- 55 कॉलेजों के लिए योग्य प्राचार्यों का होना है चयन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिव्य स्वप्न को पूरा करने के लिए प्रदेश के हर जिले से एक कॉलेज को पीएमश्री एक्सीलेंस कॉलेज के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्रदेश के सभी 55 जिलों में यह कॉलेज बनाए गए हैं। अब सरकार चाहती है कि इन कॉलेजों में ऐसे प्राचार्य आएं जिनमें कुछ अलग करने जज्बा हो। इसके लिए सरकार ने प्रोफेसर्स से आवेदन मंगाए हैं। लेकिन पीएमश्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में प्राचार्य बनने के लिए प्रोफेसर्स का रुझान नहीं दिख रहा है। प्राचार्य के प्रभार के लिए राज्य के अलग-अलग 562 कॉलेजों में कार्यरत महज 213 प्रोफेसरों ने ही आवेदन किए हैं। इनमें से भी फार्म भरने वाले अधिकांश प्रोफेसर अपने ही कॉलेज का प्राचार्य बनना चाहते हैं। जबकि इस प्रक्रिया के लिए शासकीय कॉलेजों के मौजूदा प्राचार्यों समेत करीब तीन हजार से अधिक प्रोफेसर पात्रता रखते हैं।
जानकारी के अनुसार प्रोफेसर्स का रुझान कम रहने की वजह यह है कि प्रक्रिया नियमित प्राचार्य के पद के लिए नहीं है। इस पदस्थापना से ना ही प्रोफेसर का पदनाम बढ़ेगा और ना ही उनका स्केल बढ़ेगा। उनके सीआर में भी इससे ज्यादा अंतर नहीं आएगा। वहीं सीनियरिटी में भी लाभ नहीं होगा। ऐसे में प्रोफेसर्स का मानना है कि यह जिम्मेदारी लेने से सिर्फ कार्यभार बढ़ेगा। इसके अलावा प्रोफेसर्स को यह भय भी है कि ट्रांसफर होने पर उनकी जमी-जमाई व्यवस्था और कॉलेज भी बदल सकता है। इस संबंध में कॉलेजों के शिक्षकों ने बताया कि हम लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. धीरेंद्र शुक्ला का कहना है कि चयन समिति में वरिष्ठ प्रोफेसरों को रखा जाता है। 213 प्रोफेसर्स ने आवेदन किया है, सभी 55 कॉलेजों के लिए योग्य प्राचार्यों का चयन होगा।
दो कॉलेजों के विकल्प भरने का ऑप्शन
पीएमश्री कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य केपद पर रहने से प्रोफेसर्स को कोई लाभ नहीं होगा। उनके पास दो कालेजों के विकल्प भरने का ऑप्शन था। प्रभार मिलने पर ट्रांसफर भी हो सकता है। भविष्य में नियमित प्राचार्य की भर्ती होने पर उनको ट्रांसफर भी झेलना पड़ेगा। वहीं कुछ प्रोफेसर्स का कहना है कि उनके रिटायरमेंट में दो-तीन साल ही रह गए हैं. ऐसे में वे शिफ्टिंग और नई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं। नाम ना छापने की शर्त पर कुछ प्रोफेसर्स ने बताया कि वे सीनियर प्रोफेसर हैं। प्राचार्य पद के लिए इंटरव्यू के आधार सिलेक्शन होगा, लेकिन चयन समिति में कौन होगा, यह भी प्रश्न है। ऐसे में सिलेक्शन नहीं होने पर हमारी योग्यता पर सवालिया निशान लगेगा। शासकीय महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रो. आरएस रघुवंशी का कहना है कि अधिकांश कॉलेज के कार्यरत प्रोफेसरों ने अपने ही कालेज में प्रभारी प्राचार्य के लिए फार्म भरा है। यह अस्थाई पद है, इसलिए प्रोफेसर्स को कोई लाभ नहीं मिलेगा और यही वजह है कि उनका रुझान भी नहीं है। शासन यदि पदोन्नति करके स्थाई नियुक्ति करता तो कार्य संचालन सुचारू होते और प्रोफेसर्स की तरक्की कर रास्ता भी खुलता। उच्च शिक्षा संचालनालय के अफसरों ने बताया कि प्रिसिपल के पद पर पोस्टिंग के लिए सबसे ज्यादा 33 आवेदन कॉमर्स के प्रोफेसर्स ने किए हैं। आवेदन करने वालों में फिजिक्स, बॉटनी, हिंदी, इंग्लिश, मैथ्स और दूसरे सब्जेक्ट के 213 प्रोफेसर शामिल हैं।
प्रभारी प्राचार्य के लिए महज 213 आवेदन
पीएमश्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में प्राचार्य और प्रभारी प्राचार्य के पद पर पोस्टिंग के लिए प्रदेश के 13 जिलों में संचालित सरकारी कॉलेजों के एक भी प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर ने आवेदन नहीं किया है। जबकि 42 जिलों में संचालित अलग-अलग कॉलेजों के 213 फेकल्टी मेंबर्स ने पीएमश्री कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य के लिए एप्लाई किया है। आवेदन करने वालों में पांच प्रिंसिपल भी हैं, जो जबलपुर, सागर दतिया और बालाघाट में संचालित कॉलेजों में कार्यरत हैं। इन जिलों में संचालित कॉलेजों में कार्यरत प्रिंसिपल अब पीएमश्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में प्रिंसिपल बनना चाहते हैं। प्राध्यापक संघ के संरक्षक प्रो. कैलाश त्यागी का कहना है कि इसका प्रोफेसर्स को लाभ नहीं मिलेगा, इसलिए रुझान कम है। भर्ती प्रक्रिया भी नियम संगत नहीं है। केवल इंटरव्यू के आधार पर प्रोफेसर्स की योग्यता का आंकलन किन के द्वारा कराया जा रहा है, यह भी सोचने का विषय है। शासन को 1990 के भर्ती नियम अनुसार विभागीय पदोन्नति समिति से चयन प्रक्रिया करवानी चाहिए। प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष प्रो. आनंद शर्मा का कहना है कि करीब तीन हजार प्रोफेसर्स के पास मौका था, लेकिन उनमें से 213 ने ही फार्म भरा है। प्रभार मिलने पर ना ही वेतन बढ़ेगा, ना ही सैलरी, स्केल और पदनाम। सीनियरिटी और सर्विस रिकार्ड में भी इसका कोई लाभ नहीं होगा, बढ़ेगी तो केवल जवाबदारी।