हिंदी विश्वविद्यालय… में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया विवादों में

हिंदी विश्वविद्यालय

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय विवादों का गढ़ बन गया है। आए दिन विश्वविद्यालय में कोई न कोई घपला, घोटाला या विवाद चर्चा में रहता है। नया विवाद असिस्टेंट प्रोफसर की भर्ती का है। अभी भर्ती प्रक्रिया के आवेदन भरे जा रहे हैं।
आवेदन प्रक्रिया पूरी भी नहीं हुई और भर्ती सवालों के घेरे में आ गई है। आवेदन प्रक्रिया के बीच में ही रोस्टर में बदलाव किया जा रहा है। कुछ पद गायब करके नए पद जोड़ दिए गए हैं। गौरतलब है कि इससे भर्ती पर सवाल उठने लगे हैं । हिंदी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया इससे पहले वर्ष 2017 और 2018 में भी की गई थी। तब भी रोस्टर में खामियों की वजह से भर्ती को बीच में रोकना पड़ा था। अब फिर से भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई है। विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के 18 पदों के लिए भर्ती शुरू हुई है। इसके लिए आवेदन 7 अप्रैल से भरे जा रहे हैं। आवेदन भरे जाने की आखिरी तारीख 8 मई है। इसी बीच विश्वविद्यालय ने रोस्टर में बदलाव कर दिया है। आवेदन प्रक्रिया के बीच में रोस्टर में बदलाव कर पदों में  छेड़छाड़ की जा रही है। इससे भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है।
ऐसे दिया विवादों को जन्म
जानकारी के अनुसार पहली बार की आवेदन प्रक्रिया के साथ विश्वविद्यालय ने 18 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें कृषि, अभियांत्रिकी और दर्शन विषय के अलावा अन्य 18 विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की गई थी। हाल  ही में विश्वविद्यालय ने भर्ती के रोस्टर में फिर बदलाव कर दिया है। नए रोस्टर में विश्वविद्यालय ने कृषि, अभियांत्रिकी और दर्शन विषय के पदों को हटा दिया है। इसके स्थान पर शिक्षा, भूगोल और फाइनआर्ट ग्राफिक्स के विषयों को जोड़ दिया है। ऐसे में कृषि, अभियांत्रिकी और दर्शन विषय के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन करने वालों के आवेदन अब निरस्त हो जाएंगे। ऐसे में विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार यशवंत पटेल का कहना है कि नीतिगत निर्णय के तहत पदों में बदलाव किया गया है। जिन पदों को हटाया गया है, उनके आवेदन निरस्त कर दिए हैं। आरक्षण में कुछ कमियां थीं, जिन्हें दूर किया गया है। उधर विश्वविद्यालय ने पहली बार जो आवेदन प्रक्रिया शुरू की थी, उसमें महिला आरक्षण नहीं रखा गया था। अब नए संसोधन में महिला आरक्षण रखा गया है, लेकिन दिव्यांगों के लिए आरक्षण नहीं दिया गया है। वहीं भर्ती में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया, जबकि इस मामले की सुनवाई अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। सुनवाई प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाने तक पुरानी आरक्षण व्यवस्था ही लागू है।

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