टीएंडसीपी को 60 दिन में देना होगा साइट प्लान की अनुमति

टीएंडसीपी

-मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बड़ा फैसला सुनाया

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। शहर में कोई भी कॉलोनी काटने के पहले टीएंडसीपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) से अनुमति लेना जरूरी होता है। लेकिन देखा गया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत अभिन्यास (साइट प्लान) पर टीएंडसीपी समय पर निर्णय नहीं लेता है। इस संदर्भ में मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि साइट प्लान की अनुमति हर हाल में 60 दिन में देना होगा। अगर याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत अभिन्यास (साइट प्लान) पर 60 दिन तक कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो ऐसे में आवेदन स्वत: ही स्वीकृत माना जाएगा।
गौरतलब है कि विभाग दस्तावेज के आधार पर अनुमति जारी करता है। कॉलोनी को लेकर किसी को आपत्ति है तो उसे विभाग में आवेदन लगाना होता है। आपत्ति पर डॉक्यूमेंट के आधार पर विभाग जांच करता है और दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला लेता है। यदि दस्तावेज सही  नहीं होते हैं तो कॉलोनी की अनुमति निरस्त की जा सकती है। लेकिन टीएंडसीपी में ऐसा नहीं हो रहा है। लोगों द्वारा आपत्ति लगाने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। अब तक कई मामलों में ऐसा हो चुका है।
दो याचिकाकर्ताओं के मामले में सुनवाई पर अहम निर्देश:  मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने दो याचिकाकर्ताओं के मामले में सुनवाई करते हुए अहम निर्देश दिया है। पहला मामला ग्राम टिगरिया बादशाह की 3.758 हेक्टेयर भूमि का है। मास्टर प्लान 2021 में इस भूमि का उपयोग आवासीय है। याचिकाकर्ता मनोज कुमार ने 26 फरवरी 2020 को नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत कर इस जमीन पर आवासीय अभिन्यास स्वीकृत करने के लिए आवेदन दिया था। जब इस आवेदन पर टीएंडसीपी ने कोई निर्णय नहीं किया तो याचिकाकर्ता ने वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्रसिंह छाबड़ा और एडवोकेट मुदित माहेश्वरी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। याचिका लंबित रहने के दौरान ही 24 फरवरी 2021 को नगर तथा ग्राम निवेश ने उक्त आवेदन निरस्त कर दिया। इस पर याचिकाकर्ता ने याचिका में संशोधन करते हुए तर्क रखा कि नगर तथा ग्राम निवेश ने आवेदन प्रस्तुति से 60 दिन में कोई निर्णय नहीं किया है इसलिए उनका आवेदन स्वत: स्वीकृत माना जाए। हाई कोर्ट की एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए माना कि नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के प्रावधानों के तहत अभिन्यास के संबंध में प्रस्तुत आवेदन 60 दिन में निराकृत नहीं होने पर स्वत: अनुमति मिल जाती है। एडवोकेट माहेश्वरी ने बताया कि कोर्ट ने टीएंडसीपी से उक्त भूमि के संबंध में अनुमति जारी करने के आदेश दिए हैं।
आवेदन स्वत: ही स्वीकृत माना जाएगा
नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के प्रविधानों को लेकर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने माना कि नगर तथा टीएंडसीपी ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत साइट प्लान पर 60 दिन तक कोई निर्णय नहीं लिया ऐसे में आवेदन स्वत: ही स्वीकृत माना जाएगा। कोर्ट ने नगर तथा ग्राम निवेश को याचिकाकर्ता के पक्ष में अनुमति जारी करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकार किसी पुराने लैंड यूज को फिर से लागू करना चाहती है तो यह सिर्फ सात वर्ष के लिए ही हो सकता है। इसके बाद लैंड यूज नए मास्टर प्लान के हिसाब से ही रहेगा।

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