पांच दर्जन नई सिंचाई परियोजनाओं को जमीन पर उतारने की तैयारी

  • बढ़ जाएगी प्रदेश में तीस हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता
    – गौरव चौहान

सूबे में भाजपा की शिवराज सरकार बनने के बाद से ही लगातार खेती के लिए सिंचाई सुविधा में वृद्धि करने के प्रयास जारी हैं। इसी कड़ी में अब एक बार फिर से सरकार द्वारा करीब पांच दर्जन नई सिंचाई परियोजनाओं को शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
खास बात यह है कि ये परियोजनाएं उन इलाकों में शुरु करने की तैयारी है जहां, पर अब भी किसानों को सिंचाई के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। यह बात अलग है कि इनको चुनावी नफा  नुकसान से भी जोडक़र देखा जा रहा है। इनमें सर्वाधिक 7 सीएम शिवराज के गृह जिले सीहोर में शुरू की जाएंगी। इसके बाद इनके लिए प्रदेश भाजपाध्यक्ष वीडी शर्मा के लोकसभा क्षेत्र को तबज्जो दी गई है। उनके क्षेत्र के मातहत आने वाले जिलों में 13 परियोजनाएं शुरू करने की तैयार है। इनमें छतरपुर जिले में 6, पन्ना में 4 और कटनी के लिए 3 परियोजनाएं शामिल हैं। इसी तरह से बालाघाट, सागर और रायसेन में 4-4, मुरैना, टीकमगढ़, निवाड़ी और शाजापुर में 3-3 तथा सतना और बुरहानपुर में 2-2 नई परियोजनाएं शुरू करने की तैयारी है, जबकि उज्जैन, देवास, दमोह, बैतूल, शिवपुरी, भोपाल, इंदौर, रतलाम, नीमच और अनूपपुर में एक-एक परियोजना शुरू की जाना है। मानसून आने से पहले इनके शिलान्यास की तैयारी की जा रही है। इन परियोजनाओं पर जल संसाधन विभाग द्वारा इस साल 1714 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। विभाग का दावा है कि छोटी नदियों, जलाशय और स्टॉप डेम पर आधारित इन परियोजनाओं से प्रदेश में लगभग 30 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता बढ़ जाएगी।
बजट में भी किया गया प्रावधान
ग्रामीण इलाकों में पानी संकट सबसे बड़ा मुद्दा है। इसीलिए जल संसाधन विभाग के बजट में पिछले साल की तुलना में 1176 करोड़ रुपए (19.58 फीसदी ) की वृद्धि की गई है। 44605 करोड़ रुपए की राष्ट्रीय केन-बेतवा लिंक परियोजना भी इसी साल शुरू होनी है। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि अभी प्रदेश में सिंचित जमीन का रकबा 45 हजार हेक्टेयर है, इसे 65 हजार हेक्टेयर करने का टारगेट है।
होगा दोहरा फायदा
सिंचाई क्षमता में तेजी से बढ़ोत्तरी होने पर राज्य सरकार को दोहरा फायदा है। एक ओर इससे सिंचाई बढऩे पर किसान की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी,दूसरी ओर नर्मदा जल के वर्ष-2034 तक उपयोग करने के डैडलाइन में भी फायदा होगा। सरकार इस सिंचाई क्षमता उपयोग के डाटा को नर्मदा ट्रिब्यूनल में भी पेश कर पाएगी। इस कारण इस पर और तेजी से काम हो रहा है। वर्तमान में करीब नौ हजार करोड़ की सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें सात हजार करोड़ की परियोजनाएं तो वर्ष-2021 के दौरान ही शुरू की गई हैं। इसके अलावा आगामी सालों में करीब आठ हजार करोड़ की परियोजनाएं और शुरू होंगी।
7 परियोजनाओं से डेढ़ लाख हेक्टेयर में सिंचाई
पार्वती और सुठालिया बड़ी परियोजनाओं तथा पांच मध्यम परियोजनाओं से भोपाल, विदिशा, सीहोर, राजगढ़ सहित आधा दर्जन जिलों में डेढ़ लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी। सरकार ने इसके लिए रोड मैप तैयार किया है, जिसमें बाधों में जलभराव क्षमता बढ़ाने और खेतों तक पाइपलाइन बिछाने का काम शामिल है। खेतों तक पानी पहुंचाने से पानी की बर्बादी बचेगी। पानी पहुंचाने में ज्यादा समय भी नहीं लगेगा। यह काम दो से तीन वर्ष में पूरा होगा। इन परियोजनाओं से किसानों को तीन फसलों के लिए पानी मिलेगा। नहर आने के बाद किसानों को बोर के पानी पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा।
हर साल बढ़ रही सिंचाई क्षमता
प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनी है सिंचाई क्षमता साल दर साल बढ़ती जा रही है। इस कारण सरकार ने प्रदेश में सिंचाई क्षमता को चुनाव कैम्पेन में भी रखना तय किया है, क्योंकि कांग्रेस शासनकाल से इसकी तुलना में बेहद ज्यादा वृद्धि हुई है। वर्ष 2003 में प्रदेश में महज 6.20 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता थी, जो अब बढक़र 31.70 लाख हैक्टेयर तक हो गई है। इसमें दोगुना वृद्धि के लिए आगे प्लान है। इस कारण सिंचाई क्षमता का विकास सरकार अपनी बड़ी उपलब्धि मानती है। प्रदेश में 2007-08 में 7.85 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता थी जो 2013-14 में 23.30 लाख हैक्टेयर, 2018-19 में 27.19 लाख हैक्टेयर, 2019-20 में 29.24 लाख हैक्टेयर, 2020-21 में 30.45 लाख हैक्टेयर और 2021-22 में 31.70 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता हो गई है। वहीं तीन चरण में दिसंबर 2023 में 40 लाख हैक्टेयर, दिसंबर 2025 में 46 लाख हैक्टेयर और दिसंबर 2027 में 53 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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