मुगालते दूर, शिव की अगुवाई में लड़ा जाएगा अगला चुनाव

शिव की अगुवाई

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा में कई ऐसे नेता हैं जो बीते लंबे समय से सरकार के मुखिया बनने के न  केवल सपनें सजोए हुए हैं बल्कि इसके लिए वे तरह तरह के प्रयास भी कर रहे हैं , लेकिन इसके साथ ही पार्टी ने उनके मुगालते दूर करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अगुवाई में ही चुनावी समर में उतरने का तय कर लिया है। इसकी वजह से अब उन नेताओं के चेहरों का नूर गायब हो गया है, जो बीते लंबे समय से सूबे के मुखिया बनने के सपने देख रहे थे। प्रदेश में अगले साल विधानसभा का आम चुनाव होना है।  यह फैसला बीते हफ्ते दिल्ली में भाजपा के कई राष्ट्रीय नेताओं व संघ के साथ हुई प्रदेश के कोर गु्रप की बैठक में किया गया है। इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष एवं पार्टी के प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव के अलावा राज्य के कई अन्य प्रमुख नेता भी मौजूद थे।  इस बैठक में चुनाव पूर्व की तैयारियों जैसे मंत्रिपरिषद, निगम- मंडलों में खाली पदों को भरा जाना तथा संगठनात्मक गतिविधियों को बूथ स्तर तक विस्तार देने पर चर्चा की गई थी। चौहान प्रदेश के ऐसे नेता हैं, जो सूबे के न केवल सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड बना चुके हैं , बल्कि लगातार पार्टी के चार बार से मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी वे अपने नाम कर चुके हैं। वे प्रदेश के ऐसे नेता हैं, जिनके द्वारा समय-समय पर ऐसी योजनाएं शुरू की गई हैं, जो न केवल राज्य में ही लोकप्रिय हुई हैं , बल्कि देशभर में भी चर्चित हो चुकी हैं। इनमें लाडली लक्ष्मी योजना से लेकर तीर्थ दर्शन यात्रा तक शामिल है।   इनमें से कई को तो दूसरे राज्यों में भी लागू किया गया है।
आधी अबादी के सबसे बड़े चेहरे हैं
दरअसल सूबे में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर छिड़े विवाद में एक बार फिर वे प्रदेश के सबसे बड़े पिछड़ा वर्ग का चेहरा बनकर उभरे हैं। उनके द्वारा लगातार प्रदेश की जनसंख्या में आधी आबादी से अधिक यानि की 52 फीसदी की भागीदारी रखने वाले पिछड़े वर्ग के लिए जिस तरह से आरक्षण का प्रावधान किया गया है, उसकी वजह से उनकी इस वर्ग में उनकी लोकप्रियता बड़ी है। इसके अलावा वे पार्टी के प्रदेश में ऐसे बड़े नेता हैं जो सरकार चलाने से लेकर संगठन के तमाम फैसलों में आसानी से सामन्जस्य बनाने में माहिर हैं। इसकी वजह से उनके पार्टी में और पार्टी के बाहर भी विरोधी अपनी मंशा में सफल नहीं हो पाते हैं।
लोकप्रियता कर चुके है कई बार साबित
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में तीन विधान सभा चुनावों में पार्टी का चेहरा रह चुके हैं। बीते चुनाव में जरुर पार्टी को कांग्रेस की तुलना में कम सीटें मिलने से सत्ता से 15 माह के लिए बाहर होना पड़ा था, लेकिन पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद जिस तरह से एक साथ दो दर्जन से अधिक सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी को सफलता मिली उससे उनकी लोकप्रियता एक बार फिर से सिद्ध हो चुकी है। दरअसल बीते आम विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार की दो वजहें बनी थी , जिसमें से एक मंत्रियों की कार्यशैली की वजह से नाराजगी , जबकि दूसरी वजह रही थी आरक्षण को लेकर दिया गया बयान। वे हाल ही में न केवल लोकसभा के उपचुनाव में पार्टी की जीत के वाहक बन चुके हैं, बल्कि उपचुनावों में भी अपनी रणनीति की वजह से कांग्रेस के प्रत्याशियों को उनकी पार्टी के ही गढ़ में भी हरा चुके हैं।
भरोसा जीतने में रहे सफल
भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश के मामले में केंद्रीय नेतृत्व की पार्टी स्तर पर या चुनावों के मद्देनजर किसी बदलाव की योजना नहीं है। चार बार मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान अपनी प्रभावी कार्यशैली के कारण तमाम विरोधी नेताओं की सक्रियता के बाद भी केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास जीतने में भी सफल रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा  मोदी सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर मंच से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जमकर तारीफ की जा चुकी है। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस संबंध में स्पष्ट कर चुके हैं कि मप्र में शिवराज के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा। इसके अलावा शिव सरकार की खासियत यह  है कि प्रधानमंत्री जिस कदम के उठाए जाने की अपेक्षा करते हैं, उस तरह की योजना बनाकर उस पर प्रदेश सरकार अमल करना सबसे पहले शुरू कर देती है। पार्टी आलाकमान से लेकर प्रधानमंत्री तक का विश्वास जीतने की एक वजह यह भी है। वे सूबे के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं , जो लगातार जनता के बीच सक्रिय बने रहते हैं और मतदाताओं को खुद से जोडे के प्रयासों में लगे रहते हैं।

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