चीतों के नए आवास के लिए दो अभ्यारण्यों को किया जाएगा मर्ज

 टाइगर

– नौरादेही को किया जाएगा वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में मर्ज

भोपाल/गौरव चौहान/  बिच्छू डॉट कॉम। जल्द ही चीतों का देश में दूसरा आवास भी मध्यप्रदेश में बनने जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश टाइगर के साथ ही लेपर्ड स्टेट का दर्जा भी हासिल कर लेगा। दरअसल प्रदेश के ही श्योपुर जिले के कूनो पार्क में नामीबिया से लाकर आठ चीतों को बसाया गया है। अब इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से भी चीता लाने की कवायद जारी है।
यह चीता प्रदेश के ही वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बसाने की योजना पर काम तेजी से किया जा रहा है। इसके लिए दो अभ्यारण्यों को एक दूसरे में मर्ज करने की योजना बनाई गई है। इसमें सागर जिले में स्थित नौरादेही और नरसिंहपुर जिले में स्थित वीरांगना दुर्गावती वन्यप्राणी अभ्यारण्यों को मिलाकर वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी है। प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को मप्र राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। गौरतलब है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा जा रहा है। इसके बदले वीरांगना रानी दुर्गावती और नौरादेही अभ्यारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने पर सहमति बनी है। इसके लिए केंद्रीय जल शक्ति विभाग द्वारा बजट दिया जा रहा है। इन दोनों ही अभ्यारणों के मर्ज होने से नए टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्र 2339 वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। इसकी वजह से चीतों को रहवास के लिए अधिक जगह मिल सकेगी।  
नौरादेही अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व के लिए मुफीद
राष्ट्रीय बाघ परियोजना के सफल क्रियान्वयन के बाद नौरादेही अभ्यारण्य में बाघों का कुनबा बढ़ गया है और इनकी संख्या 9 हो गई है। लेकिन अभी तक नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की अनुमति नहीं मिली है। वन्य जीव प्रेमी और संस्थाएं नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व के मुफीद नहीं पाते। इन जानकारों का कहना है कि नौरादेही अभयारण्य में काफी संख्या में आबादी है और अगर यहां टाइगर रिजर्व बनाया जाता है तो टाइगर और आबादी दोनों के लिए खतरा पैदा होगा। हालांकि वन विभाग का कहना है कि, अभ्यारण्य के अंदर मौजूद गांव के विस्थापन की प्रक्रिया लगातार जारी है और आज की स्थिति में करीब 750 वर्ग किमी क्षेत्रफल आबादी विहीन हो चुका है। विस्थापन की प्रक्रिया लगातार जारी रहने के कारण जल्द ही पूरा अभ्यारण्य आबादी विहीन हो जाएगा। प्रदेश के सबसे बड़े अभ्यारण का दर्जा नौरादेही के पास है। यह अभ्यारण्य सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैला है। इसका क्षेत्रफल 1197 वर्ग किमी है। प्रदेश के सबसे बड़े अभ्यारण्य होने के साथ-साथ यह राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पर  महज 3 सालों में बाघों की संख्या 9 पहुंच चुकी है। 1197 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले नौरादेही और 24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले दमोह के रानी दुर्गावती अभ्यारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव जनवरी 2022 में राज्य सरकार को भेजा जा चुका है। यहां पर बाघिन राधा और बाघ किशन ने बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ाया है। इनमें से कान्हा नेशनल पार्क से 2018 में बाघिन राधा को और बांधवगढ़ से बाघ किशन को नौरादेही अभ्यारण्य में छोड़ा गया था। मई 2019 में राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया था, जिनमें दो मादा और एक नर है। वहीं नवंबर 2021 में राधा ने दो और शावकों को जन्म दिया, इसके बाद एक नया बाघ नौरादेही अभ्यारण्य में मेहमान के तौर पर डेरा जमाए हुए हैं। इस तरह से नौरादेही अभ्यारण्य में बाघों की कुल संख्या 10 तक पहुंच चुकी है।
विस्थापन की बड़ी समस्या
नौरादेही अभ्यारण्य की मौजूदा स्थिति में 3 जिलों के 76 गांव आते हैं। इनमें से 56 गांव अभ्यारण्य और 20 गांव अभ्यारण्य के कोर एरिया में है। हालांकि विस्थापन की प्रक्रिया लगातार जारी है और मौजूदा स्थिति में करीब 35 गांव खाली कराए जा चुके हैं और बाकी बचे गांव में विस्थापन की प्रक्रिया चलाई जा रही है। कई गांव के लोग अभी भी अपना गांव और जमीन छोड़ने  के लिए तैयार नहीं है। वहीं वन विभाग का कहना है कि हमारे पास अभ्यारण्य के क्षेत्रफल का दो तिहाई हिस्सा पूरी तरह से आबादी विहीन है।
14 गांव के किसानों के खेत होंगे बाहर
धार-झाबुआ जिले में स्थित खरमोर अभ्यारण्य से 14 गांव की उस भूमि को बाहर किया जा रहा है। जिसमें किसान खेती करते हैं। यह उनकी निजी भूमि है पर खरमोर पक्षी के संरक्षण के लिए इसे मिलाकर अभ्यारण्य बना दिया गया था करीब 20 साल से इन ग्रामों के लोग अपने खेतों को अभयारण्य से बाहर करने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि अभ्यारण्य पर वन्यप्राणी संरक्षण नियम लागू हैं। इसलिए किसान इस क्षेत्र में भूमि बेच और खरीद नहीं पा रहे हैं। वन विभाग ने इसका परीक्षण कराया तो पाया कि इन ग्रामों से सटी अभ्यारण्य की भूमि में पिछले 10 साल से खरमोर नहीं देखे गए हैं।  ऐसे ही हालात रतलाम जिले के सैलाना अभ्यारण्य के हैं। 1296.541 हेक्टेयर क्षेत्र वाले इस अभ्यारण्य का 304.35 हेक्टेयर क्षेत्र बाहर किया जा रहा है।  इसके बदले 490.39 हेक्टेयरक्षेत्र जोड़ा जा रहा है।

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