
- 21 प्रतिशत नेता परिवार की राजनीतिक विरासत को बढ़ा रहे
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इनदिनों भाजपा और कांग्रेस में संगठन विस्तार हो रहा है। इसके लिए दोनों पार्टियों ने परिवारवाद पर नकेल कस रही है। भाजपा ने हाल ही में जिला कार्यकारिणियों से नेताओं के परिजनों को हटाया, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव के टिकट दिए। ऐसा ही हाल कांग्रेस का भी है। इसके उलट विधानसभा और लोकसभा चुनाव में तस्वीर उलट दिख रही है। कई पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायकों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए उनके बच्चों और रिश्तेदारों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया। मध्य प्रदेश में वर्तमान में पति और पत्नी सांसद और विधायक हैं। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही 270 जनप्रतिनिधियों में 57 नेता यानी 21 प्रतिशत को राजनीति विरासत में मिली है।
दरअसल, मप्र सहित देश की राजनीति में परिवारवाद को लेकर बहस जारी है। इस बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर)ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में कुल 5204 सांसद और विधायक है। इनमें से 1107 यानी लगभग 21 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिनका राजनीतिक जुड़ाव किसी राजनीतिक परिवार से है। इसका मतलब यह है कि हर 5 में से एक जनप्रतिनिधि का संबंध किसी राजनीतिक परिवार से है। रिपोर्ट के मुताबिक मप्र के 230 विधायकों में से 48 विधायकों के परिवार राजनीति से जुड़े हैं। इसमें भाजपा के 28, तो कांग्रेस के 20 विधायक शामिल हैं। वहीं 9 सांसदों में अधिकांश महिला सांसद वंशवाद की राजनीति को आगे बढ़ा रही हैं।
विधानसभा में भाजपा का परिवारवाद
मप्र के 230 विधायकों में 48 विधायकों को राजनीति विरासत के तौर पर मिली है। भाजपा के 163 विधायक में से 28 विधायक अपने परिवार की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ा रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल हरसूद से विधायक हैं। इनके पिता विजय खंडेलवाल सांसद रह चुके हैं। मप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग के पिता कैलाश सारंग भाजपा के संस्थापक सदस्य और राज्यसभा सांसद रहे। 8 महिला विधायकों ने भी वंशवाद के जरिए राजनीति में कदम रखा है। गोविंदपुरा सीट से भाजपा विधायक कृष्णा गौर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू हैं। बाबूलाल गौर ने भोपाल की राजनीति पर दशकों तक दबदबा बनाए रखा और 2004 से 2005 तक मप्र के मुख्यमंत्री भी रहे। सिद्धार्थ तिवारी के पिता सुंदरलाल तिवारी सांसद और दादा श्रीनिवास तिवारी मप्र विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। सुरेंद्र पटवा अपने चाचा पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। जावद से विधायक ओम प्रकाश सकलेचा को भी पिता पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा से विरासत में राजनीति मिली। इसी तरह मालिनी गौड़, प्रतिभा बागरी, विक्रम सिंह, उमाकांत शर्मा जैसे कई विधायक भी पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
कांग्रेस में परिवारवादी विधायक
मप्र में कांग्रेस के 63 में से 20 विधायक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। राघोगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह तीसरी पीढ़ी हैं, जो परिवार की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। सीधी के चुरहट से विधायक अजय सिंह कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। अजय सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के दिग्गज कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह के बेटे हैं। अर्जुन सिंह 2 बार मप्र के मुख्यमंत्री और 2 बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को राजनीति की विरासत चाची जमुना देवी से मिली, जो उपमुख्यमंत्री रह चुकी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय के बेटे जयवर्धन इस समय मध्य प्रदेश के सबसे सक्रिय कांग्रेस नेताओं में से एक हैं। इनके चाचा लक्ष्मण सिंह भी विधायक और सांसद रहे। पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया और हेमंत कटारे भी अपने पिता सत्यदेव कटारे की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसी तरह सतना विधायक डब्बू सिद्धार्थ कुशवाह, बघेल सुरेंद्र सिंह हनी, झूमा सोलंकी जैसे विधायकों को भी राजनीति विरासत में मिली है।
9 सांसद बढ़ा रहे परिवारवाद
मप्र में लोकसभा और राज्यसभा में 9 सांसद परिवारवार को आगे बढ़ा रहे हैं।मप्र में 29 लोकसभा सांसद हैं। इनमें से 5 परिवार की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें से 4 महिला सांसद हैं। पुरुषों में एकमात्र नाम गुना-शिवपुरी से सांसद केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का है। उनके पिता माधवराव सिंधिया, दादी विजयाराजे सिंधिया, बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे सिंधिया भी राजनीति में हैं। बालाघाट सांसद भारती पारधी के ससुर भोलाराम पारधी सांसद रहे हैं। रतलाम सांसद अनिता चौहान के पति नागर सिंह चौहान राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। सागर सांसद लता वानखेड़े के पति नंद किशोर वानखेड़े भाजपा में पदाधिकारी रहे हैं। शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह पूर्व सांसद दलबीर सिंह की बेटी हैं। वहीं राज्यसभा में मप्र की 11 सीटें हैं। इसमें 8 सदस्य भाजपा के हैं, जबकि 3 सदस्य कांग्रेस के हैं। राज्यसभा में भी 11 में 4 सदस्य अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम दिग्विजय सिंह का है। दिग्विजय के पिता बलभद्र सिंह राघौगढ़ के शासक रहे। उनके बेटे जयवर्धन विधायक हैं। भाई लक्ष्मण सिंह भी सांसद विधायक रह चुके हैं। अशोक सिंह के पिता राजेंद्र सिंह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी के चाचा माखन सिंह खंडवा-बड़वानी सीट से सांसद रहे हैं। कविता पाटीदार के पिता भेरूलाल पाटीदार चार बार विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष रहे हैं।