प्याज बना किसानों के लिए मुसीबत, निकल रहे खून के आंसू

किसान
  • नहीं है प्रोसेसिंग यूनिट व स्टोरेज की सुविधा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का निमाड़ इलाका मिर्च के साथ ही प्याज के लिए प्रसिद्व है। यही प्याज अब इस अंचल के किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। दरअसल इसकी वजह है इस बार फसल अच्छी थी , लेकिन उसे किसान निकाल पाते इसके पहले ही बेमौसम हुई बारिश ने फसल को खराब कर दिया। इसकी वजह से किसानों को उसके सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं, जिसकी वजह से किसानों को लागत तक निकालना मुश्किल हो गया है। इसकी वजह से किसानों की आंखों से खून के आँसू निकल रहे हैं। अगर इस अंचल के खंडवा जिले की ही बात की जाए तो यहां पर करीब 20 हजार हेक्टेयर में प्याज की फसल लगाई गई थी। लेकिन मौसम की ऐसी मार पड़ी की फसल खराब हो जाने से उसकी क्वालिटी बिगड़ गई, जिसकी वजह से अब मंडी में  उसके भाव नहीं मिल पा रहे हैं। हालत यह है कि अंचल में व्यापारियों द्वारा इस प्याज के दाम दो रुपए किलो लगाए जा रहे हैं। इस हालत की वजह से किसान बेंचने की जगह उसे फेंकने को मजबूर हो रहे हैं। खास बात यह है कि यही प्याज बाजार में दस से लेकर 15 रुपए किलो तक फुटकर में बिक रहा है।
इस अंचल में अब प्याज बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। दरअसल इस अंचल में बीते कई सालों के साथ ही चुनाव के समय प्रोसेसिंग यूनिट व स्टोरेज की सुविधा की मांग की जा रही है, लेकिन इस पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। इसकी वजह से किसानों को फसल आने पर न तो भाव मिल पाते हैं और न ही वे फसल को सुरक्षित रख पाते हैं। किसान नेता रमेश पटेल के मुताबिक सरकारी रिकार्ड में प्याज का रकबा ढाई हजार एकड़ ही बताया जाता है , जबकि वह वास्तविकता में इससे दस गुना अधिक है। इसकी वजह है अफसरों द्वारा एसी कक्ष में ही बैठकर योजना बनाई जाना।  
कई पड़ोसी देशों में होता है निर्यात
इस माह में आने वाली प्याज की गुणवत्ता ऐसी होती है कि उसे अगली फसल तक के लिए स्टोरेज किया जा सकता है। इसकी अच्छी गुणवत्ता की वजह से इस अंचल की प्याज की मांग विदेशों में भी होती है। यहां की प्याज को इंदौर के व्यापारी खरीदकर दिल्ली सहित अन्य बड़े शहरों की मंडियों में भेजते हैं। वहां से उसे बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल व कुछ अन्य देशों में निर्यात किया जाता है।
स्टोरेज लायक नहीं रह गया प्याज
उत्पादन लागत 60 हजार रुपए प्रति एकड़ आती है।  लागत से दस गुना तक भाव मिल जाता है। चार बार फसल बोते हैं। मुख्य व स्टोर करने वाली फसल अप्रैल-मई में आती । व्यापारी इसलिए नहीं खरीद रहे हैं कि भीगने के कारण स्टोर करने लायक प्याज नहीं बची। मतलब दो महीने बाद प्याज के दाम फिर जुलाई- अगस्त में बढ़ंगे।

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