- संगठन पहले ही बना चुका है परिवर्तन की योजना
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। बीते चुनाव की ही तरह इस बार भी प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को भाजपा कठिन मानकर चल रही है। यही वजह है कि पार्टी के आला नेताओं में मिशन 2023 के फतह के लिए लगातार संगठन के आला पदाधिकारियों के बीच चिंतन मनन का दौर तो चल ही रहा है साथ ही मैदानी दौरे कर वास्तविक जमीनी हकीकत जानने का प्रयास भी किया जा रहा है।
अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक संगठन मानकर चल रहा है कि अगले साल होने वाला चुनाव बेहद कठिन रहने वाला है। यही वजह है कि अब पार्टी के केंद्रीय संगठन ने मप्र में भी उप्र के फामूर्ला पर चलने का तय कर लिया है। दरअसल यह फार्मूला उप्र में बेहद कारगर साबित हुआ है जिसकी वजह से ही वहां पर लगातार दूसरी बार पार्टी की सरकार पूर्ण बहुमत से बनी है। दरअसल मप्र भाजपा के लिए बेहद अहम राज्य माना जाता है। इसकी वजह है इसका भाजपा के गढ़ के रुप में पहचान होना और इस राज्य के चुनाव परिणामों का असर देश के उत्तरी राज्यों पर होना है। इस फार्मूला पर चलने के निर्देश हाल ही में रातापानी में हुई बड़ी बैठक में राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष ने सीधे दिए हैं। गौरतलब है कि हाल ही में करीब ढाई माह पहले हुए नगरीय निकाय चुनावों में कई महानगरों में भाजपा को महापौर पद पर हार का सामना करना पड़ा है। इनमें वे शहर प्रमुख रुप से शामिल हैं, जो भाजपा के बेहद मजबूत गढ़ माने जाते हैं। यही वजह है कि अब भाजपा का सारा जोर बूथ मैनेजमेंट पर रहने वाला है। यह बात अलग है कि प्रदेश में बीते एक साल से भाजपा संगठन बूथ मैनेजमेंट पर फोकस किए हुए है और इसके लिए कई तरह के कदम भी उठाए गए हैं।
उप्र संगठन द्वारा प्रयोग किए गए फार्मूला के तहत अब प्रदेश में भाजपा संगठन द्वारा पहली बार बूथवार मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च से लेकर धर्म, जाति और समाज के वोटर्स की जानकारी जुटाई जा रही है। चुनाव में इसी रणनीति के तहत की वोटर्स पर फोकस की तैयारी की जा रही है। इसी के तहत अभी से ही कमजोर बूथों पर सरकार और संगठन के बड़े नेताओं को तैनात किया जाने की योजना बना ली गई है। मिशन 2023 के लिए प्रत्येक लोकसभा और विधानसभा के हिसाब से सांसद और विधायकों को इन की वोटर्स की जिम्मेदारी दी जा रही है।
किया जा रहा है विश्लेषण
पार्टी ने कुछ दिन पहले सरल एप लॉन्च किया था, जिसका डेटा बैंक बनाया गया है। इस एप के जरिए पार्टी प्रदेश के 85 हजार बूथ की पूरी जानकारी है। इसी से जानकारी निकालकर उसका विश्लेषण किया जा रहा है। यह बात अलग है कि इस पूरे फार्मूला को लागू करने में बेहद गोपनीयता बरती जा रही है, जिसकी वजह से कोई भी नेता इसे स्वीकार नहीं कर रहा है। यही नहीं अब यह भी जानकारी जुटाई जा रही है कि किस धार्मिक आयोजन में कहां कितनी भीड़ जुटती है। दरअसल रातापानी की बैठक में बीएल संतोष ने सीख दी है कि नगरीय निकाय चुनाव में जो भी प्लस और माइनस है। उसके माइनस पर अब ध्यान दो। इसके पहले एक बार फिर से बूथ स्तर तक जाने की जरूरत है। मैदानी कामकाज पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
चलाया जा चुका है बूथ विस्तारक अभियान
इसके पहले प्रदेश में संगठन द्वारा बूथ विस्तारक अभियाान भी चलाया जा चुका है। अभिायान के तहत 10 दिन में 65 हजार बूथों तक संगठन को मजबूत करने का लक्ष्य तय किया गया था। इस अभिायान के तहत पार्टी के सभी छोटे बड़े नेता बूथों तक गए थे। इसके अलावा प्रदेश संगठन द्वारा बूथ को मजबूत करने के लिए बीजेपी ने त्रिदेव बनाए हैं। इन त्रिदेव में बूथ अध्यक्ष, बूथ महामंत्री और बीएलए शामिल किए गए हैं। प्रदेश भर में बूथों की संख्या 64634 है। यही नहीं इन त्रिदेव को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इसके अलावा पार्टी द्वारा बूथ विस्ताकर योजना पर भी काम किया जा चुका है। पार्टी जीत के लिए पहले ही बूथ जीतो चुनाव जीतो का नारा भी कार्यकर्ताओं को दे चुकी है।
इस तरह की है योजना
पार्टी सारा डेटा मिलने के बाद संबंधित बूथ को मजबूत करने में धार्मिक स्थल के प्रभावी व्यक्तियों से मुलाकात कर उन्हे ंपार्टी से जोड़ने का प्रयास करेगी। इसके अअलावा जातिगत वोट हासिल करने के लिए सामाजिक संगठनों का रिकॉर्ड रखेगी। इसके बाद यह पता किया जाएगा कि किस समाज के कितने वोटर मजबूत है। सामाजिक संगठन कितने वोटों पर असर डाल सकते हैं। इसके आधार पर कदम स्थानीय स्तर पर उठाए जाएंगे।