निर्माण और संचालन में खामियों से 21 अरब की चपत

निर्माण और संचालन
  • सिंगाजी पावर प्लांट में गड़बडिय़ां उजागर

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। खंडवा स्थित सिंगाजी पावर प्लांट के निर्माण और संचालन में बड़ी खामियां उजागर हुई है। जिसमें सरकार को 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में हुआ है। कैग की यह रिपोर्ट वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में प्रस्तुत की। यह रिपोर्ट मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष को आधार मानकर तैयार की गई है।
    कैग की रिपोर्ट के अनुसार सिंगाजी ताप विद्युत गृह के निर्माण और संचालन में कई तरह की गड़बडिय़ां हुई हैं। त्रुटिपूर्ण योजना, ठेकेदार को अग्रिम भुगतान नहीं करने, उसे अनुचित समय विस्तार देने और टरबाइनों की विफलता के चलते शासन को वर्ष 2009 से 2021 तक 2113 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। गड़बडिय़ां सामने आने के बाद सीएजी ने अनुशंसा की है कि सभी इनपुट की योजना बनानी चाहिए, जिससे भविष्य में शुरू होने वाली परियोजनाओं में इसका लाभ मिल सके। कंपनी को पर्यावरणीय मानदंडों और विनियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।
    कंपनी ने परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की। समय पर फ्यूल लिंकेज की स्वीकृति प्राप्त नहीं की, जिससे 120 करोड़ रुपये छोड़ने पड़े। ठेकेदार को अग्रिम भुगतान में देरी की गई, जिससे मप्र विद्युत नियामक आयोग ने निर्माण अवधि का ब्याज एवं आकस्मिक व्यय की राशि 215 करोड़ रुपये का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। कंपनी ने इकाइयों के वाणिज्यिक संचालन तिथि से काफी पहले जल आपूर्ति अनुबंध कर लिया, 67 करोड़ रुपये का गैर जरूरी भुगतान किया गया। निर्धारित समय पर परियोजना पूरी नहीं होने के कारण महंगी दरों पर बिजली खरीदने में 102 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। कंपनी ने संयंत्र के संचालन के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं जुटाईं। ऐसे में उत्पादन हानि के अतिरिक्त 1055 करोड़ रुपये स्थायी लागत की वसूली नहीं हुई।
    पीएचई में मिली खामियां…
    सीएजी ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग में भी गड़बड़ी पकड़ी है। सीएजी ने जल निगम द्वारा चलाई जा रही 58 योजनाओं में से 18 की जांच की। इसमें सामने आया कि विस्त़ृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में गलत व्यय, गलत प्राक्कलन, गांव के सभी घरों को शामिल नहीं करने, ओवर हेड टैंक बनाने के लिए गलत दर पर काम देने और ठेकेदार से अतिरिक्त बैंक गारंटी प्राप्त करने में विफलता के चलते शासन को 283 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वर्ष 2017-18 से 2019-20 के बीच वन भूमि का डायवर्सन में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने, डायवर्टेड वन भूमि के उपयोग में अनियमितता, प्राधिकार के बिना वन भूमि का अनियमित डायवर्सन सहित कई तरह की गड़बडिय़ां सामने आई हैं। सीएजी ने 17 वनमंडलों की जांच की थी। कैंपा फंड के अंतर्गत वनीकरण के लिए गलत स्थान का चयन और खरपतवार उन्मूलन पर अनुचित व्यय किया गया है। इससे 364 करोड़ रुपये की हानि सरकार को हुई है।

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