महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस निपटाने में एमपी नंबर 1

महिला अपराध
  • महिलाओं के लिए वरदान बनी महिला डेस्क

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पीड़ित महिलाओं की पीड़ा सुनने और उस पर त्वरित विधिक कार्रवाई करने में महिला डेस्क महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। थानों में बने महिला डेस्क पर अब महिलाएं, युवतियां बेहिचक अपनी पीड़ा बयां कर रही हैं। इसके बाद उन्हें त्वरित विधिक न्याय भी मिल रहा है। हालांकि आधी आबादी के खिलाफ होने वाले अपराधों के मामले में मध्यप्रदेश देश में छठे पायदान पर है। एक साल में 3,04,066 अपराधों में से 10 फीसदी यानी 30673 अपराध महिलाओं के खिलाफ हुए। इस आंकड़े में एक साल में 1 फीसदी की वृद्धि हुई है। गंभीर अपराध मसलन महिलाओं से बलात्कार के एक साल में 2947 केस सामने आए। देश में बच्चियों से बलात्कार के सबसे ज्यादा 3512 केस दर्ज हुए थे। घरेलू हिंसा के एक साल में 7929 प्रकरण दर्ज हुए, जो देशभर में प्रदेश को छठे नंबर पर लाते हैं। हालांकि महिला अपराधों में प्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों से तुलनात्मक रूप से बेहतर है।
    मध्यप्रदेश देश के उन राज्यों में शुमार है, जहां महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई नवाचार किए गए हैं। 950 थानों में महिला डेस्क तो सभी 52 जिलों में महिला थाने संचालित हैं। इसके अलावा अपराधियों को सजा दिलाने की दर में इजाफा करने साक्षी संरक्षण योजना भी शुरू की गई है।  इसमें प्रत्येक जिले के चिह्नित अपराधों में गवाहों को सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। महिलाओं पर होने वाले -अपराधों की रोकथाम के क्रम में महिला डेस्क उन सभी शिकायतों में कार्रवाई कर रहा है, जो अन्य विभागों से संबंधित हैं।  इसके लिए रेफरल फॉर्म जारी किए जाते हैं। एडीजी (महिला सुरक्षा) प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने बताया, प्रदेश में अप्रैल  2021 से अक्टूबर 2022 तक 33813 रेफरल फॉर्म विभागों को जारी किए।  इनमें 32993 पर कार्रवाई की गई है। 820 लंबित हैं।
    अब थानों में महिलाओं को कोई दिक्कत नहीं
    नारी सुरक्षा और सशक्तीकरण केंद्रीय और राज्य सरकारों की प्राथमिकता सूची में हैं। इसी कड़ी में प्रदेश में उर्जा महिला डेस्क बनाई गई हैं। इन महिला थानों का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की महिला फरियादियों की मदद करना है। कोई भी महिला यदि ऊर्जा महिला डेस्क पर अपनी समस्या लेकर पहुंचती है। फिर चाहे वह पुलिस से सम्बंधित समस्या हो या अन्य प्रकार की समस्याएं जैसे घरेलू हिंसा हो या कोई महिला भरण पोषण सम्बंधी समस्या से जूझ रही है। सीधी पुलिस से सम्बंधित नहीं भी है, तब भी परामर्श के जरिए महिला पुलिसकर्मी उनकी मदद का प्रयास करती हैं।
    परिवारों को टूटने से बचाया
    पारिवारिक विवादों के चलते टूट रहे परिवारों को एकजुट करने मप्र पुलिस की महिला सुरक्षा शाखा ने ई-मीडिएशन शुरू किया है। इसके जरिये न्यायालय तक नहीं पहुंचे मामलों में काउंसलर्स की मदद से दोनों पक्षों के बीच समन्वय स्थापित किया जाता है। कोरोना काल में इसे भोपाल, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में बतौर पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। दो अगस्त से इसे पूरे प्रदेश में छह महीनें के लिए लागू किया है। समा फाउंडेशन के काउंसलर्स द्वारा 3183 प्रकरणों को लिया गया है। इनमें से 930 में दोनों पक्षों में सहमति बनी है, जबकि बड़ी संख्या में दोनों पक्षों ने आगे काउंसलिंग के लिए सहमति दी है। मप्र पुलिस द्वारा बच्चों की गुमशुदगी के मामलों को गंभीरता से लेते हुए ऑपरेशन मुस्कान चलाया जाता है। दो साल में 18 राज्यों के 112 जिलों से 7660 नाबालिग बच्चियों की सुरक्षित घर वापसी कराई है। अभी तक इस अभियान के चार चरण पूरे हुए हैं।
    पहला स्थान मिलने की यह हैं वजहें
    मप्र सेंट्रल रीजनल काउंसिल यानी सीआरसी की रिपोर्ट में नंबर वन बन गया है। नंबर वन बनने का मतलब ये है कि अपराधों की जांच और कार्रवाई में वो पूरे देश में सबसे आगे है। रिपोर्ट के अनुसार वूमेन क्राइम, चाइल्ड क्राइम, रेप, पास्को एक्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट के मामले जल्दी निपटाने में एमपी नंबर वन है। मप्र ने उत्तराखंड, यूपी और छत्तीसगढ़ को काफी पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट के अनुसार महिला और बच्चों के यौन शोषण से जुड़े अपराधों के साथ पास्को एक्ट और फास्ट ट्रैक कोर्ट के मामलों में मध्य प्रदेश का परफॉर्मेंस यूपी छत्तीसगढ़ उत्तराखंड के मुकाबले बेहतर रहा। मप्र में यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम आईटीएसएसओ के आंकड़ों के अनुसार 21 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2022 तक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध से संबंधित 96.50 प्रतिशत मामलों की जांच पूरी की गई। इनमें 60.80 फीसदी की जांच दो महीने के अंदर पूरी कर ली गयीं। बेटियों के मामले में मध्य प्रदेश पहला राज्य है जिसने फांसी की सजा का प्रावधान किया। 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गयी। मध्य प्रदेश के हर जिले में महिला थाना है। हर थाने के अंदर महिला डेस्क है। 6000 से ज्यादा लापता बेटियों को ढूंढ़ने का काम किया। मध्य प्रदेश ने मुस्कान अभियान भी चलाया है। इसकी सफलता भी सबके सामने है। यह मध्य प्रदेश की उपलब्धियां हैं जिसका विषय मध्य क्षेत्र परिषद की बैठक में आया था।
    ये किए जा रहे उपाय
  • महिला सुरक्षा विंग लगातार मॉनिटरिंग करती है।
  • पुलिस मुख्यालय से सभी पुलिस अधीक्षकों को एसओपी जारी की गई।
  • महिला सुरक्षा विंग ने 36 ट्रेनिंग सेशन में 4102 जांच अधिकारियों को ट्रेंड किया।
  • हर महीने अपराधों का विश्लेषण किया जाता है।
  • महिला हेल्पलाइन 1090 पर आने वाली शिकायतो में फीडबैक लिया जाता।
  • पीड़ित, गवाहों का संरक्षण, सहायता योजना पर अमल।
  • फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट योजना पर अमल।
  • पास्को एक्ट के मामलों की जांच के लिए पुलिसकर्मियों की स्पेशल टीम नियुक्ति।

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