राजस्व न्यायालयों में लगा लंबित प्रकरणों का अंबार

राजस्व न्यायालयों

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार ने प्रावधान किए हैं कि राजस्व न्यायालयों में भूमि के नामांकन, सीमांकान, बंटवारा, अभिलेखों में सुधार सहित अन्य प्रकरणों की सुनवाई के लिए आवेदकों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। यदि सुनवाई की तारीख तीस दिन तक नहीं आती है तो रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) से यह स्वत: निर्धारित हो जाएगी। इसकी सूचना संबंधित अधिकारी के साथ आवेदक को भी एसएमएस के माध्यम से मिलेगी। इसके बावजूद प्रदेश के राजस्व न्यायालयों में प्रकरणों का अंबार लगा हुआ है। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी राजस्व न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए फरियादियों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
प्रकरणों के निराकरण को लेकर उन्हें तारीख पर तारीख मिल रही है।  जबकि , रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि किसी भी न्यायालय में प्रकरण ज्यादा समय तक लंबित न रहें और अधिकारी कार्यालय में बैठकर नियमित सुनवाई करें। सप्ताह में तीन दिन सुनवाई के लिए अधिकारियों को तय करने होंगे। राजस्व विभाग ने सभी संभागायुक्त और कलेक्टरों को आरसीएमएस पोर्टल की इस व्यवस्था का उपयोग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
रीवा में सबसे अधिक मामले लंबित
वर्तमान स्थिति पर गौर किया जाए तो प्रदेश में सबसे अधिक प्रकरण रीवा जिले में लंबित हैं। रीवा संभाग के बाकी जिले भी सर्वाधिक लंबित प्रकरणों की सूची में टॉप टेन में शामिल हैं।  रिपोर्ट के मुताबिक रीवा में 51631 प्रकरण राजस्व न्यायालयों में लंबित हैं। यह संख्या प्रदेश में सर्वाधिक है। सीधी जिला 27722 लंबित प्रकरणों के साथ प्रदेश में पांचवें, सतना 26255 लंबित प्रकरणों के साथ छठवें और सिंगरौली 25508 लंबित प्रकरणों के साथ प्रदेश में सातवें स्थान पर है। संभाग के बाकी जिलों की तुलना में सिंगरौली जिले में सबसे कम प्रकरण लंबित हैं। लंबित प्रकरणों की संख्या अधिक होने के पीछे अधिकारियों की अन्य कार्यों में व्यस्तता मानी जा रही है।
छह महीने पुराने मामले भी लंबित
राजस्व न्यायालयों में लंबित करीब एक चौथाई प्रकरण छह महीने से अधिक समय वाले हैं। इसके अलावा एक वर्ष से अधिक समय से लंबित प्रकरणों की संख्या करीब 10 फीसदी बताई जा रही है। इन प्रकरणों में फरियादियों को केवल तारीख मिल रही है। ज्यादातर मामले बंटनवारा, नामांतरण व सीमांकन सहित भूमि संबंधित ही हैं।

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