मप्र मूल के 10 आईएएस में से 2 को ही मिला गृह प्रदेश

आईएएस

 – 8 ने मांगा राजस्थान आंध्रप्रदेश और पंजाब कॉडर

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश का हृदय प्रदेश मप्र नए ब्यूरोक्रेट्स की पहली पसंद होता है। लेकिन विडंबना यह है कि मप्र के मूल निवासी ब्यूरोक्रेट्स को बड़ी कम संख्या में मप्र कैडर मिलता है।  यूपीएससी 2021 की परीक्षा में मप्र से 10 आईएएस सिलेक्ट हुए थे और इनमें से केवल दो अफसरों ने ही मप्र राज्य लिया है। जबकि 8 आईएएस ने पंजाब, राजस्थान और तेलंगाना सहित आंध्रप्रदेश राज्य चुना है।  मप्र को पिछले दो साल से सीधी भर्ती के 8-8 आईएएस अधिकारी ही मिल पा रहे हैं। इसके पहले मप्र को 2018 में 12 और 2016 में 17 आईएएस सीधी भर्ती के मिले थे।
जानकारी के अनुसार 2021 में मिले अफसरों में एसटी का एक, ओबीसी के दो और जनरल केटेगरी के 5 अधिकारी मिल सके। यानी एससी वर्ग का एक भी आईएएस मप्र को नहीं मिला। यूपीएससी की 2021 में हुई परीक्षा में मप्र से 10 अधिकारियों को आईएएस संवर्ग मिला है। इनमें कार्तिकेय जायसवाल, विशाल धाकड़, खुशाल जैन, अंजली सिरोठिया, सिद्धार्थ गोमे, अर्जित महाजन, मिर्दुल शिवहरे, तुषार आनंद, कृष्णपाल राजपूत, मयंक सिंह शामिल हैं। आईएएस बने इन अफसरों में से कार्तिकेय जायसवाल तथा विशाल धाकड़ ने ही मप्र मूल राज्य मांगा। जबकि खुशाल जैन ने आंध्रप्रदेश, अंजली सिरोठिया ने हरियाणा, सिद्धार्थ गोमे ने राजस्थान, अर्जित महाजन, मिर्दुल शिवहरे, तुषार आनंद ने आसाम, मेघालय को तवज्जो दी। कृष्णपाल राजपूत ने पंजाब, मयंक सिंह ने तेलंगाना राज्य में सेवा देना उचित समझा।
मप्र को मिले दूसरे राज्यों के अफसर
2021 बैच में मप्र को मिले 8 अफसरों रविकुमार सिंह, आशीष, एश्वर्या वर्मा, कार्तिकेय जायसवाल, विशाल धाकड़, सोनाली देव, अर्पित गुप्ता, तनुश्री मीना आदि बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों के मूल निवासी हैं। इनमें भी एसटी वर्ग से एक, ओबीसी से दो और सामान्य केटेगिरी के 5 अफसर हैं। यानि एससी का एक भी अफसर मप्र को नहीं मिला। उधर, पिछले पांच-छह साल से एसएएस से आईएएस के पदों पर प्रमोशन हर साल 17-18 अधिकारियों को मिल रहा है। क्योंकि एसएएस संवर्ग से आने वाले आईएएस हर साल इतने ही रिटायर हो रहे हैं। 2022 में मप्र को प्रमोशन के 19 पद मिले हैं।
2020 में मप्र से रिकॉर्ड 37 सिलेक्शन
 संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी 2020) के रिजल्ट में मध्यप्रदेश के नाम एक रिकॉर्ड बन गया है। दरअसल, इस प्रतिष्ठित परीक्षा में इस बार मध्यप्रदेश को दोगुनी से ज्यादा सफलता मिली है।  इस बार प्रदेश के 37 होनहार सफल हुए हैं। पहली बार मप्र के सफल उम्मीदवारों का यह आंकड़ा आया है। अब तक हर साल 14 से 15 सिलेक्शन ही होते रहे हैं। यूपीएससी ने रिजल्ट की राज्यवार जानकारी जारी कर दी है। इसके मुताबिक मप्र के सफल अभ्यर्थियों में सबसे ज्यादा 10 अन्य पिछड़ा वर्ग, 8 गरीब श्रेणी (ईडब्ल्यूएस) और 5 दलित वर्ग से हैं। एक रोचक तथ्य यह भी है कि इन 37 सफल लोगों में सबसे ज्यादा 10 ने राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना है। 13 अक्टूबर को इन सभी राज्य सरकार ने भोपाल बुलाया था। यहां मिंटो हॉल में ऑनलाइन ही प्रदेश के कॉलेजों के बच्चों और 12वीं के छात्र-छात्राओं से सीधी बात की गई थी और  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनका सम्मान भी किया गया ।
ये हुए थे सफल
2020 में मप्र में जिनका सिलेक्शन हुआ था उनमें जागृति अवस्थी भोपाल, अर्थ जैन जबलपुर, राधिका गुप्ता अलीराजपुर, विनायक चामडिया सतना, अंशिका जैन जबलपुर, आयुष गुप्ता देवास, अरविंद कुमार शाह सिंगरौली, कार्तिक श्रोत्रिय भोपाल, हिमांशु गुप्ता ग्वालियर, शुभम अग्रवाल भोपाल, नरेंद्र रावत शिवपुरी, अभिषेक खंडेलवाल होशंगाबाद, कृष्ण लालचंदानी भोपाल, आशुतोष श्रीवास्तव ग्वालियर, सुमित कुमार सिंह इंदौर, शुभम बजाज विदिशा, साहिल खरे भोपाल, श्रेयांश सुराना बैतूल, रिषभ रूनवाल उज्जैन, संदीप रजौरिया मुरैना, रोहित नेमा जबलपुर, मनोज कुमार सिंगरौली, शिवम प्रजापति सतना, जेबा खान गुना, रोहित कुमार शाह सिंगरौली, टी प्रतीक राव भोपाल, दीपांशु गीद भोपाल, प्रखर पांडे जबलपुर, अर्जित महाजन इंदौर, उर्वशी सेंगर ग्वालियर, चंद्रशेखर मेहरा, विशाल धाकड़ गुना, दामिनी दिवाकर सागर, निमिशी त्रिपाठी खरगौन, विकास सेंठिया भिंड, विनीत बांसोद बालाघाट और श्लोक वाल्कर इंदौर शामिल हैं।

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