
– आठ जिलों के अफसर दस्तावेजों के बस्ते लेकर दे रहे हैं हाजरी
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। शनिवार व रविवार को भले ही प्रदेश के सरकारी महकमों में अवकाश रहता है, लेकिन इस बार साफ सफाई वाले इस मौसम में बीते दो दिन महिला बाल विकास विभाग के अफसरों को भारी पड़ गए। इसकी वजह है आठ जिलों में हुए टेक होम राशन घोटाले का मामला। इस मामले ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों की नींद उड़ा रखी है। दरअसल छुट्टी के दिनों में विभाग के आला अफसरों ने संचालनालय में उन सभी आठों जिलों के अफसरों को इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों के साथ तलब कर लिया। यह बात अलग है कि सरकार इस तरह के किसी घोटाले से पहले ही साफतौर पर इंकार कर चुकी है। दरअसल सरकार को पता है कि यह मामला कभी भी फिर से तूल पकड़ सकता है और इस मामले को लेकर विपक्ष भी आक्रमक हो सकता है , लिहाजा विभाग के आला अफसर रिकॉर्डों को देखने और दुरुस्त करने की कवायद में लगे हुए हैं। खास बात यह है कि इस मामले में संचालनालय के 20 अन्य अफसरों की ड्यूटी बाकायदा ड्यूटी भी लगाई गई है। सूत्रों की माने तो इस मामले में अफसर बीते दो दिनों से इस मामले में माथा पच्ची करते रहे। उल्लेखनीय है कि सीएजी की रिपोर्ट में आठ जिलों में सैंपल जांच में पाया था कि वर्ष 2018- 21 के दौरान 8 जिलों की 48 आंगनबाडिय़ों में रजिस्टर्ड बच्चों से ज्यादा को 110.83 करोड़ रुपए का राशन कागजों में बांट दिया गया गया। इतना ही नहीं इन जिलों में करीब 97 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार स्टॉक में बताया था जबकि करीब 87 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया यानि करीब 10 हजार मीट्रिक टन आहार गायब था। इसकी कीमत करीब 62 करोड़ रुपए है। ये 8 जिले धार, मंडला, झाबुआ, रीवा, सागर, सतना, मंडला और शिवपुरी हैं। इन जिलों का रिकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए ही अफसरों को संचालनालय बुलाया गया। आदेश में कहा गया कि महालेखाकार मप्र द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 माह से 3 वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चे, गर्भवती तथा धात्री को देने वाले टेक होम राशन की ऑडिट रिपोर्ट प्रारूप वर्ष 2020-21 भेजी गई है। रिपोर्ट में उल्लेखित 8 जिलों को 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजे संचालनालय में प्रतिवेदन के अभिलेख संलग्नक के साथ हाजिर होने के लिए निर्देशित किया गया था। जिलों के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले प्रतिवेदन, अभिलेख पीरक्षण हेतु संचालनालय स्तर पर अधिकारियों का दल बनाया जाता है। दल में उप संचालक और सहायक संचालक हैं। यह बात अलग है कि अफसरों का दल वैसे तो कार्य दिवस में भी इस पूरे मामले को देख सकता था, लेकिन अवकाश के दिनों में काम करने से तरह -तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
कांग्रेस कर चुकी है इस्तीफा की मांग: इस मामले का खुलासा होने के बाद कांग्रेस इस्तीफा की मांग कर चुकी है। कांग्रेस ने तब आरोप लगाया था कि सरकार ने करीब 111 करोड़ रुपये का राशन कागजों पर बांट दिया है। पूर्व मंत्री एवं विधायक जीतू पटवारी ने कहा था कि , सीएजी की मीडिया में सामने आई गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में करीब 111 करोड़ रुपये का राशन कागजों पर बांट दिया गया। इस घोटाले के तहत राशन वितरण में तब भी फर्जीवाड़ा किया गया, जब प्रदेश में कोविड-19 का भीषण प्रकोप था। उन्होंने कथित घोटाले पर राज्य सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया था कि सरकारी राशन के स्टॉक में गड़बड़ी की गई और कुपोषित बच्चों तक पहुंचने वाले पोषाहार की गुणवत्ता भी नहीं जांची गई। कांग्रेस विधायक ने मांग की है कि राशन वितरण की ये कथित गड़बडिय़ां सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने पद से तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।