बिजली सुरक्षित रखने पर मिलेगी सुविधाओं की सौगात

बिजली सुरक्षित
  • पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के क्रियान्वयन की योजना तैयार

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। अन्य सामान की तरह ही अब प्रदेश में बिजली को भी सुरक्षित रखा जाएगा, जिसका उपयोग जरुरत पड़ने पर किया जा सकेगा। इस काम को करने वाले निवेशकों को प्रदेश सरकार कई तरह की सुविधाएं सौगात के रुप में देने जा रही है। दरअसल सरकार की योजना हाइड्रो से बनने वाली बिजली का स्टोर करने की है। इसके लिए अत्याधिक क्षमताओं वाली बैटरियों का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए निवेशकों की जरूरत सरकार को है। मप्र ऐसा राज्य है जहां पर बड़े -बड़े बांध होने से पानी से बिजली बनाने की बहुत संभावनाएं हैं। अभी भी प्रदेश में पानी से बनने वाली बिजली का पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाता है जिसकी वजह से कई बार तो महीनों तक प्लांटो को बंद रखना पड़ता है।
प्रदेश में पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के क्रियान्वयन की योजना तैयार की जा चुकी है। यह महत्वाकांक्षी योजना वैसे तो केंद्र सरकार की है, लेकिन इसे राज्यों में भी लागू होना है। केंद्र सरकार के निर्णय के बाद मप्र ऐसा राज्य है, जो सबसे पहले इस मामले में आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक देश में वर्ष 2029-30 की अवधि तक बिजली की कुल उत्पादन क्षमता का अनुमान लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि इस अवधि तक से 280 उत्पादन क्षमता 817 मेगावाट होगी। इस अवधि में सौर ऊर्जा से 140 और पवन ऊर्जा गीगावाट बिजली उत्पादन होगा। आंकलन के मुताबिक नवकरणीय ऊर्जा की परियोजनाओं को ग्रिड से इंटीग्रेशन या संबद्ध करने के लिए 10151 मेगावाट पंप हाइड्रो प्रोजेक्ट और 27000 मेगावाट बैटरी इनर्जी स्टोरेज क्षमता की जरूरत पड़ेगी। जरुरत के मुकाबले अधिक बिजली उत्पादन को देखते हुए ग्रिड को अतिरिक्त भार से बचाने के लिए नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के साथ उसी की तरह बिजली भंडारण परियोजनाओं का विकास करना अब जरुरी माना जा रहा है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा मप्र को लेकर जो रिपोर्ट बनाई गई है उसके अनुसार  मप्र में कुल 11.2 गीगावाट पीएचएस परियोजनाओं की क्षमता है। इसमें भी ऑफ रिवर पीएचएस परियोजना और मौजूदा जल विद्युत परियोजनाओं में रेट्रो फिटिंग के आधार पर विकसित किए जा सकने वाले पीएचएस परियोजना शामिल नहीं है।
निवेशकों को देनी होगी प्रोजेक्ट रिपोर्ट
इस तरह की योजना पहली बार तैयार की गई है। इसमें निवेश करने वालों को आवेदन के साथ पंजीयन कराना होगा। इतना ही नहीं उन्हें बाकायदा पंप हाइड्रो स्टोरेज साइट की प्रीलिमिनरी एक्सप्लोरेशन रिपोर्ट के साथ जलाशयों की भंडारण क्षमता के साथ ही राजस्व, वन या निजी भूमि का विवरण, जलाशय की भौगोलिक स्थिति, जलाशय की पूर्ण भराव क्षमता, न्यूनतम जल क्षमता की भी जानकारी देनी होगी।
इस तरह की दी जाएगी रियायतें
निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने निजी जमीन की जरूरत पर निवेशकों को 65 फीसदी स्टॉम्प ड्यूटी की प्रतिपूर्ति करने का निर्णय लिया है। इसी तरह एमपी पावर ट्रांसमिश कंपनी या बिजली वितरण कंपनियों के माध्यम से व्हीलिंग की सुविधा भी मिलेगी। 5 वर्ष के लिए व्हीलिंग चार्ज में 50 फीसदी की छूट दी जाएगी।  पंजीकरण व सुविधा शुल्क में भी 20 फीसदी की राहत मिलेगी। निवेशकों को कॉर्बन क्रेडिट सहित अन्य प्रोत्साहन लेने का भी अधिकार रहेगा। शासकीय भूमि भी रियायती दामों पर दी जाएगी। यदि राजस्व भूमि की जरूरत पड़ी तो राज्य सरकार मप्र नवकरणीय ऊर्जा नीति के तहत रियायत देगी। इसी तरह मप्र विद्युत शुल्क अधिनियम 2012 के प्रावधानों के तहत पीएचएस परियोजनाओं को विद्युत ऊर्जा के भंडारण के लिए खरीदी गई ऊर्जा और डिस्कॉम, तीसरा पक्ष, केप्टिव उपयोग के लिए बेची गई विद्युत ऊर्जा पर उनके व्यवसायिक उत्पादन की तिथि से 10 वर्ष की अवधि के लिए विद्युत शुल्क के भुगतान में भी छूट दी जाएगी और 10 वर्ष की अवधि के ऊर्जा विकास उपकर यानी सेस से भी छूट रहेगी।

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