
- विकास योजनाओं को रफ्तार देने पर फोकस
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में शासन-प्रशासन का फोकस सुशासन और विकास पर है। विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाने और उन्हें रफ्तार देने के लिए आगामी एक साल के लिए अफसरों की जमावट की जा रही है। दरअसल, एक साल का एक्सटेंशन मिलने के बाद मुख्य सचिव अनुराग जैन की कोशिश है कि इस दौरान विकास की गति को बढ़ाया जाए, ताकि योजनाओं-परियोजनाओं को समय सीमा में पूरा किया जा सके। इसके लिए अफसरों को उनकी योग्यता के अनुसार पदस्थापना दी जा रही है। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा एक वर्ष का एक्सटेंशन दिए जाने के बाद सीएस अनुराग जैन अब आने वाले दिनों में मप्र में प्रशासन को स्थिरता देने में लगे हुए हैं। इसके लिए वे अफसरों की नए सिरे से जिम्मेदारी दे रहे हैं। अनुराग जैन को एक्सटेंशन मिलने के बाद 32 आईएएस अधिकारियों की 2 अलग-अलग तबादला सूची जारी की जा चुकी हैं। दोनों तबादला आदेश एक सप्ताह के अंतराल (8 सितंबर और 15 सितंबर) से जारी हुए। दोनों आदेशों में सचिव, अपर सचिव और उप सचिव रैंक के अधिकारियों की नई पदस्थापना की गई। साथ ही 5 जिलों के कलेक्टर और 11 जिला पंचायत सीईओ भी बदले गए। आने वाले दिनों में और आईएएस अधिकारियों की नई पदस्थापना की जाएगी।
एक और सूची पर मंथन
माना जा रहा है कि आगामी प्रशासनिक फेरदबल में अपर मुख्य सचिव (एसीएस), प्रमुख सचिव (पीएस) और कलेक्टरों के तबादले होंगे। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव कार्यालय के बीच तबादला सूची पर मंथन चल रहा है। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि तीन साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की गति को और तेज करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसे में वह नहीं चाहती की अधिकारियों की बार-बार नई पदस्थापना से प्रशासनिक अस्थिरता आए और कामकाज प्रभावित हो। इसलिए अब महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर ऐसे अधिकारियों की पदस्थापना की जाएगी, जो सरकार की उम्मीद के अनुसार परिणाम दे सकें। ऐसे ही लंबे समय से जिलों में पदस्थ और नॉन परफॉर्मर कलेक्टरों को फील्ड से हटाकर 2016 बैच के बचे हुए आईएएस और 2017 बैच के आईएएस अफसरों को कलेक्टर के पद पर पदस्थ किया जाएगा। वर्तमान में मप्र कैडर के एसीएस और पीएस रैंक के 16 अधिकारी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं।
अतिरिक्त प्रभार से मिलेगी मुक्ति
प्रदेश में आईएएस अफसरों की कमी के कारण कई एसीएस और पीएस के पास मूल विभाग के साथ अन्य विभागों का अतिरिक्त प्रभार भी है। सरकार बड़े विभाग संभाल रहे एसीएस और पीएस से अतिरिक्त प्रभार वापस ले सकती है। एसीएस डॉ. राजेश राजौरा के पास जल संसाधन विभाग का अतिरिक्त प्रभार, एसीएस अशोक बर्णवाल के पास कृषि उत्पादन आयुक्त, एसीएस संजय दुबे के पास साइंस एवं टेक्नोलॉजी और एसीएस मुख्यमंत्री नीरज मंडलोई के पास लोक सेवा प्रबंधन विभाग का अतिरिक्त प्रभार है। इसके अलावा एसीएस अनुपम राजन के पास संसदीय कार्य व उद्यानिकी विभाग का अतिरिक्त प्रभार, एसीएस संजय शुक्ला के पास योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी व विमानन एवं चेयरमैन कर्मचारी चयन मंडल, एसीएस रश्मि अरुण शमी के पास आयुक्त मप्र भवन नई दिल्ली का अतिरिक्त प्रभार, एसीएस दीपाली रस्तोगी के पास विकास आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार, एसीएस शिव शिव शेखर शुक्ला के पास गृह व धर्मस्व विभाग, पीएस उमाकांत उमराव के गौपालन विभाग, पीएस डीपी आहुजा के पास आयुष विभाग, पीएस अमित राठौर के पास कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग, पीएस राघवेंद्र कुमार सिंह के पास आनंद विभाग का अतिरिक्त प्रभार, पीएस विवेक पोरवाल के पास आयुक्त राहत एवं पुनर्वास और पीएस संदीप यादव के पास आयुक्त खाद्य सुरक्षा का अतिरिक्त प्रभार है।
कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस की तैयारियां तेज
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दशहरा के बाद यानी अक्टूबर में कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस बुलाने के निर्देश दिए हैं। इक्कीस महीने पुरानी मप्र की भाजपा सरकार अपने कामकाज की समीक्षा करेगी। यह दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस भोपाल में होगी। इस कॉन्फ्रेंस में आगामी वर्षों की कार्ययोजना और विजन डॉक्युमेंट पर चर्चा होगी। कॉन्फ्रेंस में कलेक्टरों की परफॉरमेंस रिपोर्ट पेश की जाएगी। कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री मैदानी अधिकारियों को आने वाले वर्षों में सरकार के विजन को लेकर जरूरी निर्देश देंगे। साथ ही जिलों में किए गए अभिनव कार्यों पर एक प्रस्तुतिकरण भी दिया जाएगा, ताकि अन्य जिले भी इसे अपना सकें। इसमें सभी कमिश्नर, कलेक्टर, आईजी और पुलिस अधीक्षक शामिल होंगे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभिन्न विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और कलेक्टरों ने कॉन्फ्रेंस की तैयारियां तेज कर दी हैं।