अफसरों की गड़बडिय़ों का ठिकाना बना सिंगाजी थर्मल प्लांट

सिंगाजी थर्मल प्लांट
  • दो साल में लग चुकी है दस अरब की चपत, उत्पादन लागत में हो रही वृद्धि

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अपनी स्थापना के समय से ही श्री सिंगाजी सुपर थर्मल पावर प्लांट चर्चा में बना रहता है। इस प्लांट को अफसरों ने अपनी गड़बडिय़ों का ठिकाना बना रखा है। उसकी यह गड़बडिय़ां विभाग, सरकार और अमजन को बेहद भारी पड़ रही हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार ऐसे अफसरों पर कार्रवाई करने तक की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं। अफसरों की लापरवाही इससे ही समझी जा सकती है कि इस प्लांट की दो इकाइयों को एक-एक साल तक चलाया ही नहीं गया, जिसकी वजह से ही दो सालों में दस अरब की चपत लग चुकी है। यह इस प्लांट की क्षमता 2520 मेगावॉट बिजली उत्पादन की है, लेकिन इस प्लांट से पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन ही नहीं किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि  दो इकाइयां तो एक-एक साल तक बंद बनी रहीं, लेकिन उन्हें चालू करने में कोई रुचि  नहीं ली गई, जिसकी वजह से इस अवधि में ही मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी को 1 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो गया। इसमें प्लांट की यूनिट नंबर 3 और यूनिट नंबर 4 शामिल है। अहम बात यह है कि प्लांट की यह दोनों यूनिट सबसे बड़ी हैं, जिनकी क्षमता 660 मेगावॉट बिजली उत्पादन की है। यह यूनिटें ऐसे समय बंद रहीं जब आवश्यकता को पूरा करने के लिए बिजली की खरीदी करनी पड़ी है। इसके बाद भी इन्हें शुरु नहीं करवाया गया। इसकी वजह से ही कंपनी को 1007.98 करोड़ का नुकसान हुआ है। यह खुलासा हुआ है कैग की रिपोर्ट में। सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट में अधिकारियों की मिलीभगत से होने वाली गड़बडिय़ों की वजह से ही इस  थर्मल पॉवर प्लांट में बनने वाली बिजली की लागत महंगी पड़ रही है। प्रदेश में बिजली उत्पादन के लिए 10 जल विद्युत गृह हैं। इनमें से भी कई जल विद्युत गृह भी बंद पड़े हुए हैं, जबकि इनसे मिलने वाली बिजली कोयले वाली बिजली से सस्ती पड़ती है और प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलती है।
कब से कब तक रहीं बंद
इन दोनों इकाइयों पर नजर डालें तो थर्मल पावर प्लांट की 3 नंबर इकाई 7 जुलाई 2020 से 31 जुलाई 2021 तक बंद रही है। इसके बाद भी कई बार इस इकाई में खराबी आती रही है। वहीं यहां यूनिट नंबर चार 11 जुलाई 2020 से 31 मार्च 2021 तक पूरी तरह से बंद रही है। रिपोर्ट में सामने आया है कि यूनिट 4 को टर्बाइन में थोड़ी से खराबी आ जाने पर भी बंद कर दिया गया। इसकी वजह से मांग और पूर्ति में अंतर आ गया जिसकी वजह से महंगी दर पर बिजली की खरीदी की गई। इसकी वजह से इससे बिजली कंपनियों के घाटे में वृद्धि हुई है।
क्षमता से आधा भी नहीं हो रहा उत्पादन
प्रदेश को बिजली उत्पादन के मामले में सर प्लस राज्य माना जाता है, इसके बाद भी समय-समय पर बिजली की खरीदी करनी पड़ती है। अगर उत्पादन क्षमता की बात की जाए तो प्रदेश में सभी इकाइयों और अन्य स्रोतों से विद्युत उत्पादन क्षमता 22730 मेगावाट है, जबकि प्रदेश में अमूनन बिजली की मांग 8 से 9 हजार मेगावाट ही रहती है। इसके बाद भी मांग में वृद्धि होते ही बिजली की कटौती शुरू हो जाती है। या फिर बिजली की खरीदी करनी पड़ती है। यह खरीदी  निजी सेक्टर से की जाती है, जो महंगी पड़ती है।

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