
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। संघ द्वारा जिन आधा दर्जन प्रचारकों को भाजपा में भेजा गया था, उनमें से कई की कार्यप्रणाली ऐसी रही की संघ उनसे बेहद नाराज चल रहा था। इसके चलते उन सभी को संभागीय संगठन मंत्री के पद से हटाते हुए यह व्यवस्था ही समाप्त कर दी गई है। इन सभी को वीडी की पंसद के चलते अब प्रदेश संगठन में कार्यसमिति सदस्य बनाकर समायोजित कर दिया गया है।
इन पुराने चेहरों को समायोजित करने के मामले में वीडी ने बड़ा दिल दिखाया है। वैसे भी वीडी और हटाए गए सभी संभागीय संगठन मंत्री एक ही संघ की पाठशाला से निकले हुए हैं। मध्यप्रदेश भाजपा के संगठन में बीते कई सालों से संभागीय संगठन मंत्री तैनात करने की परंपरा चली आ रही थी। यह पद समाप्त करने की कवायद तो बीते तीन सालों से की जा रही थी, लेकिन इस बीच कुछ न कुछ ऐसा चलता रहा कि उन्हें हटाया नहीं जा सका।
इन नेताओं को फिलहाल संघ ने बतौर प्रचारक वापस नहीं बुलाया है। इन्हें अब प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बनाकर उनके गृह क्षेत्र भेज दिया है। उल्लेखनीय है कि कुछ सालों पहले भाजपा ने जिला संगठन मंत्री का पद भी समाप्त कर दिया था। कहा तो यह जा रहा है कि अब पार्टी में नए सिरे से संघ की रचना के हिसाब से प्रांतीय संगठन मंत्रियों की तैनाती की जाएगी।
सूत्रों की माने तो भाजपा द्वारा इन पदों को समाप्त करने की वजह है संभागीय संगठन मंत्रियों का सत्ता और संगठन में लगातार बढ़ता हस्तक्षेप। इसकी वजह से वे संगठन व सत्ता के केन्द्र बिन्दु बन गए थे। हालत यह हो गई थी कि विधायकों से लेकर कार्यकर्ताओं और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर इनका प्रभाव ऐसा हो गया था कि पार्टी स्तर पर यह बड़ा फैसला करना पड़ा है। यह बात अलग है कि पार्टी इसे संगठन स्तर पर हुए बदलाव और संगठन को मजबूत बनाने की नई रणनीति बता रहे है।
कौन कहां था तैनात
संभागीय संगठन मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभालने वालों में जयपालसिंह चावड़ा के पाास इंदौर संभाग, शैलेंंद्र बरूआ के पास जबलपुर और नर्मदापुरम, श्याम महाजन के पास रीवा और शहडोल, जितेंद्र लिटोरिया के पास उज्जैन, आशुतोष तिवारी के पास ग्वालियर और भोपाल तथा केशवसिंह भदौरिया के पास सागर और चंबल की जिम्मेदारी थी। इनमें से अब अधिकांश प्रचारक की जगह गृहस्थ हो चुके हैं। पार्टी नेताओं के मुताबिक अब मध्य भारत प्रांत, महाकोशल और मालवा के लिए तीन प्रांतीय संगठन मंत्री तैनात किए जाएंगे। फिलहाल पार्टी विचार कर रही है कि प्रांतीय संगठन मंत्री के पद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों को ही तैनात किया जाए। प्रचारक नहीं मिलने पर अन्य नेताओं के नाम पर विचार किया जाएगा। प्रांतीय संगठन मंत्रियों के मुख्यालय संबंधित प्रांत में ही रखे जाएंगे।
इस तरह की मिल चुकी हैं शिकायतें
कहा जा रहा है कि इन्हें हटाने के पीछे की मुख्य वजहों में उनके खिलाफ लंबे समय से मिल रही शिकायतें भी थीं। उज्जैन के एक संगठन मंत्री का अश्लील वीडियो भी सामने आ चुका था। इसके अलावा कई जगह के कार्यकर्ताओं ने संगठन में नियुक्ति में भेदभाव से लेकर कई अन्य तरह की शिकायतें भी इनके खिलाफ की थीं। खास बात यह है कि जब इन लोगों को हटाया गया , उस समय जबलपुर के संभागीय संगठन मंत्री शैलेंद्र बरुआ संगठन की बैठक ले रहे थे।
दो को मिल सकती है निगम मंडल की कमान
पार्टी सूत्रों का कहना है कि हटाए गए इन संभागीय संगठन मंत्रियों में से दो को निगम मंडल की कमान दी जा सकती है। इसकी वजह है उनका काम बहुत अच्छा होना। पुरानी व्यवस्था समाप्त होने की वजह से उन्हें भी हाटाना पड़ा है, जिसकी वजह से उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए सत्ता व संगठन में सहमति बन चुकी है। माना जा रहा है कि इन दो नामों का चयन आशुतोष तिवारी, शैलेंद्र बरूआ और जितेंद्र लिटोरिया के बीच में से किया जाएगा।