
- सहकारिता विभाग ने समितियों पर कसी नकेल
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सहकारी समितियां किसानों से मनमाना दंड ब्याज वसूल रहीं हैं। सहकारी समितियों द्वारा अभी दंड ब्याज चार प्रतिशत तक लगाया जा रहा है। इससे किसानों के ऊपर कर्ज के ब्याज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि अब सहकारिता विभाग ने अधिकतम दो प्रतिशत की सीमा की तय कर दी है।
ये निर्देश भी दिया है कि किसी भी सूरत में दंड ब्याज दो प्रतिशत से ज्यादा नहीं लिया जाएगा। इसी के साथ शिवराज सरकार डिफाल्टर किसान के ऊपर से ब्याज के भार को उतारने के लिए एकमुश्त समझौता योजना भी ला रही है। प्रदेश सरकार किसानों को खरीफ और रबी फसलों के लिए ब्याज रहित ऋण उपलब्ध कराती है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से यह कर्ज दिया जाता है। खरीफ फसलों के लिए 28 मार्च तक और रबी फसल के लिए 15 जून तक कर्ज चुकाना होता है। इस अवधि में ऋण नहीं चुकाने वाले किसानों से समितियां आधार दर के साथ दंड ब्याज वसूलती हैं। समितियां किसानों से चार प्रतिशत तक दंड ब्याज ले रही हैं। अब विभाग ने तय कर दिया है कि समितियां दो प्रतिशत से अधिक दंड ब्याज वसूल नहीं कर सकेंगी। इधर समय पर ऋण नहीं चुकाने की वजह से डिफाल्टर हुए किसानों को ब्याज माफी देने की घोषणा की गई है।
डिफाल्टर किसानों को मिलेगी ब्याज माफी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समय पर ऋण न चुकाने की वजह से डिफाल्टर हुए किसानों को ब्याज माफी देने की घोषणा की है। इसका फायदा लगभग 15 लाख किसानों को मिलेगा। इनके ऊपर पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण है। इसके लिए विभाग एकमुश्त समझौता योजना तैयार कर रहा है। संयुक्त पंजीयक सहकारिता अरविंद सिंह सेंगर ने बताया कि सहकारी अधिनियम में सहकारी संस्थाओं को दंड ब्याज लगाने का अधिकार है। विभाग ने तय कर दिया है कि अब ये दो प्रतिशत से अधिक दंड ब्याज वसूल नहीं कर सकेंगी। इसी तरह जिला बैंक को यदि समिति समय पर ऋण नहीं चुकाती है तो उस पर दो की जगह एक प्रतिशत दंड ब्याज लगेगा और यह वार्षिक होगा।
उधार लेकर दिया जाता है किसानों को कर्ज
अपेक्स बैंक किसानों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड से ऋण लेकर और अपनी पूंजी से जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को राशि उपलब्ध कराता है। यह राशि समितियां किसानों को देती हैं और समय पर अदायगी से फिर ऋण मिल जाता है। यह चक्र चलता रहता है, लेकिन डिफाल्टर किसान को यह सुविधा नहीं मिलती है। उसे आधार दर के साथ-साथ दंड ब्याज भी देना होता है।