
- प्रदेश में तीसरी ताकत बनने के लिए की जा रही कवायद
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही अब तक प्रदेश में आप और एआईएमआईएम को कोई प्रभाव नही है, लेकिन पंजाब में सरकार बनने के बाद से आप की नजर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब मप्र पर भी लगी हुई है। यही वजह है कि नगरीय निकाय चुनाव में संगठन के हिसाब से आप इस बार पूरी तकत लगा रही है। आप का पूरा जोर इस बार निकाय चुनाव में अपना खाता खोलने पर लगा हुआ है। इसकी वजह से ही यह पहला मौका है जबकि प्रदेश में आप के तमाम बडे नेताओं द्वारा सक्रियता दिखाई जा रही है। उधर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी भी मप्र में अपनी पार्टी का विस्तार करने की चाह में घूम रहे हैं।
अगर भोपाल की बात की जाए तो यहां पर तीन पाटीर्यां तीसरी राजनैतिक ताकत बनने की इच्छा में निकाय चुनाव में उतरी हुई हैं। इसमें आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम और बसपा शामिल है। हालांकि, इस रेस में आप और औवेसी की पार्टी बसपा को पीछे छोड़ती नजर आ रहीं हैं। इन दोनों ही दलों के बड़े नेता प्रत्याशियों की जीत तय करने के लिए सभाओं के साथ प्रचार कर रहे हैं। यह बात अलग है कि भोपाल के 85 वार्डों में से एआईएमआईएम ने महज छह पार्षद प्रत्याशी ही मैदान में उतारे हैँ, लेकिन यह प्रत्याशी भी उन वार्ड में उतारे गए हैं , जो पूरी तरह से मुस्लिम बाहुल्य वार्ड माने जाते हैं। इनमें वार्ड 14, 18, 22, 41, 42 और 71 शामिल हैं। इन वार्डों में वे अपने प्रत्याशियों के समर्थन में सभाएं भी कर चुके हैं। उधर आम आदमी पार्टी ने भी भोपाल में 75 और बसपा ने 15 वार्ड प्रत्याशी उतारे हैं। आप इन चुनावों को कितनी गंभीरता से ले रही है इससे ही समझा जा सकता है कि भोपाल आकर दिल्ली की आप विधायक आतिशि मरलेना रणनीति बनाने के लिए भोपाल का प्रवास कर चुकी हैं। उधर बीते रोज ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी प्रदेश का दौरा कर चुके हैं।
वे सिंगरौनी में आप प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने आए थे। यह वो सीट है जिस पर बीते चुनाव में आप ने भाजपा को कड़ी चुनौति दी थी और यहां पर आप प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा था। आप को इस बार इस सीट पर अपने महापौर प्रत्याशी की जीत की संभावनाएं नजर आ रही हैं। माना जा रहा है की प्रचार के अंतिम दिन राज्यसभा सांसद संजय सिंह के साथ दिल्ली सरकार के कुछ मंत्री भी चुनाव प्रचार करने आ सकते हैं। उधर अन्य दलों में भाजपा व कांग्रेस के अलावा सपाक्स, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ इंडिया, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, क्रांति जनशक्ति पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी भी मैदान में हैं।
बागी बने आप उम्मीदवार
आप का प्रदेश में संगठन कमजोर तो है ही साथ ही प्रदेश में उसका कुछ खास प्रभाव भी नही है। यही वजह है की उसे चुनाव में उतारने के लिए पूरी तरह से प्रत्याशी ही नहीं मिल पाए हैं। इसकी वजह से आप ने दूसरे दलारें के बागी प्रत्याशियों पर दांव लगाया है, खासतौर पर कांग्रेस के बागियों पर। इसकी वजह से अगर भोपाल में आप को कांग्रेस के बागियों की शरणस्थली तक कहा जाने लगा है। उत्तर विधानसभा से कांग्रेस विधायक आरिफ अकील के बेहद करीब रहे पूर्व पार्षद शाहिद अली को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया तो उन्होंने आप का दामन थाम लिया है। शाहिद खुद तो पार्षद रहे ही हैं, साथ ही पिछली बार उनकी भी पार्षद रह चुकी हैं। अब उनकी पत्नी बतौर आप प्रत्याशी मैदान मे हैं। इसी तरह वार्ड 22 से कांग्रेस की पूर्व पार्षद रईसा मलिक महापौर का टिकट मांग रही थी। उन्हें भी टिकट नहीं मिला तो वे भी आप में चली गई है। जबकि वार्ड 45 में पूर्व पार्षद मोनू गोहल ने पत्नी को प्रत्याशी नहीं बनाए जानें से नाराज होकर आप की सदस्यता ग्रहण कर ली है। अब उनकी पत्नी आप के टिकट पर मैदान मे हैं। इसी तरह से आप ने इंदौर, उज्जैन, सतना, मुरैना व ग्वालियर में भी कांग्रेस-भाजपा के असंतुष्टों के साथ स्थानीय प्रत्याशी घोषित किए हैं। सतना और शिवपुरी जिले में भी पार्टी खास ध्यान दे रही है। यहां की अधिकांश नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में पार्टी प्रत्याशी खड़े किए गए हैं। मैहर, जैतवारा, विदिशा, भिंड, गोहद, छतरपुर, दमोह सहित अन्य नगर पालिकाओं में भी उसके उम्मीदवार व्यक्तिगत रुप से ताकत लगा रहे हैं। वहीं नगर परिषदों में भी आपने अपनी पकड़ बनाने के लिए मगरौनी, माचलपुर, बोड़ा, नरसिंहगढ़, अशोकनगर, अकोदिया, मालनपुर, मेहगांव, डीला, सुसनेर, नीमच, नागौद आदि में भी अपने प्रत्याशियों को खडा़ किया है।
122 निर्दलीय मैदान में, कई बागी
राजधानी के 85 वार्डों में 380 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से 122 निर्दलीय हैं। अधिकांश बीजेपी और कांग्रेस से बागी हैं। कांग्रेस के पूर्व पार्षद रेहान गोल्डन समेत कई नेता बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। कोलार में कांग्रेस के पूर्व पार्षद रहीं अन्नू बिट्टू शर्मा, भाजपा के पूर्व पार्षद पप्पू विलास निर्दलीय मैदान में उतरे हैं। वहीं वार्ड 40 से भाजपा ने पहले मसर्रत मस्तान को टिकट दिया था। उनके पति बाबू मस्तान की आपराधिक छवि को लेकर सवाल उठने के बाद उनका टिकट काटकर आबिद मुबारक को दे दिया। टिकट कटने के बावजूद मसर्रत मैदान से नहीं हटी। निर्दलीय ही उतर गई। सबसे ज्यादा 6 निर्दलीय वार्ड 1 में है। वार्ड 6, 13, 21, 35, 63, 64, 65, 72, 74 और 81 में एक भी निर्दलीय नहीं है।