
- तेजी से बढ़ने लगी हैं कीमतें
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। विश्वभर में प्रसिद्ध प्रदेश के शरबती और चंदौसी गेहूं की किस्मों की इस बार सूरत बिगड़ गई है। इसकी वजह है बेमौसम हुई बारिश और ओला वृष्टि। इसकी वजह से इस बार इन दोनों किस्मों के खराब हुए गेहूं का खामियाजा किसानों के साथ ही आम लोगों को भी उठाना पड़ेगा। दरअसल प्रदेश में हाल ही में करीब 21 जिलों में बारिश व ओलों ने फसलों को जमकर नुकसान पहुंचाया है। इस मामले में कृषि विभाग का कहना है कि विदिशा , निवाड़ी और सीहोर जिले के अलावा कई जिलों में किसानों को ज्यादा नुकसान हुआ है। इसका असर अभी से बाजार में नजर आने लगा। गेहूं-आटा के दाम बढ़ने लगे हैं और अच्छी गुणवत्ता के गेहूं की कीमत में तेजी से वृद्धि होना शुरू हो गई है। अगर इंदौर की दो प्रमुख अनाज मंडियों संयोगितागंज और लक्ष्मीबाई अनाज मंडी की बात की जाए तो वहां पर दो दिन पहले 25 हजार बोरी से ज्यादा गेहूं बिक्री के लिए आया। खास बात यह है कि इसमें से महज 10 फीसदी गेहूं ही अच्छी क्वालिटी वाला गेहूं आया। कारोबारी और दलाल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हीरालाल अग्रवाल के अनुसार, शनिवार से सोमवार के बीच ही तीन दिनों में गेहूं के दामों में 100 से 200 रुपये का उछाल आ गया था। दामों में ज्यादा बढ़ोतरी अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं जो आम उपभोक्ता खरीदते हैं, उसमें हो रही है। चाहे वह लोकवन हो, चंदौसी हो या पूर्णा किस्म का गेहूं। लोकवन गेहूं जो बारिश का दौर शुरू होने के पहले और नई फसल की शुरुआत में 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा था अब फिर से 2600 रुपये हो गया है।
देश भर में होती है प्रदेश के गेहूं की खरीद
मप्र में रबी के सीजन में पंजाब, हरियाणा जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के मुकाबले कम सर्दी होती है, ऐसे में हमारे प्रदेश के गेहूं की चमक ज्यादा अच्छी होती है। इसी सुनहरे रंग के कारण मप्र का गेहूं अब पूरे देश में बिकने लगा। इस वर्ष गेहूं की फस्ल बेहद अच्छी थी , लेकिन अब हाल ही में हुई बरसात ने प्रदेश में गेहूं की गुणवत्ता खराब कर दी है। पानी लगने से गेहूं का रंग और चमक फीकी पडऩे लगी है। एक व्यवसायी के मुताबिक अच्छे गेहूं की कमी की वजह से आटा के दाम भी सोमवार से बढ़ने लगे हैं। मिलों ने अपनी आपूर्ति 2600 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम दाम से शुरू की है। पहले गेहूं का अच्छा उत्पादन देखकर उम्मीद थी कीमतें कम होंगी, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता।
अच्छी किस्म को गेहूं 3000 रुपये क्विंटल
मंडी के कारोबारियों के अनुसार, ताजा स्थिति से लग रहा है कि चंदौसी और अन्य अच्छी गुणवत्ता वाला गेंहू जिसे उपभोक्ता वार्षिक संग्रहण के लिए खरीदते हैं, वह इस सीजन में भी 3000 रुपये प्रति क्विंटल या उससे ज्यादा की कीमत पर ही मिलना तय है। गौरतलब है कि बीते साल रूस-यूक्रेन युद्ध के दौर में वैश्विक अनाज संकट और भारत से बड़े निर्यात से दाम बढ़े थे। लेकिन इस वर्ष निर्यात बंद होने और अच्छी फसल होने के बाद भी बरसात के असर से गेहूं के दाम ऊंचे रहेंगे। पानी लगा गेहूं समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीदी और आटा मिलों में अपेक्षाकृत कम दामों पर बिकेगा।