
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इन दिनों भले ही तबादलों का मौसम सरकार ने घोषित कर रखा है ,लेकिन त्योहारी सीजन में तबादलों पर लगी रोक हटने के बाद भी सीएम समन्वय का बोझ तबादलों को लेकर कम नहीं हो रहा है। इसकी वजह है, तबादलों को लेकर मंत्रियों के बीच समन्वय का न बन पाना। यही वजह है कि अधिकांश मंत्री अपने करीबियों के दूसरे विभागों में तबादले कराने के लिए सीएम समन्वय का सहारा ले रहे हैं। दरअसल प्रदेश में इन सरकार ने 17 सितंबर से 5 अक्टूबर की अवधि के लिए तबादलों के लिए छूट दी हुई है। इस अवधि में विभागीय मंत्रियों को अपने विभागों के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के तबादले करने के अधिकार मिले हुए हैं। इसके बाद भी तबादलों के मामले सीएम समन्वय में लगातार भेजे जा रहे हैं। इसकी वजह से तबादलों में मिली छूट के बाद भी सीएम समन्वय में तबादलों को लेकर काम कम नहीं हो पा रहा है। उधर, त्यौहारी सीजन होने के बाद भी तबादलों को लेकर मंत्रियों के बंगलों पर नेताओं, विधायक और कार्यकर्ताओं की भीड़ लगने लगी है। इनमें नेता व कार्यकर्ता सबसे अधिक परेशान उन तबादलों को लेकर हैं, जो स्थानीय मंत्रियों व प्रभारी मंत्रियों के विभागों से अलहदा हैं। इसकी वजह है मंत्रियों के बीच समन्वय के अभाव की वजह से मंत्री एक दूसरे मंत्री की सिफारिशों को तबज्जो नहीं दे रहे हैं। इसकी वजह से अधिकांश मंत्रियों को सीएम समन्वय में मजबूरी में जाना पड़ रहा है। दरअसल प्रदेश में लागू की गई नई तबादला नीति के तहत 5 अक्टूबर तक के लिए ट्रांसफर पर लगे प्रतिबंध को हटाया गया है। इस नीति में किए गए प्रावधानों के तहत प्रत्येक विभाग को अपनी प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्वीकृत पदों की संख्या से 5 से लेकर 20 प्रतिशत तक अधिकारियों तथा कर्मचारियों के ट्रांसफर करने की सीमा तय की गई है। इसका अधिकार विभाग के मंत्रियों को दिया गया है। लेकिन अधिकांश मंत्री नीति का पालन करने की अपेक्षा दूसरे विभाग में ट्रांसफर करवाने की अनुशंसा विभागीय मंत्री से करने की अपेक्षा सीएम समन्वय में अपनी सूची भेजने में लगे हुए हैं। यह बात अलग है कि इन आनेक वाली अनुशंसाओं को भी सीएम सचिवालय द्वारा संबंधित मंत्रियों को ही भेजा जा रहा है। इसके पीछे सचिवालय का तर्क है कि 5 अक्टूबर तक मंत्रियों को ही अधिकार है, प्रस्ताव संबंधित विभाग के मंत्री को ही भेजा जाए।
मंत्री भूपेंद्र सिंह, भार्गव और यादव ने की सिफारिश
भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने 5 डीएसपी, 3 टीआई, पीडब्ल्यूडी विभाग के कुछ इंजीनियरों के ट्रांसफर करने की अनुशंसा गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव से की थी, लेकिन भूपेंद्र सिंह द्वारा की गई अनुशंसाओं को तवज्जो ही नहीं दी गई, जिसके बाद करीब 16 अधिकारियों के ट्रांसफर करने की सिफारिश उनके द्वारा मुख्यमंत्री समन्वय को भेज दी गई। इसी तरह उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी नगरीय प्रशासन विभाग में कुछ सीएमओ को बदलने की अनुशंसा मंत्री भूपेंद्र सिंह से की थी, लेकिन मंत्री के स्टाफ ने इस अनुशंसा पर गौर ही नहीं किया। इसके अलावा आरईएस के इंजीनियरों तथा जनपद सीईओ को बदलने के लिए पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव द्वारा की गई अनुशंसा को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने भी ध्यान नहीं दिया है। इसकी वजह से यह तो तय है कि मंत्रियों के बीच आपसी समन्वय नहीं है। यानी एक मंत्री, दूसरे मंत्री की अनुशंसा पर ट्रांसफर करने को तैयार नहीं है, जिसके कारण मंत्रियों का स्टाफ और विशेष सहायक सीएम समन्वय में ट्रांसफर करवाने के प्रयासों में जुटे रहते हैं।
बड़े विभागों में तबादलों का इंतजार
अभी तक बड़े विभाग स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह विभाग, फॉरेस्ट, पीडब्ल्यूडी, नगरीय विकास, जनजातीय कार्य, महिला बाल विकास, वाणिज्यिक कर, पीएचई आदि में ट्रांसफर की सूची जारी नहीं हुई है। इससे अटकलें लगाई जा रही है कि तारीख 5 अक्टूबर से भी आगे बढ़ सकती है।