अब मप्र में मिशन 2023 पर ‘आप’ का फोकस

मिशन 2023
  • प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी आप

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत से मध्यप्रदेश में भी उम्मीदें बढ़ गई हैं। अब आप देश के दो बड़े राज्य में सत्तासीन हो गई है। दिल्ली के बाद पंजाब में कब्जे से पार्टी कांग्रेस के विकल्प के रूप में खड़ा होने का सपना संजोने लगी है। देश में जिस प्रकार कांग्रेस टूट रही है, उससे आप के लिए विकल्प बनने की संभावनाओं का आसमान और बड़ा हो गया है। पार्टी का दायरा बढ़ने पर  मप्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों के असंतुष्ट नेता आगे के चुनावों के लिए इसकी राह पकड़ने की उम्मीद कर सकते हैं। उधर, अगले 1 साल होने वाले मप्र विधानसभा चुनावों की तैयारियों के संबंध में आप के मप्र प्रभारी गोपाल राय ने पदाधिकारियों को निर्देश भी दे दिए हैं। इसी के तहत इसी माह से आप द्वारा नए सदस्यों को पार्टी से जोड़ने के लिए आप आपके द्वार महाअभियान प्रारंभ करने जा रही है।  
आप पार्टी के इस निर्णय के बाद मप्र की जनता को भाजपा व कांग्रेस के बाद आप के रूप में तीसरा मजबूत विकल्प उपलब्ध हो सकता है। आप के प्रदेश प्रवक्ता हेमंत जोशी बतो हैं कि साल 2018 में हुए मप्र विधानसभा चुनावों में 230 में से 217 सीटों पर पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। वह हमारा पहला प्रत्यक्ष चुनाव था और हमने जनता के समक्ष उपस्थित होकर अपनी पार्टी की विचारधारा और नीति को पेश किया था। उस समय मप्र में हमारा संगठन प्रारंभिक स्तर पर था।  2018 के विधानसभा चुनावों में हमें मप्र के कुल वैध मतों में से 0.66 फीसदी वोट हासिल हुए थे और सिंगरौली विधानसभा सीट पर हमारी प्रत्याशी रानी अग्रवाल दूसरे नंबर पर रही थी। उस समय हमारे समक्ष योग्य उम्मीदवार और चेहरों की भी कमी थी ,लेकिन अब स्थिति इसके उलट है।
2023 के चुनाव के लिए तैयार आप
आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई थी। उस दौरान करीब 200 विधानसभा सीटों पर आप ने चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव में पार्टी को कोई खास महत्व नहीं मिला। मात्र 0.7 प्रतिशत वोट से ही पार्टी को संतोष करना पड़ा, लेकिन अब पार्टी पूरी दमखम के साथ तैयार है। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी कृष्णपाल सिंह कहते हैं कि निकाय चुनाव के लिए पार्टी ने कमर कसी है। वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव भी पार्टी लड़ेगी। मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी पूरी रणनीति के साथ काम कर रही है। संभाग और जिला स्तर पर संगठन खड़ा किया है। प्रदेश की 122 विधानसभा और यहां के ब्लॉक स्तर पर टीम तैयार कर ली गई है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मध्यप्रदेश में पहली बार एंट्री की थी। यहां की चुनिंदा लोकसभा सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार खड़े किए थे। आप के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने खण्डवा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, हालांकि इस चुनाव में पार्टी को अधिक सफलता नहीं मिल सकी थी।
पंचायत और नगर निकाय में दिखाएगी दम
मप्र विधानसभा चुनाव के साथ ही आप ने पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है। इसके लिए गांवों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों से संपर्क प्रारंभ कर दिया है। अब इसी  माह पार्टी मप्र में आप आपके द्वारा महाअभियान प्रारंभ कर रही है। इस अभियान के तहत सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के लगभग प्रत्येक घर में संपर्क किया जाएगा और लोगों को पार्टी से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
सिंधिया समर्थक असंतुष्टों के लिए बेहतर विकल्प
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कुछ नेता ऐसे हैं, जो अब तक भाजपा की रीति-नीति में खुद को नहीं ढाल पाए हैं। यह नेता भाजपा में असहज महसूस करते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो सिंधिया समर्थक होते हुए भी भाजपा में नहीं गए और अब वे पार्टी में हाशिए पर हैं। ऐसे में इनके लिए भी आम आदमी पार्टी एक बेहतर विकल्प बन सकती है। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 40 सीटों पर ऐसे नेताओं को टिकट दिया था, जो दूसरी पार्टी से असंतुष्ट होकर आए थे। मध्यप्रदेश में भी चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस दूसरी पार्टी के असंतुष्टों को टिकट देने की सियासत करती आई है। इसी फॉर्मूले को अरविंद केजरीवाल मध्यप्रदेश में अपनाकर बड़ा दांव चल सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में असंतुष्ट नेताओं की कमी नहीं है। इसमें ऐसे नेता जो अपनी पार्टी में बिलकुल हाशिये पर भेज दिए गए हैं या फिर जो अपनी पार्टी में अलग-थलग महसूस कर रहे हैं, वो आम का हाथ थाम सकते हैं। आप के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह कहते हैं, वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर हम चुनाव लड़ेंगे। निकाय चुनाव के लिए भी हमारी तैयारी है। हमें पूरा भरोसा है कि  आप  पार्टी प्रदेश में सफल होगी।
कई गलतियां, अब सबक लेने की जरूरत
अन्ना आंदोलन के समय आम आदमी पार्टी से प्रदेश की जनता ने भी ढेरों उम्मीदें लगाई थीं, लेकिन विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में पार्टी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाई। इसकी मुख्य वजह पार्टी में कई धड़े हो जाना रहा। राजनीति में नए  होने के कारण भी आप के नेता अनुभवी पार्टियों का सामना नहीं कर सके। बाद में पार्टी बिखरती चली गई। जो लोग पार्टी से शुरूआत में जुड़े थे, उनमें से अधिकतर अब पार्टी से बाहर जा चुके हैं। तत्कालीन सचिव अक्षय हुंका काफी पहले ही पार्टी से अलग हो गए थे। बाकी नेता भी धीरे-धीरे अलग हो गए।

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