मध्यप्रदेश में धूल से फैल रहा ‘प्रदूषण’

प्रदूषण
  • पीसीबी और आरटीओ की जांच में खुलासा…

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के कई शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। इसके लिए सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों को प्रमुख कारण माना गया है। लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आरटीओ ने अपनी जांच में खुलासा किया है कि मप्र में धूल से प्रदूषण फैल रहा है। प्रदेश के 52 जिलों में उज्जैन और जबलपुर में हवा की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब है। इस मामले में पहले पायदान पर उज्जैन है, जहां वायु की गुणवत्ता बहुत खराब है। इसके बाद जबलपुर है, यहां भी हवा में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक हो चुका है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के पार लगातार बना हुआ है, जो विज्ञानियों के लिहाज से चिंताजनक है।  वैसे प्रदेश में बढ़ते वायु प्रदूषण में वाहनों से फैलने वाले धुंए को बड़ी वजह माना जाता है, लेकिन अब वाहन इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि धूल ही एकमात्र कारण रह गया है। साल 2021-22 में की गई वाहनों की जांच के बाद की संख्या को देखें तो प्रदेश में सिर्फ 380 वाहन और भोपाल में 21 वाहन ही ऐसे निकले हैं, जिन्हें प्रदूषण फैलाने का कारण माना गया हैं।
लगातार चलाया जा रहा अभियान
दरअसल, शहरों में पॉल्यूशन कम करने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पीसीबी) व आरटीओ मिलकर दो तरह का अभियान चला रहे हं। पीसीबी जहां शहर के अलग-अलग स्थानों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) मापकर इसका पता करते हैं तो आरटीओ शहर में पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) मशीनों के डाटा की मॉनिटरिंग करते हैं। वाहनों के पॉल्यूशन जांच की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके अनुसार भोपाल तो जांच के मामले में मप्र के इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर से वाहन प्रदूषण रोकने में काफी आगे है। भोपाल में छह इलाकों में प्रदूषण की जांच करने वाले स्टेशन हैं। इसमें से टीटी नगर स्टेशन लगातार लाइव अपडेट बताता है। इनके अलावा अब पर्यावरण परिसर में भी लाइव स्टेशन है, जिसकी रिपोर्ट अभी पोर्टल से नहीं जोड़ी गई है। इनसे मिली रिपोर्ट के आधार पर संबंधित इलाकों में रेंडमली वाहनों की जांच की जाती है। इस मामले में भोपाल आगे है। भोपाल में बीते साल 1350 में से सिर्फ 21 वाहन पॉल्यूशन फैलाने वाले मिले। वहीं, इंदौर में 1550 में से 81, ग्वालियर में लगभग 1400 में से 150 और जबलपुर में 1600 में से सिर्फ 27 वाहन निकले।
प्रदूषित वाहनों की संख्या कम हो रही
अफसर इसे अच्छा बता रहे हैं, क्योंकि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या लगातार कम हो रही है, लेकिन जब पड़ताल की गई तो पता चला कि जांच कराने वाहनों में कार, मोटर साइकिल की संख्या 95 फीसदी है। वहीं, शहर में चलने वाले ट्रक, बस और लोडिंग आॅटो की संख्या महज 5 फीसदी है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य ए. मिश्र का कहना है कि पीयूसी सेंटर की जांच आरटीओ द्वारा की जाती है। हम रेंडमली कभी कभी जांच करते हैं और रिपोर्ट शासन को भेजते हैं। वहीं आरटीओ भोपाल संजय तिवारी का कहना है कि प्रदूषण रोकने के लिए हम लगातार जागरुकता कार्यक्रम और संस्थाओं से चर्चा करते हैं। वाहनों का औचक परीक्षण करने के बाद संबंधित विभागों को कार्रवाई करने को भी कहते हैं।

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