लोकसभा: तीन पूर्व सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में चार चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर होना स्वभाविक है, लेकिन यह पहला मौका है जब तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। यह बात अलग है कि इसकीं अलग -अलग हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के कंधे पर प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीट पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी है, जबकि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान स्वयं लोकसभा के प्रत्याशी हैं। इसकी वजह से उन पर खुद को जिताने की जिम्मेदारी बनी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भले ही इस बार स्वयं चुनावी मैदान में प्रत्याशी नहीं हैं, लेकिन उनके पुत्र नकुलनाथ के चुनाव लड़ने की वजह से उनकी जीत करने का जिम्मा उनके पास है। कांग्रेस के दोनों पूर्व सीएम की स्थिति पहली बार करो या मरो की बनी हुई है। इसकी वजह है उन्हें भाजपा से मिलने वाली कठिन चुनौती है। अहम बात यह है कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव में यह पहला मौका है जब प्रदेश की कमान संभालने वाले चार चेहरों को प्रतिष्ठापूर्ण लड़ाई लड़नी पड़ रही है। यही नहीं एक साथ दो पूर्व मुख्यमंत्री भी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। खैर यह तो 4 जून को ही पता चलेगा कि किसकी प्रतिष्ठा में इजाफा हुआ है और किसकी कम हुई है।
शिवराज पर दोहरी जिम्मेदारी
देश के सबसे चर्चित मुख्यमंत्रियों में शामिल रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर दोहरी जिम्मेदारी हैं। इसकी वजह है उनका विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव लडऩा और प्रदेश की अन्य सीटों पर पार्टी के लिए प्रचार कर उनकी जीत का रास्ता खोलना।  वे चुनाव घोषित होने से पहले ही सक्रिय हो गए थे। 18 साल तक प्रदेश के मुखिया रहे शिवराज सिंह चौहान इस समय दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। एक तो अपने खुद के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं और दूसरा खुद का प्रचार छोडक़र दूसरे जिलों में जाकर सभा और रोड शो कर रहे हैं। लाड़ली बहन योजना लागू होने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने योजना के माध्यम से विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई। आज वे प्रचार का प्रदेश में बड़ा चेहरा बन चुके हैं।
खुद जीतना बेहद अहम
2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे पूर्व सीएम दिग्विजय के सामने इस बार लाज बचाने की चुनौती है। मप्र कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और राजगढ़ के पूर्व शाही परिवार से आने वाले दिग्विजय सिंह की चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। अपने गृह क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे दिग्गी राजा ने बीजेपी को मात देने के लिए अपने क्षेत्र में पदयात्रा कर रहे हैं। प्रचार के रूप में पदयात्रा करने के पीछे उनका मुख्य कारण यह है कि इसके जरिए वे उन जगहों पर जा रहे हैं, जहां कांग्रेस को वोट नहीं मिलते हैं। हालांकि राजगढ़ में दिग्विजय की स्थिति मजबूत बताई जा रही है।
सभी सीटें जिताने का जिम्मा
डॉक्टर मोहन यादव ने 12 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली ,तो पार्टी ने उन्हें प्रदेश की सभी सीटें जिताने का जिम्मा दे दिया। चार माह के अपने कार्यकाल में ही वे पहले दिन से चुनावी मोड में दिख रहे हैं। यही वजह है कि वे लगातार मैदानी स्तर पर दौरे करते आ रहे हैं। अब चुनाव के चलते वे प्रदेश की हर सीट का दौरा कर प्रचार कर रहे हैं। वे सभाओं को संबोधित कर रहे हैं जगह-जगह रोड शो कर रहे हैं। मुख्यमंत्री यादव के सामने दो बड़े लक्ष्य हैं । पिछले चुनाव की सभी विजयी 28 सीट को सुरक्षित रखना और छिंदवाड़ा सीट जीतकर सभी 29 सीटें हाई कमान की झोली में डालना है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव हाई कमान के विश्वास पर कितना खरा उतरते हैं।
पुत्र की जीत का जिम्मा
2023 का विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हारने के बाद से ही कमलनाथ पार्टी में बैकफुट पर है। उन्होंने पुत्र को सांसद बनाने के लिए अपनी सीट छोड़ दी हैं। अब छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ चुनावी मैदान में है। पुत्र को चुनाव जीतने के लिए पिता कमलनाथ पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। वैसे छिंदवाड़ा की सीट कांग्रेस की ही रही है, पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली एकमात्र सीट भी छिंदवाड़ा की ही मिली। कमलनाथ के लिए भी यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। इस सीट पर कमलनाथ का बड़ा प्रभाव है। लेकिन इस बार भाजपा भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। इस सीट पर अब तक कमलनाथ को एक बार ही पराजय का सामना करना पड़ा।

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