भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी स्कूलों में अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर है। उनके लिए अब राज्य सरकार मप्र में मेडिकल और इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने के लिए 16 फीसदी के कोटे का प्रावधान करने जा रही है। इसके पीछे शिवराज सरकार की मंशा सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने की है। आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था में ही यह कोटा हर श्रेणी में हॉरिजेंटल निर्धारित होगा यानी नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) की परीक्षा पास करने के बाद बनने वाली मैरिट लिस्ट में यदि अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 फीसदी है तो इसी प्रतिशत में सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों का कोटा रहेगा। इस कोटा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कर चुके हैं। इस ऐलान के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। इसके तहत कहा जा रहा है कि इसी साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा सरकार इसके जरिए ग्रामीण युवाओं को साधने का प्रयास कर रही है। इसकी वजह है इसका सर्वाधिक असर गांवों में ही पडऩे वाला है। इसकी वजह है ग्रामीण इलाकों में ही सर्वाधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। बहरहाल, सीएम कह चुके हैं कि मेडिकल में नीट के बाद मैरिट लिस्ट बनती है और एडमिशन होते हैं। इसमें प्राइवेट स्कूलों के बच्चे ज्यादा होते हैं, जबकि सरकारी स्कूलों के कम । इसीलिए सरकारी स्कूल में पढऩे वाला बच्चा किसी भी जाति वर्ग का होगा, उसके लिए अलग कोटा तय किया जाएगा, ताकि उन्हें अच्छे अवसर मिल सकें।
कैसे पूरी होगी घोषणा ?
शासन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एमबीबीएस में मप्र के मूल निवासी का 85 फीसदी और शेष 15 फीसदी कोटा अन्य राज्यों का होता है। इसी तरह पीजी की सीट पर मूल निवासी और अन्य राज्यों का कोटा 50-50 प्रतिशत रहता है। इस मूल निवासी में आरक्षण की व्यवस्था अजा के लिए 16 फीसदी , अजजा के लिए 20 फीसदी , ओबीसी के लिए 27 फीसदी और बाकी सीटें अनारक्षित रहती हैं। आरक्षण के इसी प्रतिशत में हॉरिजेंटल व्यवस्था में क्रिटिकल हैंडीकैप्ट, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, ईडब्ल्यूएस और एक्स सर्विसमैन का कोटा तय है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद इसी हॉरिजेंटल व्यवस्था में सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चे का कोटा भी फिक्स होना तय है। सीएम द्वारा की गई इस घोषणा पर अमल के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा भ्ज्ञी काम शुरु कर दिया गया है। गौरतलब है कि तमिलनाडु में सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए पहले से कोटा तय है। इधर, चिकित्सा शिक्षा विभाग में नौकरी देने के लिए एक व्यवस्था पहले से लागू है, जिसमें तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में खासतौर पर नर्सिंग में भर्ती के दौरान सरकारी कॉलेजों से पढ़े हुए लोगों को पहले नौकरी दी जाती है। इसके बाद भी सीट खाली रहने पर ही निजी स्कूलों के अलावा दूसरे राज्यों के बच्चों को मौका दिया जाता है।
24/02/2023
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