शिव-वीडी और संघ का समन्वय उतरा वादों पर खरा

शिव-वीडी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। बीते एक साल से सत्ता व संगठन के बीच प्रदेश में रिक्त पड़े निगम मंडलों में की जाने वाली राजनैतिक नियुक्तियों को लेकर चल रहे मंथन से आखिर अमृत निकल ही आया है। इस अमृत के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और संघ के बीच के बेहतर समन्वय को माना जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में पहली बार एक साथ दो दर्जन से अधिक नेताओं को सत्ता में भागीदारी देने के लिए आदेश जारी किए गए हैं। इसमें जहां प्रदेश में सरकार बनावाने के लिए दलबदल के समय किए गए वादे को पूरा किया गया है तो वहीं पार्टी में प्रदेश के बड़े नेताओं के समर्थकों को भी भागीदारी दी गई है। इस सूची में कुछ नाम ऐसे भी हैं जिसकी वजह से नरोत्तम मिश्रा और भूपेन्द्र सिंह की ताकत भी दिखी है तो वहीं सर्वाधिक केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के समर्थकों को निराशा हाथ लगी है। माना जा रहा है कि अब इसके बाद करीब एक दर्जन अन्य विकास प्राधिकरणों की बारी का इंतजार किया जाने लगा है।
इस मामले में संघ के अलावा श्रीमंत ही ऐसा नेता रहे हैं जिनके सर्वाधिक समर्थकों को मौका दिया गया है। खास बात यह है कि इस सूची में जिन पूर्व संगठन मंत्रियों को जगह दी गई है उनमें श्याम महाजन और केशव सिंह भदौरिया का नाम शामिल नहीं है। जबकि उनके साथ ही काम कर रहे अन्य संगठन मंत्रियों में शामिल रहे शैलेन्द्र बरुआ, जीतेन्द्र लटोरिया, आशुतोष तिवारी और जयपाल चावड़ा राजनैतिक नियुक्तियां पाने में सफल रहे हैं। इसी तरह से इस पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती समर्थक पूर्व विधायक नरेन्द्र बिरथरे और शैलेन्द्र शर्मा भी मुख्य धारा में आने में सफल रहे हैं। सरकार ने नियुक्तियों में जातिगत समीकरणों को साधने के साथ ही वरिष्ठ नेताओं के समर्थकों का भी ध्यान रखा है। प्रदेश में भाजपा की सत्ता वापसी कराने में बेहद अहम भूमिका निभाने वाले श्रीमंत समर्थक उन नेताओं की भी ताजपोशी की गई है, जिनको उपचुनाव में अपनी विधायकी गंवानी पड़ी थी। इनमें दो नाम बेहद चौंकाने वाले रहे हैं, जिनमें जबलपुर के विनोद गोटिया को पर्यटन निगम का अध्यक्ष और जयपाल चावड़ा को इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है। 
संगठन बनाए हुए था दबाव
 निगम-मंडल में नियुक्तियों को लेकर भाजपा संगठन लंबे समय से सरकार पर दबाव बनाए हुए था। प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने सत्ता-संगठन की बैठक में कई बार यह कहा था कि कार्यकर्ताओं को निगम-मंडल में जल्द नियुक्त किया जाए। लगभग पांच महीने पहले मुख्यमंत्री ने कोलार गेस्ट हाउस में कई घंटों तक मंथन किया था। वहीं श्रीमंत भी सरकार पर अपने समर्थकों को एडजस्ट करने के लिए दबाव बनाए हुए थे।
किसे क्या दी गई जिम्मेदारी  
 पूर्व मंत्री और श्रीमंत  समर्थक इमरती देवी को मध्य प्रदेश लघु उद्योग निगम का अध्यक्ष, एंदल सिंह कंसाना को मध्यप्रदेश स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड का अध्यक्ष बनाया गया है। रघुराज कंसाना को मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का अध्यक्ष और अजय यादव को उपाध्यक्ष बनाया गया है। विनोद गोटिया को पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष और नरेंद्र सिंह तोमर को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पूर्व मंत्री गिर्राज दंडोतिया को मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। जसवंत जाटव को राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का अध्यक्ष, रणवीर जाटव को संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम का अध्यक्ष, शैलेंद्र बरुआ को मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम का अध्यक्ष और प्रहलाद भारती को उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुन्नालाल गोयल को मध्यप्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम का अध्यक्ष और राजकुमार कुशवाहा को उपाध्यक्ष बनाया गया है। 
इन नेताओं को इस वजह से मिला मौका
लंबा इंतजार करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के समर्थक रहे दो नेताओं को निगम मंडलों में जगह मिली है। इनमें शैलेन्द्र शर्मा का नाम शामिल है। वे पूर्व में टीटीटीआई के अध्यक्ष रह चुके हैं। उस समय उमा भारती के केन्द्रीय मंत्री रहते यह मौका मिला था। इसी तरह से भारतीय जनशक्ति से 2008 में विधायक रहे अजय यादव और भारतीय जनशक्ति के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके नरेंद्र बिरथरे को भी इस बार मौका मिला है। इसी तरह से सुमित्रा कास्डेकर से बीता विधानसभा चुनाव हारी पूर्व विधायक मंजू दादू को भी उपाध्यक्ष बनाया गया है। कास्डेकर अब भाजपा से विधायक हैं। उपचुनाव में दावेदारी छोड़ने की वजह से उनके यह पद दिया गया है। खनिज निगम के उपाध्यक्ष बनाए गए सागर के राजेन्द्र सिंह मोकलपुर पूर्व कांग्रेसी हैं। उन्हें उपचुनाव में कांग्रेस से चुनाव न लड़ने की वजह से मौका दिया गया है। शिवपुरी के प्रहलाद भारती और रमेश खटीक को अगले चुनाव में राजनीतिक
समीकरणों को साधने के लिए पद दिया गया है। सांवेर से पूर्व मंत्री रहे प्रकाश सोनकर के भतीजे सावन सोनकर को स्थानीय समीकरण साधने के लिए नियुक्ति दी गई है।
इन पदों पर नियुक्ति का इंतजार
अन नियुक्तिओं के बाद भी अभी करीब डेढ़ दर्जन संस्थाओं में नियुक्तियां होने का इंतजार किया जा रहा है। इनमें शहरों के विकास प्राधिकरण के अलावा कई अन्य संस्थाएं शामिल हैं। माना जा रहा है कि इनमें भी जल्द ही नियुक्तियां कर दी जाएंगी। अभी सिर्फ इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष की नियुक्ति के आदेश जारी हुए हैं। अभी भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, कटनी, देवास, रतलाम, अमरकंटक और सिंगरौली विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद खाली हैं। इसी तरह से ग्वालियर मेला प्राधिकरण, साडा ग्वालियर, राज्य कोल जनजाति विकास प्राधिकरण, भारिया विकास प्राधिकरण, ओरछा विकास प्राधिकरण, बैगा विकास प्राधिकरण, खजुराहो विकास प्राधिकरण, बुंदेलखंड, विंध्य और महाकौशल विकास प्राधिकरण, तीर्थयात्रा एवं मेला प्राधिकरण,  में भी नियुक्तियां होनी है।

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