मप्र पॉलिटिक्स के सुरमयी नेता

शिवराज सिंह चौहान

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बे-करार हूं आवाज में असर के लिए…

जाने माने कवि और साहित्यकार दुष्यंत कुमार की यह पंक्तियां मध्यप्रदेश की राजनीति में सफलता के नए आयाम स्थापित करने वाले कुछ राजनेताओं पर हूबहू फिट बैठती हैं। एक समय था जब राजनेता बनने और प्रसिद्ध होने के लिए पारिवारिक पृष्ठभूमि के अलावा अच्छा वक्ता, अच्छा प्रवक्ता होना भी बेहद जरूरी माना जाता था लेकिन समय के साथ राजनीति के मायने भी बदलते जा रहे हैं। आज चिल्ला चिल्लाकर भाषणों के जरिए लोगों में लोकप्रिय होने के बजाय नेताओं ने सुरों से जनता को रिझाने का तरीका ढूंढ लिया है, कुछ सुरों की दुनिया में खरे उतरकर लोगों के दिलों में गीतों के जरिए अपनी पैठ बना रहे हैं तो कुछ सुरों की दुनिया से दूर रहकर भी गीतों की महफिल सजाने को ही अपनी लोकप्रियता का पैमाना मान बैठे हैं। राजनेताओं के इस नए शगल पर केंद्रित इस स्टोरी में हम आपको मध्यप्रदेश के कुछ ऐसे ही राजनेताओं से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो आजकल हर मंच पर एक कुशल गायक के रूप में गीत गाकर अपने आपको, लोगों के बीच और लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं।

शिवराज:  आदमी हूं आदमी से…
प्रदेश के मुखिया यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छात्र जीवन से ही गायिकी में भी अपने जौहर दिखाते रहे हैं। उनका पसंदीदा गीत है- ‘आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं’……. शिवराज जब यह गीत गा रहे होते हैं तो एक बार कानों में यह आवाज आने के बाद आम जन चौंक उठता है, कि आखिरकार शिवराज जी ने यही गाना क्यों गाया…… लेकिन असल मायने में शिवराज जी यह गीत अपनी इंसानियत और प्रदेश की आम जनता से स्नेह के लिए गाते गुनगुनाते हैं। इसके अलावा ‘मेरे देश की धरती, जब जीरो दिया मेरे भारत ने’ जैसे गीत भी शिवराज जी की जुबां में आए दिन मंचों से गूंजते रहते हैं। भले ही शिवराज जी के सुर एक सधे हुए गायक की तरह नहीं लगते हों लेकिन गीत गाते समय उनका जोश और लोगों द्वारा गर्मजोशी से उनका साथ देने के चलते यह विधा शिवराज जी की लोकप्रियता में चार चांद ही लगाती है।

गायिकी ने कैलाश बना दिया विजयवर्गीय को…
भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेश ही नहीं अब देश में भी कद्दावर नेताओं में शुमार कैलाश विजयवर्गीय ने तो भजन मंडलियों में गा गाकर ही अपने आपको इतना लोकप्रिय किया कि चुनाव के जरिए वो राजनीति में भी स्थापित हो गए। भजन हो या फिल्मी गीत या फिर लोकगीत, सभी पर कैलाश जी की अच्छी खासी पकड़ है, कोई भी महफिल हो, भजनों का कार्यक्रम हो या फिर किसी शादी ब्याह में आर्केस्ट्रा, आज भी कैलाश जी अपने आपको वहां गाने से रोक नहीं पाते, और अपनी गायिकी से सबको प्रभावित कर ही देते हैं। ‘मेरा रंग दे बसंती चोला, ओम नम: शिवाय, निगाहों निगाहों में दिल लेने वाले’ जैसे फिल्मी गाने यूट्यूब के माध्यम से आज भी हजारों लोग रोज सुनते हैं। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और दबंग नेता कैलाश विजयवर्गीय भाजपा से छह बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। उनके चुनाव जीतने और लोकप्रियता हासिल करने में उनकी गायकी का एक अलग ही महत्व है, जिसे नकारा नहीं जा सकता।

विश्वास सारंग: करते हो तुम कन्हैया….
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री और अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ साथ पूरे प्रदेश में युवा नेता के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले विश्वास सारंग को भी गाने का बेहद शौक है, हालांकि गाने का चस्का उन्हें नेतागिरी में आने के बाद ही लगा। कुछ नेताओं को गाते देख उनके मन में भी यह विचार आया कि लोकप्रियता के इस ग्राफ को और ऊँचा उठाना है तो कुछ गाना गुनगुनाना भी सीख लो, बस फिर क्या था, धीरे धीरे गाना सीख लिया। प्रसिद्ध भजन गायक विनोद अग्रवाल का भजन ‘करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है’ भजन से गाने की शुरूआत की, पहले थोड़ा लड़खड़ाए, लेकिन भीड़ के वाहवाही शोर में उनकी लड़खड़ाहट दबकर रह गयी, बाकी का काम प्रसिद्ध भजन गायकों ने पीछे से कोरस में रहकर कर दिया, गाने से पहले विश्वास सारंग देख लेते हैं कि किस गायक का ग्रुप है, उसे नाम से पुकारते हैं और कहते हैं देखना जरा संभाल लेना…..और ऐसा करते करते विश्वास ने भी धीरे धीरे गायकी में विश्वास हासिल कर ही लिया और अब नवरात्रि हो या गणेश उत्सव या फिर कोई गीत संगीत का कार्यक्रम, कहीं न कहीं से आवाज आ ही जाती है विश्वास भाई गाईए न……..

कृष्णा गौर:  तू कितनी अच्छी है…
कहते हैं कि ईश्वर हर किसी को हर कुछ नहीं देता, लेकिन कृष्णा गौर इस मामले में शायद सबसे जुदा ही कहीं जाएंगी। भोपाल की पूर्व महापौर और वर्तमान में गोविंदपुरा से भाजपा विधायक कृष्णा गौर को भगवान ने रूप तो दिया ही, सादगी, अच्छी वक्ता के गुण ने उन्हें लोगों के बीच और लोकप्रिय बना दिया। लेकिन कृष्णा गौर के लिए शायद इतना काफी नहीं था इसलिए जन जन और खासकर महिलाओं में और ज्यादा लोकप्रिय होने के लिए उन्होंने गाने की विधा में भी अपने आपको पारंगत कर लिया। आज जब उनके सुर ‘तू कितनी अच्छी है, ओ मां’ के रूप में मंचों से गूंजते हैं तो हर कोई कह उठता है वाह कृष्णा जी, क्या खूब गाती हैं आप। ‘खुशियों का दिन आया है’, जैसे और न जाने कितने गीतों को उन्होंने तैयार कर लिया है, जिन्हें वे विविध मंचों से अक्सर गाती हैं। अब तो हालात यह हैं कि किसी भी गीत संगीत के कार्यक्रम में उन्हें बिना गाए जाने ही नहीं देते। अपनी प्रिय नेत्री के मुख से सुंदर और भावपूर्ण गीतों की प्रस्तुति से महिलाएं और उनके समर्थक भाव विभोर हो उठते हैं। आज हालात यह हैं कि कृष्णा गौर की लोकप्रियता का एक बड़ा पैमाना उनकी गायिकी हो गयी है।

सुमित पचौरी: हारमोनियम ही मेरा दोस्त है…
कैलाश विजयवर्गीय की तरह गायिकी में निपुण और पूरे देश में भाजपा के सबसे युवा जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी तो गायिकी परंपरागत रूप से मिली। इनके दादा स्वर्गीय गंगा प्रसाद पचौरी के हारमोनियम का मानो पूरा क्षेत्र ही दीवाना था, बस अपने दादा से यह कला सुमित को विरासत में मिली तो अपने प्रदेश के साथ साथ पूरे देश में सुंदरकांड के संगीतमय आयोजन करने लगे। हारमोनियम पर बेहद अच्छी पकड़ रखने वाले सुमित ने पहले घरों में सुंदरकांड से अपनी गायिकी का सफर शुरू किया और देखते ही देखते मंचों पर होने वाले आयोजनों में भी जलवा बिखेरने लगे। वे बड़ी शान से कहते हैं मेरा दोस्त तो मेरा हारमोनियम ही है। यह न सिर्फ मुझे तनाव से दूर रखता है वरन कभी भी एकांकी नहीं होने देता। भोपाल के करोंद में हर साल होने वाले मटकी फोड़ आयोजन के आयोजक सुमित पचौरी इस आयोजन में लगातार अपनी गायन प्रतिभा से भी लोगों को आकर्षित करते हैं….. मंच से परे बार बार यही आवाजें आती रहती हैं…. सुमित जी कुछ हो जाए…. बस इतना आग्रह काफी होता है और सुमित राग छेड़ देते हैं।
गायिकी में श्रेया घोषाल, और अरजीत सिंह से प्रभावित सुमित को गुलाम अली की गजल ‘चुपके चुपके रात दिन…’ गाना बेहद पसंद है तो नरेंद्र चंचल का गाया भजन ‘चलो बुलावा आया है’ इन्हें भक्ति से ओतप्रोत कर देता है। सुमित का मानना है कि संगीत न सिर्फ मनोबल बढ़ाता है बल्कि एक अलग पहचान भी देता है। मानसिक विकृति से दूर रहने और तनाव कम करने के लिए संगीत ईश्वर का एक वरदान ही है।

रामबाबू शर्मा: रग रग में संगीत
मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता तथा पूर्व पार्षद और समाजसेवी रामबाबू शर्मा भी एक कुशल गवैये हैं। भजन हो या फिर फिल्मी गीत, दोनों ही गाने में रामबाबू को महारथ हासिल है। इतना ही नहीं रामबाबू लोकप्रिय होने के लिए साल भर समाजसेवा के साथ साथ म्यूजिकल ईवेंट्स, भागवत कथा का आयोजन भी करते रहते हैं। बरखेड़ा में नवरात्रि महोत्सव में लगने वाली झांकी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने में रामबाबू शर्मा का ही प्रमुख योगदान है और रहता है। भजन गाने के अलावा मंच से शेरो शायरी और जागरण के कार्यक्रमों में जयकारे लगवाने का रामबाबू शर्मा का अपना एक अलग ही अंदाज है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि रामबाबू शर्मा भी नेतागिरी में अपनी गायिकी से लोगों के दिलों में एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हैं।

 गिरीश शर्मा: विरासत में मिली गायिकी…..
पूर्व कांग्रेस नेता और अब भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ सदस्य गिरीश शर्मा जो वर्तमान में पार्षद हैं, गायकी के क्षेत्र में शायद सबसे दमदार नेताओं में से एक हैं। एक कुशल गायक की तरह उनके सुर लगते हैं, ताल के साथ गाने में वे माहिर हैं, और गाने के बीच में लोगों से बात करते हुए उन्हें जोड़ने में भी उनका कोई सानी नहीं है। कुल मिलाकर देखा जाए तो गिरीश एक कम्पलीट सिंगर कहे जा सकते हैं। ‘मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है’, इस भजन को यूं तो प्रदेश के कई नेता गाते हैं लेकिन गिरीश शर्मा से अच्छा कोई नहीं गा पाता, एक मंच पर जब कई नेता होते हैं तो गिरीश के गाने की प्रशंसा से परे उनके मन में एक जलन का भाव उत्पन्न हो जाता है, कि काश हम भी गिरीश की तरह गा पाते। लेकिन सच्चाई यही है कि गिरीश की लोकप्रियता में युवा और जुझारू नेता होने के साथ साथ उनकी गायन शैली और गायन की क्वालिटी का बेहद महत्वपूर्ण हाथ है। गिरीश को यह कला अपने पिताजी से मिली जो सुंदरकांड और भजन गायिकी में समूचे गोविंदपुरा क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखते थे।

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