मोहंती की मुश्किलें बढ़ी… फिर शुरू होगी विभागीय जांच

 एसआर मोहंती
  • 810 करोड़ के घोटाले की जांच पर लगा दी थी रोक

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे के पूर्व प्रशासनिक मुखिया रहे एसआर मोहंती की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई हैं। इसकी वजह है उनके खिलाफ सरकार द्वारा शुरू की गई विभागीय जांच पर लगी रोक को हटा दिया जाना। उन पर  उद्योग विभाग में पदस्थ रहनें के 810 करोड़ रुपए के हुए घोटाले में शामिल होने का आरोप है। दरअसल कांग्रेस सरकार के समय एमपीएसआईडीसी घोटाले में मोहंती को क्लीन चिट दे दी गई थी, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने वापस विभागीय जांच शुरू कर दी। इस पर मोहंती केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ( कैट ) में पहुंच गए थे। कैट ने विभागीय जांच पर स्टे कर दिया था। इसके बाद राज्य की भाजपा सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट में इस स्टे के खिलाफ अपील की थी। इस पर जबलपुर हाईकोर्ट ने अब बीते रोज कैट के आदेश को रद्द कर दिया है।
इसकी वजह से अब उनके खिलाफ एक बार फिर से विभागीय जांच शुरू हो सकेगी। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा 2021 में जारी अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश को उचित करार दिया। जस्टिस शील नागू व जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की डिवीजन बेंच ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ( कैट ) जबलपुर के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसके जरिए मोहंती के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी गई थी।
राज्य सरकार की ओर से यह याचिका दायर कर कहा गया था कि पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती के खिलाफ 2 जनवरी 2007 को चार्जशीट के जरिए अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ की गई थी। इस पर जांच चल रही थी। उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली द्वारा सरकार की ओर से रखे गए पक्ष में कहा गया कि इस बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस की सरकार ने 28 दिसंबर 2018 को एक आदेश जारी कर उक्त जांच व अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी। इसके बाद आई भाजपा सरकार ने 4 जनवरी 2021 को कांग्रेस सरकार के उक्त आदेश को निरस्त कर एक बार फिर से मोहंती के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को पुनर्जीवित कर दिया। मोहंती ने इस आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की जबलपुर बेंच में चुनौती दी थी , जिसके बाद 8 जुलाई 2021 को कैट ने इस आदेश को स्थगित कर दिया था। कैट के इसी आदेश को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
आरोपी होने के बाद भी बना दिया था मुख्य सचिव
मध्य प्रदेश के कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 1982 बैच के आईएएस अधिकारी एसआर मोहंती उर्फ एसआर मोहंती को मुख्य सचिव बना दिया था। उन पर उस समय भी 2003 में कांग्रेस की निवर्तमान दिग्विजय सिंह सरकार के काल में हुए 810 करोड़ के औद्योगिक घोटाले का आरोप था । इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया था। उस समय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने याचिकाकर्ता मनोहर दलाल की याचिका पर केंद्र सरकार से 6 हफ्तों में जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता मनोहर दलाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह ने अदालत से अनुरोध किया था कि मोहंती की नियुक्ति निरस्त कर उनके खिलाफ नये सिरे से विभागीय जांच कराई जाए।  
याचिका में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के महानिदेशक की छह महीने पहले हुई नियुक्ति और अब कांग्रेस सरकार द्वारा हटा दिए जाने को भी सवाल बनाया गया था । उस समय मोहंती को मुख्य सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद से हटाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि उप्र की मुख्य सचिव नीरा यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में ऐसा ही किया गया था। गौरतलब है कि आईएएस एसआर मोहंती राज्य उद्योग विकास निगम में वर्ष 2000 से 2004 के बीच प्रबंध निदेशक के पद पर थे।
उनके प्रबंध निदेशक रहने के दौरान आरोप लगा कि उद्योग विकास निगम ने कई कंपनियों को पूर्व अनुमति के बगैर सैकड़ों करोड़ का कर्ज दिया। इस मामले में दी गई दलील में कहा गया था कि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल कैट ने 8 दिसंबर 2018 को राज्य सरकार से कहा था कि इस मामले में 6 महीने में सरकार निर्णय ले, लेकिन उससे पहले ही मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 1 जनवरी को आरएस मोहंती को मुख्य सचिव बना दिया था।
कैट ने नहीं मानी थी सरकार की दलील
शिवराज सरकार ने 4 जनवरी 2021 को मोहंती के खिलाफ जांच के आदेश निकाले थे, जिसको मोहंती ने चैलेंज किया था। शिवराज सरकार की ओर से डीई शुरू करने के पीछे कैट में दलील रखी गई थी , कि उन्हें अप्रैल 2020 में पता चला कि पिछली बार कोर्ट में सरकार की तरफ से जो वकील खड़े थे, उनसे मोहंती पूर्व में सलाह ले चुके हैं। लिहाजा इसका उन्हें फायदा मिला। कैट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि डीई के बारे में स्पष्ट प्रावधान हैं कि किसी व्यक्ति की डीई बंद हो जाए तो उसे वाजिब कारणों के साथ एक साल के भीतर दोबारा खोला जा सकता है। लेकिन मोहंती की डीई 28 दिसंबर 2018 में बंद हो गई है। दो साल बाद इसे कैसे खोला जा सकता है। पूर्व में जब डीई बंद हुई थी, तब संबंधित विभागों का अभिमत लिया जा चुका था। इधर, सरकार कैट के स्टे के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकती है। यह विकल्प उसके लिए खुला है।
क्या है घोटाला
 प्रदेश में 810 करोड़ का उद्योग घोटाला हुआ था। उस समय मोहंती एमपीएसआईडीसी में एमडी थे। तब दिग्विजय सिंह की सरकार थी। उस समय एमपीएसआईडीसी ने उद्योगों को आधी-अधूरे मापदंडों के आधार पर ही करोड़ों रुपए का कर्ज बांटा था। यह कर्ज भास्कर इंडस्ट्रीज, एनबी इंडस्ट्रीज, जीके एक्सिम, सोम डिस्टिलरी, सूर्या एग्रो आयल और वेस्टर्न टुबेको लिमिटेड को देने का आरोप है। बाद में उस कर्ज की अदायगी नहीं हुई। फिर बकाया भी विभिन्न तरीकों से माफ कर दिया था। इस मामले में भाजपा की मुख्यमंत्री उमा भारती के शासन 2004 में आर्थिक अपराध शाखा ने मोहंती के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

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