ढाई गुना अधिक लगा दिए रिफलेक्टर टेप

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अधिकांश सड़क हादसों की वजह वे ट्रैक्टर ट्रालियां हैं, जिनका उपयोग अवैध रुप से व्यवसायिक रुप से धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसके बाद भी पुलिस से लेकर परिवहन महकमा तक इन पर कार्रवाई करने के मामले में काई कदम उठाने को तैयार नही दिखता है। हद तो यह हो गई कि परिवहन विभाग ने सड़क हादसों को रोकने के नाम पर रजिस्टर्ड ट्रैक्टर ट्रालियों की तुलना में ढाई गुना अधिक रिफलेक्टर टेप लगाने का कारनामा कर डाला। हद तो यह हो गई जिन दो संभागों में इसके लिए अभियान चलाया गया उन दोनों संभागों के तहत आने वाले जिलों में हजारों ट्रैक्टर ट्रालियां अवैध परिवहन में लगी हुई हैं, लेकिन विभाग को महज 74 ट्रैक्टर ट्राली ही हाथ लगे हैं। खास बात यह है कि यह अभियान पूरे प्रदेश की जगह महज दो संभागों तक ही सीमित रखा गया है। दरअसल विभाग ने दावा किया है कि उसके द्वारा चलाए गए अभिायान के तहत 10 हजार से अधिक ट्रैक्टर ट्रालियों पर रिफलेक्टर टेप लगाए गए हैं और इस दौरान पकड़े गए वाहनों से 10 लाख रुपए का जुर्माना भी वसूला गया है। यही नहीं विभाग में जबकि पंजीकृत ट्रैक्टर ट्रालियों की संख्या महज 4111 है। इस मामले में विभाग का रुख इससे ही समझा जा सकता है कि राजधानी में ही सड़कों पर हर दिन सैकड़ों ट्रैक्टर ट्रालियों का व्यवसायिक उपयोग होते खुलेआम देखा जा सकता है।
हद तो यह है कि इनमें से अधिकांश में न तो लाईट होती है और अगर लाइट जलती भी है तो इंडीकेटर तो सौ फीसदी में होते ही नही हैं। इसकी वजह से वे दुर्घटना की वजह तो बनते ही हैं साथ दिन में उनका उपयोग भीड़- भाड़ वाली सड़कों पर होने की वजह से जाम की स्थिति भी बनती रहती है। यही नहीं प्रदेश में अवैध परिवहन  के मामलों में कई बार यह घटनाएं सामने आ चुकी हैं कि  ऐसे  ट्रैक्टर-ट्राली को पकड़ने गए राजस्व एवं खनिज अमले पर ट्रैक्टर चढ़ाने का तक का प्रयास किया गया। बावजूद परिवहन विभाग मुहिम चलाकर ट्रैक्टर-ट्राली का पंजीयन नहीं करवा पा रहा है। पिछले साल विभाग ने अवैध परिवहन में लगे ट्रैक्टर-ट्राली को पकड़ने अभियान भी चलाया लेकिन विभाग का अमला नर्मदापुरम में 62 और शहडोल में सिर्फ 12  ट्रैक्टर-ट्राली ही पकड़ सका। जबकि विभाग ने चलाए गए अभियान में 10, 188 ट्रालियों में रिफलेक्टर टेप लगा दिए। इससे यह साबित होता है कि विभाग की रुचि इसमें कतई नहीं है कि जिलों में वास्तविक तौर पर ट्रैक्टर-ट्रालियों का पंजीयन किया जाए। वैसे पंजीकृत ट्रैक्टर ट्रालियों की संख्या 4, 111 है और पंजीयन शुल्क के रूप में विभाग को 5 करोड़ 83 लाख रुपए की आय हुई है।
बिना नंबर प्लेट के वाहनों से होता है अवैध परिवहन
प्रदेश में बिना नंबर के ट्रैक्टर ट्रालियों से अवैध परिवहन धड़ल्ले से हो रहा है। विभाग सिर्फ खानापूर्ति करने कुछ ही ट्रैक्टर-ट्रालियों के विरुद्ध कार्रवाई करता है। कंडम, बिना पंजीयन और बिना बीमा के संचालित वाहनों की संख्या हजारों में है। विभाग को इसके विरुद्ध अभियान चलाना चाहिए।

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