सूचना के अधिकार की उड़ाई धज्जियां, अब भरना पड़ रहा जुर्माना

सूचना के अधिकार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सूचना आयोग द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयासों के बाद भी सूबे का शासकीय अमला जानकारी देने में लगातार हीला हवाली करने में पीछे नही रह रहा है। हालत यह है कि इस तरह के मामलों में न केवल आयोग को फटकार लगानी पड़ रही है , बल्कि उन पर जुर्माना भी लगाना पड़ रहा है। इसके बाद भी सरकारी अफसर व कर्मचारी अपनी आदतों से बाज नही आ रहे हैं।
इसी तरह का एक मामला राज्य सूचना आयोग में सामने आया है, जिसमें सूचना आयुक्त ने 24 सितंबर 2021 को जानकारी देने का आदेश दिया था , लेकिन जानकारी तो नहीं दी गई और उसके लिए नए तरह का बहाना बना दिया गया है। इसकी वजह से एक बार फिर वह मामला आवेदक द्वारा सूचना आयोग के पास ले जाया गया है। खास बात यह है कि सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने संबंधित अधिकारी से इस मामले में जवाब तलब किया तो उत्तर में कहा गया की संबंधित दस्तावेज बोरों में भरे हैं। जिन्हें आवेदक को उपलब्ध करा दिया जाएगा। इस मामले में सूचना आयुक्त ने न केवल संबधित अधिकारी के खिलाफ 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है , बल्कि सख्त लहजे में जानकारी उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं।
हद तो यह हो गई की सुनवाई के दौरान वगैर जानकारी दिए ही तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी रामकुमार अहिरवार आवेदक का संतुष्टि प्रमाण पत्र लेकर भी पहुंच गए। इस मामले में उनके द्वारा आयुक्त को भरोसा दिलाने का प्रयास किया गया की वे आवेदक को जानकारी उपलब्ध करा देंगे। इस पर सूचना आयुक्त तिवारी ने कहा कि महीनों विलंब से प्राप्त ऐसे संतुष्टि प्रमाण लोक सूचना अधिकारी के बचाव का विधिक आधार नहीं हैं। दस्तावेज अब तक बोरों में ही भरे हैं।
सुनवाई तक बदल गए अफसर
आवेदन से लेकर आयोग के आदेश होने तक रामकुमार अहिरवार लोक सूचना अधिकारी थे। उनके द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया। इस बीच फिर से सुनवाई होती उसके पहले ही लोक सूचना अधिकारी बदल गए , लेकिन जब आदेश का भी पालन नहीं हुआ तो अपीलार्थी लक्ष्मण ने फिर से शिकायत की। सुनवाई के दौरान वर्तमान लोक सूचना अधिकारी केशव साहू ने आयोग के समक्ष कहा कि रामकुमार अहिरवार ने उन्हें पंचायत के कोई दस्तावेज नहीं सौंपे हैं, बल्कि उनका कहना था कि सारे दस्तावेज बोरों में भरे हैं।
क्या है मामला
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा जनपद के आवेदक लक्ष्मण प्रसाद ने ग्राम पंचायत बमनौदा में विकास कार्यों से संबंधित दस्तावेज आरटीआई के तहत मांगे थे। उसके आवेदन पर जब कोई जवाब या जानकारी नहीं मिली तो वे पहली अपील में गए, लेकिन वहां भी उन्हें कोई संतोषजनक जानकारी नहीं मिल सकी, जिसके बाद उन्हें अंत में आयोग तक आना पड़ा।

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