जरूरतमंद चिकित्सकों के साथ पीएससी की मनमानी

जरूरतमंद चिकित्सकों

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी)की मनमानी का खामियाजा प्रदेश के उन जरूरतमंद चिकित्सकों को उठाना पड़ रहा है, जो गांव के गरीब, पिछड़े वर्ग तथा अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के  हैं और जो वास्तव में चयनित होने के बाद दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में सेवाएं दे सकते हैं।  पीएससी ने ऐसे 350 चिकित्सकों को साक्षात्कार से बाहर कर दिया है। अब साक्षात्कार से वंचित किए गए छात्रों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है कि उन्हें साक्षात्कार में शामिल होने का अवसर दिया जाए।
वंचित छात्रों का कहना है कि साक्षात्कार में संख्या की कोई लिमिट नहीं हैं। आवेदन करने वाले उन सभी छात्रों को साक्षात्कार का अवसर दिया जाए, जिन्हें अंतिम परीक्षा में 60 फीसदी से अधिक अंक मिले है। उन्हें केवल इसलिए नहीं बुलाया गया, क्योंकि कोरोना के कारण समय पर पोस्ट ऑफिस के माध्यम से रिकॉर्ड नहीं भेज सके, जबकि ऑनलाइन आवेदन में सारे कागजात सही थे। छात्रों का कहना है कि कोरोना के कारण पोस्ट ऑफिस से रिकॉर्ड पहुंचने में देरी हुई है।
बिना सोचे समझे किया बाहर
 छात्रों को परीक्षा से बाहर होने का पता तब चला जब उन्होंने आनलाइन साक्षात्कार की जानकारी लेना शुरू किया। परीक्षा में शामिल होने से वंचित रह गए मेडिकल छात्रों का कहना है कि कोरोना के कारण आवागमन बंद था। पोस्ट ऑफिस की स्थिति के बारे में सभी जानते हैं, ऐसे में यदि रिकॉर्ड भेजने में देरी हुई है तो इसे मानवीय आधार पर कंसीडर किया जा सकता है, क्योंकि साक्षात्कार का एक ही आधार है कि एमबीबीएस की परीक्षा में 60 फीसदी से अधिक अंक हो। मूल रिकार्ड साक्षात्कार से पहले तो चेक ही किया जाता है। अधिकांश परीक्षाओं में यही व्यवस्था है। छात्रों की कठिनाइयों को देखते हुए ही ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था की गई है। अन्यथा आवेदन डाक से भी बुलाए जा सकते हैं। पीएससी परीक्षा से बाहर किए गए 60 फीसदी से अधिक अंक वाले छात्र-छात्राओं को साक्षात्कार का अवसर दे सकती है, क्योंकि इसकी कोई मेरिट लिस्ट नहीं है। साक्षात्कार से पहले रिकार्ड चेक करने की परम्परा रही है। इससे डिग्री करने के बाद प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में रह रहे छात्रों को अवसर मिलेगा और प्रदेश में रिक्त स्वास्थ्य अधिकारियों के पदों को भी भरा जा सकता है। ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में वर्षों से चिकित्सा अधिकारियों के पद रिक्त हैं। यदि पद भर जाएंगे तो कोरोना काल में ग्रामीणों को इलाज की सुविधा मिल सकेगी।
छात्रों ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
जानकारी के अनुसार पीएससी द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के 576 रिक्त पदों को भरने के लिए ऑनलाइन आवेदन बुलाए गए थे। आवेदनों की छटनी के बाद पीएससी ने निर्णय लिया की एमबीबीएस की अंतिम वर्ष की परीक्षा में 60 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाए। इसको लेकर 60 फीसदी से कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों ने ग्वालियर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने साक्षात्कार पर रोक लगाकर राज्य लोकसेवा आयोग को नोटिस जारी किया। आयोग का पक्ष सुनने के बाद न्यायालय ने साक्षात्कार कराने की अनुमति दे दी। आयोग ने दस जनवरी से साक्षात्कार शुरू करने का निर्णय लिया। लेकिन साक्षात्कार से लगभग 350 छात्रों को इस कारण बाहर कर दिया कि क्योंकि उन्होंने रिकार्ड पोस्ट ऑफिस के माध्यम से या पीएससी ऑफिस पहुंचकर हैंड टू हैंड जमा नहीं कराया था। छात्रों को एक भी बार इसकी सूचना भी नहीं दी गई।

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