आउटसोर्स…पड़ रहा सरकारी खजाने पर भारी

सरकारी खजाने
  • सरकार दे रही प्रोत्साहन, सरकारी नौकरी देने की नहीं है मंशा

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश में बेरोजगारी में तेजी से वृद्धि हो रही है और सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों की हर साल बेहद कमी होती जा रही है, लेकिन इसके बाद भी सरकार नहीं चाहती है की प्रदेश के बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दी जाए। इसके उलट सरकार का पूरा जोर आउट सोर्स पर लगा हुआ है, जो सरकारी खजाने पर बेहद भारी पड़ रहा है। इसके बाद भी सरकार आउटसोर्स को प्रोत्साहन देने के लिए नियमों में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के विभिन्न सरकार महकमों में 1 लाख से अधिक पद रिक्त बने हुए हैं, लेकिन सरकारी भर्तियां करने में कोई रुचि नहीं ली जा रही है। कभी कभार कोई परीक्षा सरकारी नौकरी के लिए होती भी है तो वह कई कारणों से विवादों में आ जाती है और फिर असीमित समय के लिए भर्ती प्रक्रिया रुक जाती है।
उधर, सरकार एक के बाद एक विभाग में आउटसोर्स से लगातार भर्तियां कर रही है। इसके लिए सरकार द्वारा आउट सोर्स कंपनियों को तमाम तरह के करों को लगाकर सरकारी दर से 47 से 52 फीसदी तक अधिक भुगतान किया जा रहा है। इस मामले में प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) ने तो अति ही कर डाली। इस संस्थान में बाबुओं और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 51 प्रतिशत अधिक राशि का भुगतान तक किया गया। मंत्रालय में जरुर विभागों में आउटसोर्सिंग से भर्ती नहीं हो पा रही है, लेकिन सरकार की मंशा यहां पर भी आउट सोर्स को बढ़ावा देने की है, जिसके लिए नियमों में बदलाव करने की  तैयारी की जा रही है। दरअसल मंत्रालय में अभी विभागाध्यक्ष कार्यालयों से भर्ती कराई जाती है। उन्हें विभाग से संबंधित सेक्शन में भेज दिया जाता है। इसी तरह के मामलों में वर्ष 2019-20 में पीईबी ने सिर्फ एक परीक्षा पीएसटीईटी (प्राइमरी एंड सेकंडरी टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट) आयोजित की। इसमें 6,59, 350 अभ्यर्थी थे। इस परीक्षा के लिए  कंप्यूटर सर्विस के लिए यूएसटी ग्लोबल को 9 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। यह राशि 165 रुपए प्रति छात्र के हिसाब से किया गया। उसी दौरान सेडमैप को कंप्यूटर के अलावा अन्य सेवाओं में तकनीकी कर्मचारी, बाबू और ड्राइवर के 9 करोड़ 35 लाख रुपए का भी भुगतान किया गया।
आउट सोर्स पर मेहरबानी की वजह
सूत्रों का कहना है कि कई आउटसोर्स कंपनियों में अप्रत्यक्ष रुप से बडे नौकरशाहों से लेकर राजनीतिज्ञों के परिजनों की किसी न किसी रुप से भागीदारी है। इसकी वजह से इन कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही सरकार उन पर निर्भरता बढ़ाने पर पूरा जोर लगाए रहती है। इसकी वजह से कंपनी को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया जाता है।
दैनिक वेतन भोगियों को किया जा रहा बाहर
आउट सोर्स को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी विभागों में कई सालों से काम करने वाले दैनिक वेतन भोगियों को नौकरी से निकालकर बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है और उनकी जगह आउटसोर्स कर कमिंर्यों की भर्ती की जा रही है। आउटसोर्स भर्ती किए जाने के बारे में सरकार नियमों में भी संशोधन करने जा रही है ताकि रेगुलर सरकारी भर्तियां कम करनी पड़े। पीईबी ने सेडमैप को मद क्रमांक 233 में कंप्यूटर सेवाओं के अलावा जावा प्रोग्रामर, असिस्टेंट प्रोगामर, आॅफिस असिस्टेंट और ड्राइवर के लिए जो भुगतान किए उसमें 50 फीसदी से ज्यादा का अंतर है। इसी तरह से स्टैचुरी लाइबिलटीज के 13फीसदी, चार्जेस 10 फीसदी और जीएसटी 18 फीसदी लगाकर भुगतान किया गया, यानी 41 फीसदी टैक्स लगाकर आउटसोर्स कर्मियों को भुगतान किया। खास बात यह है कि विभाग के मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा से इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नही हैं।
इस तरह से किया गया भुगतान
1 वर्ष 2020-21 में पीईबी ने 5 परीक्षाएं आयोजित की, जिनमें 1652760 अभ्यर्थी बैठे। इन परीक्षाओं के आयोजन में 15 करोड़ 75 लाख रुपए का भुगतान हुआ। इसमें डिलाइट को 68 लाख रुपए और सेडमैप को 51 लाख रुपए का दिया गया। वर्ष 2021-22 में एक परीक्षा का आयोजन किया गया। इसमें 1,40, 552 उम्मीदवार बैठे। डिलाइट को 59 लाख रुपए और सेडमैप को 65 लाख रुपए का भुगतान हुआ यानी दोनों को मिलाकर 1 करोड़ 24 लाख दिया गया।

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