहीं समजंस्य बनाने के लिए सिंधिया ने अपने द्वारा दिए गए भोज में समर्थकों की अपेक्षा भाजपा कार्यकर्ताओं को अधिक तबज्जो दी। इसके लिए वे अपने साथ कांग्रेस छोड़कर आए कार्यकर्ताओं की जगह भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं से अधिक मेल- मुलाकात करते देखे गए। यही नहीं पुराने बड़े भाजपाई नेता जयसिंह कुशवाह एवं वेदप्रकाश शर्मा से हालचाल पूछा तो भाजपा के वार्ड स्तर के कार्यकर्ताओं तक से भी अंतरंगता से मिलने में पीछे नही रहे। खास बात यह है कि वे जब दशहरा मनाने दिल्ली से ग्वालियर आए तो एयरपोर्ट के बाहर उनके द्वारा मोहनसिंह राठौड़ व रामवरण सिंह जैसे अपने कट्टर समर्थकों की जगह नरेन्द्र सिंह तोमर के बेहद करीबी राकेश जादौन को कार में बिठाया गया और उनसे एकांत में चर्चा भी की गई।
पवैया ने दशहरे के अगले दिन दिया भोज
प्रदेश की राजनीति में हिन्दूवादी नेता जयभान सिंह पवैया की अपने ही दल के नेता नरेन्द्र सिंह तोमर व श्रीमंत का स्थानीय राजनीति में घोर विरोधी माना जाता है। श्रीमंत के कांग्रेस में रहने के दौरान तक तो पवैया विरोध के झंडावरदार के रुप में पहचाने जाते रहे हैं। पवैया द्वारा भी दशहरे के अगले ही दिन महाआरती एवं भोज का बड़ा आयोजन कर डाला गया। वे बीते तीन सालों से विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही राजनीतिक रुप से गुमनामी में चले गए थे। उन्हें हाल ही में पार्टी ने महाराष्ट्र प्रदेश भाजपा का संगठन सहप्रभारी बनाकर भेजा है। इसके बाद भी वे खुद की भविष्य की राजनीति को लेकर अपनी जमीन बचाए रखने के लिए ग्वालियर में सक्रिय बनाए रखे हुए हैं। माना जा रहा है कि यही वजह है कि उनके द्वारा इस बार दीपावली के बाद अपने घर पर भव्यता के साथ गोवर्धन पूजा के आयोजन के पहले ही दशहरे के दूसरे दिन ग्वालियर मेला परिसर में महाआरती एवं भोज जैसा आयोजन किया गया। इसके बाद से ही तरह -तरह के कयासों का दौर जारी है। अब स्थानीय तीन दिग्गजों के इन भोजों को लेकर राजनैतिक रूप से अलग- अलग निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
तीसरे दिन तोमर ने भी दिया भोज
श्रीमंत द्वारा दिए गए भोज के तीसरे ही दिन केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा भी भोज का आयोजन किया गया। उनके द्वारा यह भोज अपने गृह क्षेत्र मुरार में रखा गया। जिसमें उनके द्वारा अपने समर्थकों के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को भी बुलाया गया था। इस भोज को लेकर तोमर के समर्थकों द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि तोमर अपनी राजनैतिक व्यस्तताओं की वजह से अपने पुराने मित्रों, सहपाठियों से नहीं मिल पाए थे, इसलिए कार्यकर्ता भोज के बहाने उनसे मुलाकात का आयोजन किया गया है। यही नहीं उनके द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि इस आयोजन की तैयारी उनके द्वारा श्रीमंत के भोज से पहले ही कर ली गई थी। यह संयोग ही है कि इन दोनों कार्यकर्ता भोज की तारीखों में महज दो दिन का अंतर रहा। यह बात अलग है कि राजनैतिक पंडितो द्वारा इसे नेताओं के रसूख को बनाए रखने से जोड़कर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि तोमर फिलहाल ग्वालियर की जगह मुरैना से सांसद हैं।