अब तीसरी आंख रखेगी सीएम हाउस पर नजर

सीएम हाउस

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास की सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव करने का फैसला कर लिया गया है। इसके तहत अब स्पेशल ब्रांच सीएम हाउस के हर कोने पर सीसीटीवी कैमरे लगवा रही है। इसके तहत दीवारों के साथ ही एंट्री और एग्जिट गेट पर भी कैमरे लगाए जाएंगे। इनमें खासतौर पर चार हाईटेक कैमरे होंगे। जिससे अपराधियों की  पहचान के साथ ही वीवीआईपी के साथ उनके वाहन चालक और स्टाफ की भी स्क्रीनिंग होगी। पुलिस मुख्यालय के अफसरों के मुताबिक  मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रिव्यू किया गया है। जिसमें निर्णय लिया गया है कि  सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए। इसलिए 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरों को लगाने का फैसला किया गया है। साथ ही संदिग्ध व्यक्ति सीएम आवास में न घुस सके। इसके लिए फेस रिकग्निशन टेक्नालजी के कैमरे भी लगाए जाएंगे जिससे हर आने-जाने वाले व्यक्ति की पहचान हो सके। इस तकनीक के कैमरे की मदद से यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज होती तो पहचान हो जाएगी। अभी आवास में 50 से अधिक कैमरों के जरिए निगरानी की जाती है।  सभी गेट और ब्लैक आउट वाली जगह पर दीवारों पर कैमरे लगाए गए है। ऐसी जगहों पर खासतौर से आईआर या नाइट विजन कैमरे लगाए जाएंगे। जिससे अंधेरे में भी किसी भी व्यक्ति की पहचान आसानी से हो सके।
जल्द जारी होगा टेंडर
पीएचक्यू के अधिकारियों कि डीजीपी के पास अधिकार है कि वे टेंडर को फाइनल कर सकते है। फिलहाल जल्द ही टेंडर जारी होगा। कैमरों को लगाने वाली कंपनी ही मेंटेनेस करेगी। इस सिस्टम को तैयार करने के लिए 50 लाख रुप खर्च होगे।
एएनपीआर कैमरों से वाहनों के नंबरों की होगी जांच
वीआईपी सिक्योरिटी और कंट्रोल एक्सेस बनाने के साथ ही एपीआर कैमरों को लगाया जाएगा। एनपीआर कैमरों को खासियत है कि वह नंबर प्लेट की जांच करने के साथ ही वाहन मालिक की पहचान भी कर सकता है। इसके अलावा कई ऐसे कैमरे भी लगाए जाएंगे। जिन्हें कंट्रोल रूम से ऑपरेट किया जा सके।
अभी ऐसी है सुरक्षा व्यवस्था
सीएम आवास में 24 घंटे एक राजपत्रित पुलिस अधिकारी की ड्यूटी होती है। हाकफोर्स के कमांडो स्तर के जवान होते है। इसके अलावा सभी गेट पर गार्ड तैनात रहते हैं। वहीं पीएसओ ट्रेनिंग कर चुके दर्जनभर से ज्यादा पुलिसकर्मी ड्यूटी पर रहते हैं। सीएम के शहर में मूवमेंट के दौरान दो दर्जन से अधिक जेड प्लस की सिक्योरिटी का प्रोटोकॉल लागू रहता है।

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