शिव का ध्यान अब बुंदेलखंड-चंबल पर केंद्रित

 शिवराज सिंह चौहान

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे में दस माह बाद होने वाले विधानसभा के आम चुनाव में दलितों का साथ पाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब दलित एजेंडे पर आगे बढ़ रहे हैं। खासतौर पर प्रदेश के बुदेंलखंड और ग्वालियर चंबल अंचल में इस वर्ग की नाराजगी को देखते हुए ही उनके द्वारा इन दोनों अंचलों में दो बड़े आयोजन करने का  तय कर लिया गया है। दरअसल पार्टी व सरकार द्वारा कराए गए चुनावी सर्वे में इन दोनों अंचलों में स्थिति अच्छी नहीं बताई गई है। खासतौर पर दलित वर्ग के दूर होने का अंदेशा अब भी जाताया जा रहा है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 फरवरी को सागर में रविदास जंयती पर और आंबेडकर जंयती पर 14 अप्रैल को महाकुंभ के रुप में बढ़ा आयोजन करने की घोषणा सार्वजनिक रुप से की है। दरअसल बुंदेलखंड अंचल में बड़ी संख्या में संत रविदास को मानने वाले जबकि, ग्वालियर -चंबल अंचल में भारी संख्या में आंबेडकर के दलित अनुयायी रहते हैं।
इन दोनों ही आयोजन की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम हाउस में आयोजित अनुसूचित जाति मोर्चा के सम्मेलन में की है। उन्होंने कहा कि 1990 में पटवा जी की सरकार के समय महू स्थित जन्मस्थली को तीर्थ बनाने के लिए शिलान्यास किया गया था, उसके बाद कांग्रेस की सरकार ने एक ईंट नहीं लगाई। बाद में जब भाजपा की सरकार बनी तब हमने उस पवित्र स्थल को तीर्थ बनाया । सीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने तय किया है कि प्रदेश की सभी 22 हजार 800 पंचायतों, 313 ब्लॉक और सभी जिलों में संत रविदास जी की जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। संत रविदास जी की जयंती पर महाकुंभ का आयोजन सागर संभाग में होगा। वहीं, 14 अप्रैल को अंबेडकर जी जयंती पर महाकुंभ का आयोजन ग्वालियर में किया जाएगा। इस बार मध्यप्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों और ब्लॉक स्तर पर 5 फरवरी को संत रविदास जयंती का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन सागर में रविदास महाकुंभ का आयोजन होगा, जिसमें प्रदेश के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे।
नहीं किया बाबा साहेब का सम्मान : वीडी
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि यह सामान्य बात नहीं है कि भाजपा की सरकार और संगठन ने अनुसूचित वर्ग के उत्थान के लिए कई ऐतिहासिक काम किए हैं। यह अटूट सत्य है कि भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने का काम डॉ. बाबा साहब आंबेडकर ने किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जब धारा 370 का प्रावधान किया तो इसका विरोध डॉ. आंबेडकर जी ने भी किया था। कांग्रेस ने इतने वर्षों तक शासन किया लेकिन उन्होंने बाबा साहेब को वह सम्मान नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिए था। वहीं दूसरी ओर हमारी सरकार ने बाबा साहेब से जुड़े पंच तीर्थों को बनाया और उन्हें भारत रत्न दिया।
यह है सियासी गणित  
2018 के विधानसभा चुनाव में 35 अनुसूचित जाति वर्ग की 17 सीटों पर कांग्रेस और 18 सीटों पर बीजेपी जीती थी। इसी के चलते 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता मे वापसी हुई थी। अब बीजेपी  2023 को साधने के लिए इसी वोटबैंक पर फोकस कर रही है। इसकी बड़ी वजह भाजपा नेता के उस माई के लाल वाले बयान को माना गया था, जिसके चलते ग्वालियर -चंबल अंचल में संर्घष हो गया था। दरसल मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति  के लिए 35 सीटें रिजर्व है। वहीं प्रदेश की 84 विधानसभा सीटों पर दलित वोटर जीत हार तय करते है। मध्यप्रदेश में 17 फीसदी दलित वोटर  हैं और विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी के साथ यह वोट बैंक एकमुश्त जाता है वह सत्ता में काबिज हो जाती है।
दोनों अंचलों में ऐसा रहा था प्रदर्शन  
बीते आम विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की कुल 26 सीट में से भाजपा को 14, कांग्रेस को 10 और सपा-बसपा को 1-1 सीट मिली थी। अगर इसके पहले के चुनाव परिणामों को देखें तो साल 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को  केवल 6 सीट मिली थीं। इस तरह कांग्रेस को चार सीटों का फायदा मिला था । अगर ग्वालियर -चंबल अंचल की बात की जाए तो अंचल की कुल 34 विधानसभा सीटों में से  भाजपा को महज 07 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस ने 26 सीटें जीतकर इतिहास बनाया था। एक सीट बसपा के खाते में गई थी। हालांकि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ दलबदल कर कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का  दामन थामा था, जिसके बाद  2020 में हुए विधानसभा उप चुनाव में भाजपा ने 16 में से 9 सीटें जीत ली थीं, जिसके बाद भाजपा की सीटों की संख्या बढ़कर 16 हो गई तो कांग्रेस 26 से घटकर 17 सीटों पर आ गई थी।
आंबेडकर की हार का टीकड़ा फोड़ा कांग्रेस पर
कांग्रेस पार्टी ने कभी भी कबीर महाकुंभ, आंबेडकर महाकुंभ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया। भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार गरीब कल्याण की अनेक योजनाओं के माध्यम से उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने काम कर रही है। भाजपा समाज को जोड़ने काम करती है तो वहीं कांग्रेस फूट डालो-राज करो की नीति पर समाज को तोड़ने का काम करती है। हमारी सरकार ने अनुसूचित वर्ग के लिए कई ऐतिहासिक काम और योजनाएं संचालित की हैं। इन योजनाओं के माध्यम ये भाजपा ने अनुसूचित समाज को सक्षम बनाया है। जिन बाबा साहब आंबेडकर जी ने भारत में सामाजिक एकता के लिए संविधान जैसे पवित्र ग्रंथ की रचना की उन्हीं अंबेडकर  जी को चुनाव हराने का पाप कांग्रेस ने किया।

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