
- राज्य सरकार ने उपार्जित अनाज के भंडारण के लिए नीति में किया बदलाव …
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार ने उपार्जित अनाज के भंडारण के लिए नीति में बदलाव किया है। इसके तहत प्रदेश में गेहूं, धान और मोटे अनाज के उपार्जन के बाद निजी गोदामों में भंडारण के बाद अब भंडार गृह संचालक उस अनाज के खराब होने और अनाज में सूखत की वजह से वजन कम होने पर होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी से मुक्त होंगे। भंडारगृह निगम अब केवल गोदाम के भवन ही किराए पर लेगी, अनाज के रखरखाव की जिम्मेदारी निगम खुद उठाएगा या उसके लिए अलग एजेंसी की जिम्मेदारी तय करेगा।
अब इस नई योजना के जरिए ही प्रदेश के निजी गोदामों को किराए पर लिया जाएगा। गौरतलब है की अक्सर निजी भंडारगृहों में रखे जाने वाले अनाज के रखरखाव में अनियमितता के कारण कई बार अनाज खराब हो जाता है। उसके वजन में कमी आ जाती है। मिलावट की शिकायतें भी आती है। इन सब की भरपाई निजी गोदाम संचालक को करना पड़ता है। इसके चलते निजी गोदाम संचालक सरकारी धान, अनाज रखने से पीछे हट रहे है। प्रदेश में भारत सरकार की भंडारण नीति के अनुसार कैप में भी धान का भंडारण होता है और इसके लिए 24 रुपए प्रति मेट्रिक टन भुगतान किया जाता है। प्रदेश में धान मिलिंग की सुविधा सीमित होंने के कारण धान का भंडारण कवर्ड गोदामों में भी करना होता है। छह माह के लिए भंडारण पर सरकार को हर साल 240 करोड़ रुपए खर्च करना होता है। लंबी अवधि तक भंडारण के कारण सूखत का प्रतिशत बढ़ जाता है। इसके कारण होंने वाले नुकसान को देखते हुए निगी गोदाम संचालक धान भंडारण के प्रति उदासीन देखे जा रहे है। निजी गोदाम संचालकों को नुकसान की चिंता से मुक्त करने अब राज्य सरकार ने भंडारण के लिए नई योजना शुरू की है।
अनाज भंडारण में सरकारी गोदामों को प्राथमिकता
नई नीति के तहत राज्य सरकार उपार्जित अनाज के भंडारण के लिए अब पहले शासकीय गोदामों को प्राथमिकता देगी। इसके बाद निजी गोदामों में अनाज रखा जाएगा। इसमें भी जिन निजी गोदामों के पास वे ब्रिज की सुविधा है दूसरे नंबर पर वहां के गोदामों में अनाज रखा जाएगा। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने उपार्जित अनाज के भंडारण के लिए नये नियम जारी कर दिए है। इस कड़ी में अब मूंग उपार्जन एवं भंडारण के लिए नये नियमों का पालन किया जाएगा। मुख्यमंत्री को शिकायत मिली थी कि भंडारण के लिए वेयरहाउस के चयन में अनियमितताएं की जाती है। इसके बाद भंडारण के कामों में पारदर्शिता के लिए ये नियम जारी किए गए है। मूंग उपार्जन और भंडारण के लिए सबसे पहले भंडारण और उपार्जन शासकीय गोदाम में किया जाएगा। क्षेत्रीय प्रबंधक और जिला प्रबंधक एमपी डब्ल्यूएलसी शासकीय गोदामों में उपलब्ध भंडाण क्षमता की प्रमाणीकृत जानकारी जिला कलेक्टर को उपलब्ध कराएंगे। शासकीय गोदामों में अनुमानित उपार्जन के लिए पर्याप्त भंडारण क्षमता न होंने की स्थिति में शेष भंडारण आवश्यकता के लिए उपार्जन एवं भंडारण एमपी डब्ल्यूएलसी से अनुंबंधित निजी गोदामों में किया जाएगा। अनुबंधित निजी गोदामों के चयन के लिए भी प्राथमिकता तय की गई है। सबसे पहले उन निजी गोदामों में भंडारण होगा जिनके परिसर में वे ब्रिज की सुविधा उपलब्ध है। दूसरी प्राथमिकता उन निजी गोदामों को दी जाएगी जिनकी चार किलोमीटर की परिधि में वे ब्रिज उपलब्ध है। तीसरी प्राथमिकता उन निजी गोदामों को मिलेगी जो मुख्य राष्ट्रीय या राज्य और जिला मार्ग पर स्थित है। इसके बाद भी पर्याप्त भंडारण क्षमता उपलब्ध नहीं होंने पर अन्य निजी गोदामों में भंडारण होगा। जहां दो या अधिक निजी अनुबंधित गोदाम प्राथमिकता क्रम में समान स्थिति मे हो तो फिर उस गोदाम को पहले लिया जाएगा जो पीएमएस का कार्य एमपी डब्ल्यूएलसी या एमपी डब्ल्यूएलसी द्वारा अनुबंधित एजेंसी को सौपने के लिए लिखित सहमति प्रस्तुत करे।